उत्तराखंड की शिक्षिका मंजूबाला ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार उगाया, हिंदी, अंग्रेजी और कुमाउंनी में बच्चों को दी शिक्षा
रैबार डेस्क: स्कूली बच्चों को हिंदी अंग्रेजी के साथ साथ स्थालीय लोक भाषा में प्रवीण... The post हिंदी-अंग्रेजी के साथ कुमाउंनी में दे रही बच्चों को शिक्षा, उत्तराखंड की शिक्षिका मंजूबाला को मिला राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार appeared first on Uttarakhand Raibar.

उत्तराखंड की शिक्षिका मंजूबाला ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार उगाया, हिंदी, अंग्रेजी और कुमाउंनी में बच्चों को दी शिक्षा
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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड की शिक्षिका मंजूबाला को हिंदी, अंग्रेजी और कुमाउंनी में बच्चों को शिक्षा देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 से नवाजा गया है।
क्या शिक्षिका मंजूबाला ने अपने अनूठे शिक्षण दृष्टिकोण से साबित कर दिया कि शिक्षा केवल विषयों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज को भी एकजुट करने का माध्यम हो सकता है। चंपावत की राजकीय प्राथमिक विद्यालय च्यूरानी में प्रधानाध्यापिका डॉ. मंजू बाला को यह पुरस्कार कई वर्षों से अपनी मेहनत और नवोन्मेषी शिक्षण तकनीकों के कारण मिला है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शिक्षक दिवस पर उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया।
शिक्षा की पहुँच का विस्तार
डॉ. मंजू बाला, जो 57 वर्ष की हैं, ने 2005 से प्राथमिक शिक्षा में कार्यरत रहते हुए गाँव के बच्चों को न केवल हिंदी और अंग्रेजी, बल्कि उनकी लोक भाषा कुमाउंनी में भी शिक्षा देने की पहल की है। उनका मानना है कि जब बच्चे अपने लोक भाषाओं में पढ़ते हैं, तो वे विषय को ज्यादा जल्दी और बेहतर तरीके से समझते हैं। नई शिक्षा नीति के तहत त्रिभाषा तकनीक के प्रवर्तक के रूप में उनके प्रयासों की शिक्षा मंत्रालय ने सराहना की है।
समाजिक बदलाव की दिशा में कदम
मंजूबाला ने सिर्फ शैक्षणिक क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उन्होंने स्कूल में मेंस्ट्रल हाइजीन और बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए विशेष कार्यशालाओं का आयोजन किया है। इसके अलावा, उन्होंने बच्चों को लोकतांत्रिक मूल्यों की शिक्षा देने के लिए बाल सभा का गठन किया है, जिससे बच्चे सामाजिक मुद्दों से भी परिचित हो सकें।
अन्य पुरस्कार और उपलब्धियाँ
डॉ. मंजूबाला को पहले भी राज्य स्तरीय पुरस्कार जैसे शैलेश मटियानी पुरस्कार, तीलू रौतेली पुरस्कार, आयरन लेडी पुरस्कार और टीचर ऑफ द ईयर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी शिक्षण यात्रा हमें यह बताती है कि अगर दृढ़ निश्चय और साधनों का सही उपयोग किया जाए, तो समाज में बदलाव लाना संभव है।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि मंजूबाला का योगदान सिर्फ शिक्षा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने अपने छात्रों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने का कार्य किया है। उनकी यह मेहनत न केवल उनकी कक्षा के बच्चों बल्कि सम्पूर्ण समाज के लिए एक प्रेरणा बन कर उभरी है।
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सादर,
टीम इंडिया टुडे, नेहा राठी
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