आजमगढ़ में महीने में दूसरी बार सीज हुआ आर्या हॉस्पिटल:जिले के सीएमओ का दावा, 30 से अधिक अस्पतालों पर हो चुकी करवाई, डिप्टी सीएमओ ने की कार्रवाई
आजमगढ़ जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर आजमगढ़ जिले में चलने वाले झोलाछाप डॉक्टरों और अवैध नर्सिंग होम के विरुद्ध अभियान चलाया गया है। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग इसे रोक पाने में नाकाम साबित हो रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लालगंज तहसील के जिस आर्या हॉस्पिटल को 1 महीने पहले सीज किया गया था वह फिर चलता मिला। ऐसे में जिले के डिप्टी सीएमओ आलेंद्र कुमार ने छापा मारते हुए अस्पताल को सीज किया। इसके साथ ही इस अस्पताल में भर्ती दो सिजेरियन महिलाओं को ट्रामा सेंटर के लिए रेफर भी किया। डिप्टी सीएमओ अलेंद्रर कुमार से कहा कि पूर्व मे आर्या हॉस्पिटल के सीज करने के बाद लालगंज के पांच सीज हुए थे सभी हास्पिटल चल रहे है। सभी को आज फिर से मेरे सामने बन्द कराया जाय। विवाद को देखते हुए डिप्टी सीएमओ ने सीएचसी अधीक्षक लालगंज राजेन्द्र प्रसाद से मौके पर पुलिस बुलाने को कहा विवाद की सूचना पर पुलिस पहुंचने के कुछ देर पहले आर्या हास्पिटल संचालक रवीन्द्रर कुमार अपनी पत्नी को लेकर लालगंज बाजार मे भाग निकला। डिप्टी सीएमओ ने पुलिस के आने बाद आर्या हास्पिटल मे प्रवेश किया तो आपरेशन के दो मरीज भर्ती पाये गये। एक मरीज को सौ सैय्या सयुक्त चिकित्सालय लालगंज शिफ्ट (भर्ती ) कराया गया। 14 अक्टूबर को किया गया था सीज डिप्टी सीएमओ अलेंन्द्र कुमार ने बताया कि पहली जांच मे आर्या हॉस्पिटल पर नोटिस दी गई थी जिसके बाद पेपर न जमा करने पर आर्या हास्पिटल को एक माह पूर्व 14 अक्टूबर को सीज कर दिया गया था। सीएमओ द्वारा अग्निशमन यंत्र लगवाने के लिए आदेश दिया था। जिस पर संचालक द्वाराअग्निशमन यंत्र न लगवा कर अस्पताल में मरीज भर्ती कर अवैध रूप से ऑपरेशन किया जा रहा था। सूचना मिलने पर छापेमारी कर दूसरी बार आर्या हॉस्पिटल को सीज करने की कार्रवाई की गई । डिप्टी सीएमओ से सीज हॉस्पिटल के डॉक्टरों की जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि जितने हॉस्पिटल सीज है। किसी भी हास्पिटल संचालक के पास डिग्री नहीं है। जिले के सीएमओ भले ही चलने वाले जिले में अवैध अस्पतालों की रोकथाम का दावा कर रहे हैं पर जिस तरह से जिले में बड़ी संख्या में अवैध अस्पताल चल रहे हैं। उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन अवैध अस्पतालों के लोगों की पहुंच स्वास्थ्य विभाग में कितनी मजबूत है।
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