उपचुनाव में टिकट न मिलने से निषाद पार्टी नाराज!:संजय निषाद बोले- रामगोपाल से नहीं मिला; पैसे से टिकट देने पर भी दिया जवाब

यूपी उपचुनाव में भाजपा ने गठबंधन की सहयोगी निषाद पार्टी को एक भी सीट नहीं दी। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि पार्टी अध्यक्ष संजय निषाद इससे नाराज हैं। बीते दिनों ऐसी चर्चा भी सामने आई कि संजय निषाद ने सपा महासचिव रामगोपाल यादव से मुलाकात की थी। इस सबके बीच निषाद पर टिकट के लिए पैसे मांगने का आरोप भी लगा है। 13 नवंबर को होने वाली वोटिंग से पहले दैनिक भास्कर ने कई मुद्दों पर संजय निषाद से बात की। उपचुनाव में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिलने को कैसे देखते हैं? रालोद को टिकट मिला तो निषाद पार्टी को क्यों नहीं? निषाद समाज के लिए ‘कोटे में कोटा’ के लिए क्या कर रहे हैं? टिकट देने में पैसा लेने के आरोप पर क्या कहेंगे? सभी सवालों का संजय निषाद ने बेबाकी से जवाब दिया। पूरा इंटरव्यू पढ़िए… भास्कर: हरिशंकर बिंद ने आरोप लगाया कि टिकट के नाम पर उनसे पांच लाख रुपए लिए। क्या मामला है? संजय निषाद: चुनाव लड़ने वालों का चरित्र सभी को पता है। वह कभी सपा, बसपा तो कभी भाजपा में जाते हैं। दावेदार एक दर्जन हैं, सीट रहेगी तो ही टिकट देंगे। वह हमारे कार्यकर्ता के साथ संपर्क में रहा होगा। मुझसे तो कभी संपर्क भी नहीं किया। निषाद पार्टी के खिलाफ विपक्ष की ओर से आरोप लगवाया जा रहा है, क्योंकि निषाद पार्टी और संजय निषाद का कारवां बढ़ रहा है। आरोप लगाने वाले ने कभी निषाद समाज के लिए धरना-प्रदर्शन नहीं किया। कभी पार्टी में नहीं मिला। भास्कर: हरिशंकर बिंद का कहना है कि वह दिल्ली में आपसे मिले थे। 2 करोड़ में डील हुई थी? संजय निषाद: दिल्ली में मुझसे मिलने कई लोग आए थे। पता नहीं ये कब मिले? जो लोग भी टिकट के लिए मेरे पास आए, मैंने भाजपा में भेज दिया था। भाजपा बड़ा भाई है। वे जिसे-जितना योग्य समझें, उन्हें टिकट दें। भास्कर: हरिशंकर बिंद आरोप लगा रहे हैं कि आप केवल पैसे से टिकट देते हैं? संजय निषाद: ऐसा नहीं है, अगर ऐसा है तो सबूत दें। मैंने उसके बारे में रिपोर्ट मंगाई तो सामने आया है कि हरिशंकर बिंद खुद ही फूलन देवी की जमीन पर कब्जा किए बैठा है। सपा सरकार के समय निषादों की नौकरी लगाने के नाम पर पैसा लिया था। पहले जेल भी गया है। हमने भाजपा से पूछा कि किस कारण टिकट नहीं दिया, तो भाजपा ने इस तरह की कमी बताई। वह निषाद समाज के कई लोगों की जमीन पर कब्जा कर उन्हें प्रताड़ित करता है। यह बात सरकार की पड़ताल में भी सामने आई। ऐसे आदमी को कैसे टिकट दे सकते हैं? भास्कर: सपा सांसद रामभुआल निषाद का आरोप है आप परिवार के लिए निषाद समाज का इस्तेमाल करते हैं? संजय निषाद: जो आरोप लगा रहे हैं, वह पहले अपनी पार्टी में देखें कि स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव के परिवार के कितने सांसद हैं। जहां तक परिवार की बात है, तो निषाद समाज के लिए राजनीति करता हूं। अयोध्या में अभी समाज की एक लड़की के साथ दुराचार हुआ। विपक्षी दल के सांसद समाज की बेटी की जगह आरोपी के साथ जाकर खड़े हो गए। भास्कर: निषाद समाज को अनुसूचित जाति में आरक्षण कब मिलेगा? संजय निषाद: मैंने गृहमंत्री अमित शाह को बता दिया है कि निषाद समाज को एससी का आरक्षण नहीं मिलने से नाराजगी है। इसी नाराजगी के कारण लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को नुकसान हुआ। हमने कह दिया कि अगर जीत चाहिए, तो आरक्षण दीजिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी चाहते हैं कि निषाद समाज को एससी में शामिल किया जाए। अमित शाह ने उपचुनाव जीतने के बाद मामले में कार्रवाई आगे बढ़ाने का आश्वासन दिया है। मैं समझता हूं कि आने वाले समय में समाज को एससी में शामिल कर लिया जाएगा। भास्कर: क्या आप खुद को 2027 का खेवनहार मानते हैं? संजय निषाद: राजधानी में ऐसे पोस्टर लगाए गए हैं, उसकी मुझे जानकारी नहीं। अजय कुमार कार्यकर्ता हैं, उनका व्यक्तिगत विचार है। लेकिन निषादराज भगवान राम के खेवनहार थे। निषाद समाज पहले कांग्रेस, सपा और बसपा का भी खेवनहार रहा। इसलिए निषाद समाज तो खेवनहार है। जिसका बटन निषाद दबाएगा, वही पार हो जाएगा। जिसने निषादों को धोखा दिया, वह खुद भी धोखा खाया। भास्कर: आरक्षण में ‘कोटे में कोटा’ देने पर सरकार विचार कर रही है। आपकी इस पर राय? संजय निषाद: आरक्षण एक अवसर है। जब हम एक टोकरी में चना रख देंगे, तो ताकतवर घोड़ा सब चना खा जाएगा। कमजोर घोड़े के हिस्से कुछ नहीं आता। यह (कोटे में कोटा) तो संविधान सभा में पास हुआ है। जो कमजोर और उजड़े लोग हैं, उन्हें मौका दिया जाए। सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट कहती है कि कुछ ही परिवार के लोग अपनी संख्या के औसत से सौ गुना सरकारी नौकरी में हैं। आरक्षण का पूरा लाभ नहीं उठाने वाले कमजोर और वंचित तबके के लिए यह व्यवस्था लागू होनी चाहिए। भास्कर: उपचुनाव में आप कितनी सीटों पर प्रचार करने जाएंगे? संजय निषाद: भाजपा हमारे बड़े भाई की तरह है। जहां बड़ा भाई कहेगा, वहीं चुनाव प्रचार के लिए जाएंगे। वैसे मझवां, कटेहरी में निषाद समाज की संख्या ज्यादा है। अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी निषादों की तीस से 40 पंचायतें हैं। भास्कर: विधानसभा उपचुनाव में निषाद पार्टी की क्या भूमिका रहेगी? संजय निषाद: पहले उप मतलब चुप माना जाता था। लेकिन अब मतलब होता है उपाधि। जो जीता, वही सिकंदर। हम लोग जीत के लिए काम कर रहे हैं। त्रेतायुग में भगवान राम ने निषादराज को इसलिए साथ लिया था कि जो दुख देने वाला है, उस पर जीत हासिल की जाए। कांग्रेस इतनी बड़ी पार्टी है। वह यूपी में अस्थिरता पैदा करने और अशांति फैलाने के लिए एक क्षेत्रीय पार्टी को समर्थन कर सकती है। तो हम यूपी को सर्वोत्तम प्रदेश बनाने के लिए निश्चित तौर पर भाजपा के साथ हैं। उपचुनाव भाजपा जीतेगी। भास्कर: उपचुनाव में भाजपा ने हमेशा सहयोगी दलों को उनकी सीट दी, फिर आपको क्यों नहीं? संजय निषाद: यह सही है कि पहले सहयोगी दलों को सीट दी है। मैंने प्रस्ताव दिया था कि मेरा प्रत्याशी भाजपा के सिंबल पर लड़ा दीजिए या भाजपा का प्रत्याशी मेरे सिंबल पर लड़ा दीजिए। हमारा कार्यकर्ता अब राजनीतिक रूप से प्रशिक्षित है, इसलिए गलत संदेश नहीं जाएगा। भास्

Oct 27, 2024 - 06:15
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उपचुनाव में टिकट न मिलने से निषाद पार्टी नाराज!:संजय निषाद बोले- रामगोपाल से नहीं मिला; पैसे से टिकट देने पर भी दिया जवाब
यूपी उपचुनाव में भाजपा ने गठबंधन की सहयोगी निषाद पार्टी को एक भी सीट नहीं दी। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि पार्टी अध्यक्ष संजय निषाद इससे नाराज हैं। बीते दिनों ऐसी चर्चा भी सामने आई कि संजय निषाद ने सपा महासचिव रामगोपाल यादव से मुलाकात की थी। इस सबके बीच निषाद पर टिकट के लिए पैसे मांगने का आरोप भी लगा है। 13 नवंबर को होने वाली वोटिंग से पहले दैनिक भास्कर ने कई मुद्दों पर संजय निषाद से बात की। उपचुनाव में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिलने को कैसे देखते हैं? रालोद को टिकट मिला तो निषाद पार्टी को क्यों नहीं? निषाद समाज के लिए ‘कोटे में कोटा’ के लिए क्या कर रहे हैं? टिकट देने में पैसा लेने के आरोप पर क्या कहेंगे? सभी सवालों का संजय निषाद ने बेबाकी से जवाब दिया। पूरा इंटरव्यू पढ़िए… भास्कर: हरिशंकर बिंद ने आरोप लगाया कि टिकट के नाम पर उनसे पांच लाख रुपए लिए। क्या मामला है? संजय निषाद: चुनाव लड़ने वालों का चरित्र सभी को पता है। वह कभी सपा, बसपा तो कभी भाजपा में जाते हैं। दावेदार एक दर्जन हैं, सीट रहेगी तो ही टिकट देंगे। वह हमारे कार्यकर्ता के साथ संपर्क में रहा होगा। मुझसे तो कभी संपर्क भी नहीं किया। निषाद पार्टी के खिलाफ विपक्ष की ओर से आरोप लगवाया जा रहा है, क्योंकि निषाद पार्टी और संजय निषाद का कारवां बढ़ रहा है। आरोप लगाने वाले ने कभी निषाद समाज के लिए धरना-प्रदर्शन नहीं किया। कभी पार्टी में नहीं मिला। भास्कर: हरिशंकर बिंद का कहना है कि वह दिल्ली में आपसे मिले थे। 2 करोड़ में डील हुई थी? संजय निषाद: दिल्ली में मुझसे मिलने कई लोग आए थे। पता नहीं ये कब मिले? जो लोग भी टिकट के लिए मेरे पास आए, मैंने भाजपा में भेज दिया था। भाजपा बड़ा भाई है। वे जिसे-जितना योग्य समझें, उन्हें टिकट दें। भास्कर: हरिशंकर बिंद आरोप लगा रहे हैं कि आप केवल पैसे से टिकट देते हैं? संजय निषाद: ऐसा नहीं है, अगर ऐसा है तो सबूत दें। मैंने उसके बारे में रिपोर्ट मंगाई तो सामने आया है कि हरिशंकर बिंद खुद ही फूलन देवी की जमीन पर कब्जा किए बैठा है। सपा सरकार के समय निषादों की नौकरी लगाने के नाम पर पैसा लिया था। पहले जेल भी गया है। हमने भाजपा से पूछा कि किस कारण टिकट नहीं दिया, तो भाजपा ने इस तरह की कमी बताई। वह निषाद समाज के कई लोगों की जमीन पर कब्जा कर उन्हें प्रताड़ित करता है। यह बात सरकार की पड़ताल में भी सामने आई। ऐसे आदमी को कैसे टिकट दे सकते हैं? भास्कर: सपा सांसद रामभुआल निषाद का आरोप है आप परिवार के लिए निषाद समाज का इस्तेमाल करते हैं? संजय निषाद: जो आरोप लगा रहे हैं, वह पहले अपनी पार्टी में देखें कि स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव के परिवार के कितने सांसद हैं। जहां तक परिवार की बात है, तो निषाद समाज के लिए राजनीति करता हूं। अयोध्या में अभी समाज की एक लड़की के साथ दुराचार हुआ। विपक्षी दल के सांसद समाज की बेटी की जगह आरोपी के साथ जाकर खड़े हो गए। भास्कर: निषाद समाज को अनुसूचित जाति में आरक्षण कब मिलेगा? संजय निषाद: मैंने गृहमंत्री अमित शाह को बता दिया है कि निषाद समाज को एससी का आरक्षण नहीं मिलने से नाराजगी है। इसी नाराजगी के कारण लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को नुकसान हुआ। हमने कह दिया कि अगर जीत चाहिए, तो आरक्षण दीजिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी चाहते हैं कि निषाद समाज को एससी में शामिल किया जाए। अमित शाह ने उपचुनाव जीतने के बाद मामले में कार्रवाई आगे बढ़ाने का आश्वासन दिया है। मैं समझता हूं कि आने वाले समय में समाज को एससी में शामिल कर लिया जाएगा। भास्कर: क्या आप खुद को 2027 का खेवनहार मानते हैं? संजय निषाद: राजधानी में ऐसे पोस्टर लगाए गए हैं, उसकी मुझे जानकारी नहीं। अजय कुमार कार्यकर्ता हैं, उनका व्यक्तिगत विचार है। लेकिन निषादराज भगवान राम के खेवनहार थे। निषाद समाज पहले कांग्रेस, सपा और बसपा का भी खेवनहार रहा। इसलिए निषाद समाज तो खेवनहार है। जिसका बटन निषाद दबाएगा, वही पार हो जाएगा। जिसने निषादों को धोखा दिया, वह खुद भी धोखा खाया। भास्कर: आरक्षण में ‘कोटे में कोटा’ देने पर सरकार विचार कर रही है। आपकी इस पर राय? संजय निषाद: आरक्षण एक अवसर है। जब हम एक टोकरी में चना रख देंगे, तो ताकतवर घोड़ा सब चना खा जाएगा। कमजोर घोड़े के हिस्से कुछ नहीं आता। यह (कोटे में कोटा) तो संविधान सभा में पास हुआ है। जो कमजोर और उजड़े लोग हैं, उन्हें मौका दिया जाए। सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट कहती है कि कुछ ही परिवार के लोग अपनी संख्या के औसत से सौ गुना सरकारी नौकरी में हैं। आरक्षण का पूरा लाभ नहीं उठाने वाले कमजोर और वंचित तबके के लिए यह व्यवस्था लागू होनी चाहिए। भास्कर: उपचुनाव में आप कितनी सीटों पर प्रचार करने जाएंगे? संजय निषाद: भाजपा हमारे बड़े भाई की तरह है। जहां बड़ा भाई कहेगा, वहीं चुनाव प्रचार के लिए जाएंगे। वैसे मझवां, कटेहरी में निषाद समाज की संख्या ज्यादा है। अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी निषादों की तीस से 40 पंचायतें हैं। भास्कर: विधानसभा उपचुनाव में निषाद पार्टी की क्या भूमिका रहेगी? संजय निषाद: पहले उप मतलब चुप माना जाता था। लेकिन अब मतलब होता है उपाधि। जो जीता, वही सिकंदर। हम लोग जीत के लिए काम कर रहे हैं। त्रेतायुग में भगवान राम ने निषादराज को इसलिए साथ लिया था कि जो दुख देने वाला है, उस पर जीत हासिल की जाए। कांग्रेस इतनी बड़ी पार्टी है। वह यूपी में अस्थिरता पैदा करने और अशांति फैलाने के लिए एक क्षेत्रीय पार्टी को समर्थन कर सकती है। तो हम यूपी को सर्वोत्तम प्रदेश बनाने के लिए निश्चित तौर पर भाजपा के साथ हैं। उपचुनाव भाजपा जीतेगी। भास्कर: उपचुनाव में भाजपा ने हमेशा सहयोगी दलों को उनकी सीट दी, फिर आपको क्यों नहीं? संजय निषाद: यह सही है कि पहले सहयोगी दलों को सीट दी है। मैंने प्रस्ताव दिया था कि मेरा प्रत्याशी भाजपा के सिंबल पर लड़ा दीजिए या भाजपा का प्रत्याशी मेरे सिंबल पर लड़ा दीजिए। हमारा कार्यकर्ता अब राजनीतिक रूप से प्रशिक्षित है, इसलिए गलत संदेश नहीं जाएगा। भास्कर: क्या भाजपा आपको कमजोर मानती है? आप जीत नहीं पाएंगे? संजय निषाद: भाजपा नेतृत्व का कहना था कि उपचुनाव में दोनों सीटों पर भाजपा प्रत्याशी को लड़ाने का अवसर दे दिया जाए। आगे जो चुनाव होगा, वह मिलकर लड़ेंगे। हमने भाजपा को बड़ा भाई मानकर छोड़ दिया था। भास्कर: चर्चा है, आपकी बीते दिनों सपा महासचिव रामगोपाल यादव से मुलाकात हुई थी? संजय निषाद: मैंने सपा महासचिव रामगोपाल यादव से मुलाकात नहीं की। मैं भाजपा के साथ हूं। जब भाजपा मेरे लिए अपने दरवाजे बंद कर देगी, तो हम किसी अन्य के बारे में सोचेंगे। सपा ने दरवाजा बंद किया, बसपा से गठबंधन किया। इसके बाद मैं भाजपा में आया। विधानसभा चुनाव 2022 में जब भाजपा के दूसरे सहयोगी भाग रहे थे, मैं तब भी भाजपा के साथ रहा। भाजपा सरकार में ही निषाद समाज का भला हो रहा है। यह तब ही संभव है, जब हम भाजपा सरकार में रहें। भास्कर: भाजपा के सहयोगी दलों में सबसे कमजोर आपकी पार्टी को माना जाता है। ऐसा क्यों? संजय निषाद: हम मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के सखा निषादराज के वंशज हैं। हम मर्यादित राजनीति करते हैं। किसी छोटी चीज के लिए अमर्यादित नहीं हो सकते। लोग सोचते हैं कि सहयोगी दलों के पास बड़े मंत्रालय हैं। हमारे पास छोटा मंत्रालय है, इसलिए हम कमजोर हैं। ----------------------- ये भी पढ़ें... 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