आजमगढ़ का 200 वर्ष से अधिक पुराना दक्षिणमुखी मंदिर:नवरात्र में लगता है भक्तों का मेला, देर रात तक चलती रही तैयारियां, दूर-दूर से आते हैं भक्त

आजमगढ़ जिले के चौक स्थित दक्षिण मुखी मां काली मंदिर 200 वर्ष से अधिक पुराना बताया जाता है। चैत्र नवरात्रि के दोनों में मां काली के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं। और मां काली अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं। यही कारण है कि नवरात्र के दिनों में यहां पर भक्तों का भारी मेला उमड़ता है। सुबह से ही मंदिर में भक्तों का पूजन दर्शन शुरू हो जाता है। पूरे भारत में दक्षिण मुखी मंदिर एक कोलकाता में है जबकि दूसरा आजमगढ़ में है। काली माता मंदिर के बारे में मान्यता है कि जो भी भक्त अपने मन की मुराद मांगते हैं। मां अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करती है। यही कारण है कि आज भी इस मंदिर में दूर-दूर से भक्त जाकर माता के पूजन दर्शन करते हैं। माना जाता है तांत्रिक मंदिर इस बारे में मंदिर के पुजारी शरद त्रिपाठी ने बताया कि दक्षिण मुखी मंदिर तांत्रिक मंदिर माना जाता है इसलिए इस मंदिर में भक्तों की आस्था भी और अधिक रहती है। इस मंदिर में जो भी भक्त अपनी मनोकामना मांगते हैं यह उनकी मनोकामना मां जरुर पूरा करती हैं। शारदीय नवरात्र चैत्र नवरात्र के अतिरिक्त सोमवार और शुक्रवार को यहां पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इसके साथ ही नए वर्ष के अवसर पर यहां तीन दिवसीय मेले का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें माता रानी को छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाया जाता है। और बड़ी संख्या में दूर-दूर से भक्तों माता के दर्शनों को आते हैं।

Mar 30, 2025 - 02:59
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आजमगढ़ का 200 वर्ष से अधिक पुराना दक्षिणमुखी मंदिर:नवरात्र में लगता है भक्तों का मेला, देर रात तक चलती रही तैयारियां, दूर-दूर से आते हैं भक्त
आजमगढ़ जिले के चौक स्थित दक्षिण मुखी मां काली मंदिर 200 वर्ष से अधिक पुराना बताया जाता है। चैत्र नव

आजमगढ़ का 200 वर्ष से अधिक पुराना दक्षिणमुखी मंदिर

आजमगढ़ में स्थित दक्षिणमुखी मंदिर, जो कि 200 वर्ष से अधिक पुराना है, नवरात्र के दौरान विशेष श्रद्धा का केंद्र बन जाता है। इस समय भक्तों का एक बड़ा मेला लगता है जो कि दिन-रात चलता है। मंदिर की प्राचीनता और भव्यता इसे एक अद्वितीय धार्मिक स्थल बनाती है, जहां हर साल लाखों लोग पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं।

नवरात्र में भक्तों का मेला

नवरात्र के दौरान भक्तों की भारी भीड़ मंदिर परिसर में आती है। यहां विभिन्न प्रकार की धार्मिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। भक्त देर रात तक तैयारियों में जुटे रहते हैं, जबकि मंदिर का वातावरण उल्लास और भक्ति से भरा रहता है। स्थानीय लोग और दूर-दूर से आए भक्त मिलकर इस पावन अवसर को खास बनाते हैं।

दूर-दूर से आते हैं भक्त

दूर-दूर से भक्त इस मंदिर में आने के लिए विशेष यात्रा करते हैं। पूजा के लिए विशेष अनुष्ठान और भोग अर्पित किए जाते हैं। भक्तों के बीच धार्मिक समाचार और भक्ति गीतों का प्रसार होता है, जो इस अवसर को और भी खास बनाता है। आजमगढ़ के इस दक्षिणमुखी मंदिर का जोशीला माहौल हर किसी को आकर्षित करता है और इसे एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है।

यदि आप आजमगढ़ में इस नवरात्र उत्सव का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो जल्दी आइए और इस ऐतिहासिक मंदिर की भक्ति भावना का अनुभव कीजिए।

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