उत्तराखंड: बच्चों से कार धुलवाने वाले शिक्षक का वीडियो वायरल, निलंबन और जांच शुरू
चमोली में बच्चों से कार धुलवाने पर सहायक अध्यापक निलंबित उप शिक्षा अधिकारी थराली करेंगे जांच, एक सप्ताह में सौंपेंगे रिपोर्ट देहरादून/ चमोली चमोली जनपद के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय…

उत्तराखंड: बच्चों से कार धुलवाने वाले शिक्षक का वीडियो वायरल, निलंबन और जांच शुरू
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कम शब्दों में कहें तो, चमोली में एक सहायक अध्यापक का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह छात्रों से अपनी कार धुलवा रहे हैं। इस मामले में शिक्षक को निलंबित कर दिया गया है और जांच का आदेश दिया गया है।
देहरादून/चमोली: चमोली जनपद के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय जूनीधार में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें सहायक अध्यापक घनश्याम तिवाड़ी ने बच्चों से अपनी कार धुलवाने के लिए कहा। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और इसके बाद विद्यालय प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
जांच का आदेश और निलंबन की प्रक्रिया
उप शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा, थराली ने इस मामले की जांच का आदेश दिया है। इस मामले की जांच एक सप्ताह के अंदर पूरी कर रिपोर्ट सौंपी जाएगी। उप शिक्षा अधिकारी ने कहा कि इस प्रकार की घटना न केवल शिक्षा के वातावरण को प्रभावित करती है बल्कि बच्चों के मानसिक विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है।
इस संबंध में सहायक अध्यापक घनश्याम तिवाड़ी ने दावा किया है कि उन्होंने बच्चों से कार धुलवाने का कोई निर्देश नहीं दिया था, लेकिन वीडियो में स्पष्ट रूप से यह दिख रहा है कि बच्चे उनकी कार को धुल रहे हैं। इस पर शिक्षा विभाग ने सख्ती दिखाई है।
समाज में शिक्षा का महत्व
शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों के व्यवहार और सोचने की क्षमता को भी विकसित करना महत्वपूर्ण है। ऐसे मामलों में यह जरूरी है कि शिक्षकों द्वारा बच्चों को सहारा देने और उनके विकास में मदद करने के बजाय किसी भी प्रकार का शोषण नहीं किया जाए।
शिक्षक को निलंबित करने का निर्णय ऐसे मामलों में एक मजबूत संदेश देता है कि शिक्षा में अनुशासन और नैतिकता की अत्यधिक आवश्यकता है। समाज और शिक्षा प्रणाली के सभी हिस्सों को इस पर ध्यान देना चाहिए ताकि बच्चों का विकास सही दिशा में हो सके।
वायरल वीडियो का प्रभाव
सोशल मीडिया पर इस वीडियो के वायरल होने से शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन के लिए कई सवाल खड़े हुए हैं। क्या ऐसे शिक्षकों को सिखाने का कोई तरीका है जो बच्चों का शोषण करते हैं? क्या उन्हें शिक्षा से बाहर निकालना सही है? इन सवालों के जवाब खोजने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
इसके अलावा, शिक्षकों को उनके कार्य के प्रति जागरूक करना, और सही दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करना आवश्यक है, ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हो सकें। यह एक जैसे सख्त कदम उठाने का समय है ताकि शिक्षा के वातावरण को सुरक्षित और सकारात्मक बनाया जा सके।
अंत में, हम सभी को शिक्षकों और छात्रों के साथ एक सकारात्मक संबंध बनाने की दिशा में काम करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि शिक्षा का क्षेत्र सुरक्षित और सहायक हो।
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सादर, टीम इंडिया टुडे
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