करेले से किसानों की जिंदगी मे आ रही मिठास:आयुर्वेदिक गुणों के कारण आम सब्जियों से खास, नगदी फसल ने किसानों को बनाया मालामाल

कौशांबी। जिले के मूरतगंज ब्लॉक स्थित पट्टी नरवर गांव में किसान करेले की खेती के जरिए अपनी जिंदगी बदल रहे हैं। परंपरागत खेती से होने वाले सीमित लाभ को छोड़कर गांव के किसानों ने 250 बीघे से ज्यादा भूमि पर करेला उगाकर नगदी फसल का सफल उदाहरण पेश किया है। जुलाई का महीना इन किसानों के लिए विशेष मायने रखता है। दो से तीन महीनों में तैयार होने वाली करेले की फसल ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारा, बल्कि उन्हें अपनी मेहनत का कई गुना मुनाफा कमाने का मौका भी दिया है। खुले बाजार में करेले की बिक्री से किसानों को लागत से कहीं अधिक लाभ मिल रहा है। करेले की खेती में सरकारी सहयोग उद्यान विभाग ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत पट्टी नरवर गांव में किसानों को बड़े पैमाने पर करेले की खेती के लिए अनुदान दिया। उद्यान विभाग की सहायता से गांव में लगभग 1000 बीघे भूमि पर करेले की खेती हो रही है।आंकड़े बताते हैं कि एक बीघे में करेला उगाने से किसान 50,000 से 80,000 रुपये का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं। यह पहल न केवल उनकी आय बढ़ाने में मददगार साबित हो रही है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बना रही है। आयुर्वेदिक गुण बढ़ा रहे डिमांड उद्यान अधिकारी सुरेंद्र राम भास्कर ने बताया कि करेले की आयुर्वेदिक विशेषताओं के कारण इसकी मांग सालभर बनी रहती है। यह डायबिटीज जैसी बीमारियों के इलाज में रामबाण माना जाता है। किसानों को इस मांग का लाभ मिल रहा है, जिससे वे पूरे साल मुनाफा कमा रहे हैं। परंपरागत खेती से नगदी फसल की ओर रुझान गांव के किसान अब परंपरागत खेती के बजाय नगदी फसलों को तरजीह दे रहे हैं। यह बदलाव उनके जीवन स्तर में सुधार लाने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में एक नई दिशा दिखा रहा है। करेले की खेती का यह मॉडल अन्य गांवों के लिए प्रेरणा बन रहा है। करेले की खेती ने साबित कर दिया है कि मेहनत और सही मार्गदर्शन से किसानी भी फायदे का सौदा बन सकती है।

Dec 2, 2024 - 14:50
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करेले से किसानों की जिंदगी मे आ रही मिठास:आयुर्वेदिक गुणों के कारण आम सब्जियों से खास, नगदी फसल ने किसानों को बनाया मालामाल
कौशांबी। जिले के मूरतगंज ब्लॉक स्थित पट्टी नरवर गांव में किसान करेले की खेती के जरिए अपनी जिंदगी बदल रहे हैं। परंपरागत खेती से होने वाले सीमित लाभ को छोड़कर गांव के किसानों ने 250 बीघे से ज्यादा भूमि पर करेला उगाकर नगदी फसल का सफल उदाहरण पेश किया है। जुलाई का महीना इन किसानों के लिए विशेष मायने रखता है। दो से तीन महीनों में तैयार होने वाली करेले की फसल ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारा, बल्कि उन्हें अपनी मेहनत का कई गुना मुनाफा कमाने का मौका भी दिया है। खुले बाजार में करेले की बिक्री से किसानों को लागत से कहीं अधिक लाभ मिल रहा है। करेले की खेती में सरकारी सहयोग उद्यान विभाग ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत पट्टी नरवर गांव में किसानों को बड़े पैमाने पर करेले की खेती के लिए अनुदान दिया। उद्यान विभाग की सहायता से गांव में लगभग 1000 बीघे भूमि पर करेले की खेती हो रही है।आंकड़े बताते हैं कि एक बीघे में करेला उगाने से किसान 50,000 से 80,000 रुपये का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं। यह पहल न केवल उनकी आय बढ़ाने में मददगार साबित हो रही है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बना रही है। आयुर्वेदिक गुण बढ़ा रहे डिमांड उद्यान अधिकारी सुरेंद्र राम भास्कर ने बताया कि करेले की आयुर्वेदिक विशेषताओं के कारण इसकी मांग सालभर बनी रहती है। यह डायबिटीज जैसी बीमारियों के इलाज में रामबाण माना जाता है। किसानों को इस मांग का लाभ मिल रहा है, जिससे वे पूरे साल मुनाफा कमा रहे हैं। परंपरागत खेती से नगदी फसल की ओर रुझान गांव के किसान अब परंपरागत खेती के बजाय नगदी फसलों को तरजीह दे रहे हैं। यह बदलाव उनके जीवन स्तर में सुधार लाने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में एक नई दिशा दिखा रहा है। करेले की खेती का यह मॉडल अन्य गांवों के लिए प्रेरणा बन रहा है। करेले की खेती ने साबित कर दिया है कि मेहनत और सही मार्गदर्शन से किसानी भी फायदे का सौदा बन सकती है।

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