उत्तराखंड स्वास्थ्य सुधार: अस्पतालों में अनावश्यक रेफरल पर कड़ा नकेल, एंबुलेंस सेवाएं होंगी बेहतर
रैबार डेस्क: पहाड़ के अस्पतालों से मरीजों को एक जगह से दूसरी जगह बिना वजह... The post पहाड़ की सेहत सुधारने की कवायद, अस्पतालों से अनावश्यक रेफरल पर लगी रोक, एंबुलेंस सुविधा भी होगी दुरुस्त appeared first on Uttarakhand Raibar.

उत्तराखंड स्वास्थ्य सुधार: अस्पतालों में अनावश्यक रेफरल पर कड़ा नकेल, एंबुलेंस सेवाएं होंगी बेहतर
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रैबार डेस्क: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र के अस्पतालों में रोगियों का बिना वजह दूसरे अस्पतालों में रेफर किया जाना एक गंभीर समस्या बन चुकी थी। इससे ना केवल मरीजों का मानसिक तनाव बढ़ रहा था, बल्कि कई बार यह उनकी जान पर भी बन आती थी। यही नहीं, समय पर एंबुलेंस की उपलब्धता नहीं होने से भी मरीजों को चिकित्सीय सेवाएं नहीं मिल पा रही थीं। स्वास्थ्य विभाग ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए अब अस्पतालों के लिए नई दिशा-निर्देशों का एक सेट जारी किया है।
मुख्यमंत्री का महत्वपूर्ण निर्देश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली को सुधारने के लिए सख्ती से निर्देश दिया है कि अब अस्पतालों में बिना आवश्यक चिकित्सकीय कारणों के रोगियों का रेफरल नहीं किया जाएगा। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने इस पर जोर देते हुए कहा है कि केवल तभी मरीजों को बड़े अस्पतालों में भेजा जाएगा, जब किसी विशेष उपचार के लिए विशेषज्ञ की आवश्यकता पाई जाये।
नई गाइडलाइनों के फायदे
डॉ. आर. राजेश कुमार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन नई गाइडलाइनों का मुख्य उद्देश्य है कि मरीजों को उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा सेवाएं जिला अस्पतालों में ही मुहैया कराई जा सकें। अनावश्यक रेफरल से न केवल संसाधनों की बर्बादी होती है, बल्कि मरीज की स्वास्थ्य स्थिति भी बिगड़ सकती है।
SOP में शामिल प्रमुख बिंदु
- यदि अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं, तभी ही मरीज को अन्य संस्थानों के लिए रेफर किया जाएगा।
- केवल ऑन-ड्यूटी डॉक्टर ही मरीज की देखरेख कर सकते हैं और यदि आवश्यक हो तभी रेफर करने का निर्णय लेंगे।
- गंभीर मामलों में, ऑन-ड्यूटी विशेषज्ञ सीधे व्हाट्सऐप या कॉल के माध्यम से चिकित्सा निर्णय ले सकते हैं।
- रेफरल फॉर्म में स्पष्ट विवरण दिया जाएगा कि मरीज को क्यूं और किस आधार पर रेफर किया गया है।
- बिना उचित कारण के रेफर करने के मामले में संबंधित CMO या CMS को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
एंबुलेंस प्रबंधन पर फोकस
स्वास्थ्य सचिव ने यह भी बताया कि वर्तमान में एंबुलेंस की रोटेशनिंग और प्रबंधन के संबंध में सुधार की आवश्यकता है। क्योंकि आजकल एंबुलेंस अक्सर व्यस्त रहती हैं, जिससे मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में कठिनाई होती है।
राज्य की एंबुलेंस सेवाओं की स्थिति
वर्तमान में उत्तराखंड राज्य में कुल 272 एमरजेंसी 108-एंबुलेंस और 244 विभागीय एंबुलेंस सक्रिय हैं, लेकिन केवल 10 शव वाहनों की उपलबद्धता है। कुछ जिलों में जैसे अल्मोड़ा और नैनीताल में शव वाहनों की कमी भी एक चिंता का विषय है। स्वास्थ्य सचिव ने सुझाव दिया है कि पुराने और अनुपयोगी वाहनों का उपयोग शव वाहनों के रूप में किया जा सकता है।
पारदर्शिता और जिम्मेदारी को सुनिश्चित करना
इन नई गाइडलाइनों का मुख्य उद्देश्य है सरकारी अस्पतालों में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाना। मुख्यमंत्री धामी के निर्देश के अनुसार, अब रेफरल प्रक्रियाएं सिर्फ प्रशासनिक औपचारिकता नहीं, बल्कि वास्तविक चिकित्सकीय आवश्यकताओं के अनुसार होंगी।
निष्कर्ष
जो भी नई दिशा-निर्देश लागू किए गए हैं, उनका उत्पादन न केवल सरकारी अस्पतालों की कार्यप्रणाली में सुधार करेगा, बल्कि पहाड़ी क्षेत्र के नागरिकों के स्वास्थ्य में भी सकारात्मक बदलाव लाएगा। इससे मरीजों को बेहतर रूप से उपचार दिलाने की सुविधा मिलेगी।
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