कंपनी के लिस्ट होने से पहले भी निवेश का मौका, जानें प्री-आईपीओ में मिलने वाले लाभ और रिस्क | Indiatwoday
भारत के प्राइमरी शेयर मार्केट में कुछ महीनों से तेजी देखी जा रही है। इस साल अब तक 121 आईपीओ आ चुके हैं। बीएसई के आंकड़ों से पता चलता है कि लिस्टिंग पर 107 आईपीओ ने निवेशकों को रिटर्न दिया है। हालांकि, आईपीओ की आवंटन प्रक्रिया जटिल होती है। डिमांड ज्यादा होने पर रिटेल निवेशकों को शेयर मिलना मुश्किल हो जाता है। बहुत सारे रिटेल निवेशक जानना चाहते हैं कि क्या वे किसी कंपनी के स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने से पहले उसके शेयर खरीद सकते हैं? जवाब है कि प्री-आईपीओ के जरिए ऐसा किया जा सकता है। प्री-आईपीओ क्या है? यह स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने से पहले ही किसी कंपनी के शेयर खरीदने का तरीका है। ये शेयर आम तौर पर संस्थागत निवेशकों, वेंचर कैपिटलिस्ट या हाई-नेट-वर्थ वाले लोगों (अमीर) के लिए उपलब्ध होते हैं। प्री-आईपीओ निवेश का मुख्य आकर्षण ये है कि यह आईपीओ की तुलना में कम दाम पर शेयर खरीदने का मौका होता है। हालांकि, प्री-आईपीओ निवेश में कुछ जोखिम भी हैं। अनलिस्टेड कंपनियों में अक्सर पारदर्शिता और लिक्विडिटी यानी कभी भी बेचने की गुंजाइश कम होती है। इनका वैल्युएशन अनिश्चित होता है। इसकी कोई गारंटी नहीं है कि कंपनी मार्केट में लिस्ट होगी भी या नहीं, या लिस्टिंग के बाद इनके शेयर की कीमत बढ़ेगी ही। नॉन-लिस्टेड कंपनियों के शेयर ऐसे खरीद सकते हैं... इन बातों का ध्यान जरूर रखें
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