किन्नौर में पहली बार स्नो स्कल्पचर प्रशिक्षण शुरू:दिल्ली की अभ्युदय टीम दे रही ट्रेनिंग, विंटर टूरिज्म और रोजगार को बढ़ावा
किन्नौर जिले के रकछम में तीन दिवसीय आइस स्कल्पचर प्रशिक्षण और कार्यशाला की शुरुआत हो गई है। उपायुक्त डॉ अमित कुमार शर्मा ने इसका उद्घाटन किया। कार्यशाला का संचालन दिल्ली की अभ्युदय टीम कर रही है। यह टीम विश्व स्तर की आइस स्कल्पचर प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी है। उपायुक्त शर्मा ने बताया कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में विंटर टूरिज्म को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि यूरोप और अमेरिका में स्नो स्कल्पचरिंग फेस्टिवल्स काफी लोकप्रिय हैं। रकछम में इस तरह की गतिविधियों के लिए उपयुक्त वातावरण है। पर्यटन को बढ़ावा और रोजगार का अवसर अभ्युदय टीम के सदस्य सुनील कुशवाह, रजनीश वर्मा, मोहम्मद सुल्तान और रवि प्रकाश ने बताया कि किन्नौर में पहली बार शुरू हुए इस आयोजन को लेकर लोगों में उत्साह है। उनका मानना है कि इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। इन टीमों ने लिया हिस्सा कार्यशाला में रकछम युवक मंडल, महिला मंडल, आईटीबीपी, हिमाचल पुलिस और आर्मी की टीमें हिस्सा ले रही हैं। जिला प्रशासन ने भविष्य में विश्व स्तर के आइस फेस्टिवल के आयोजन का आश्वासन दिया है। कार्यक्रम में एसपी किन्नौर अभिषेक शेखर, एडीएम एवं जिला पर्यटन अधिकारी डॉ मेजर शांशक गुप्ता और रकछम के प्रधान सुशील नेगी समेत कई लोग उपस्थित थे।

किन्नौर में पहली बार स्नो स्कल्पचर प्रशिक्षण शुरू
किन्नौर आज एक नई दिशा में कदम बढ़ा रहा है, जहां पहली बार स्नो स्कल्पचर प्रशिक्षण शुरू किया गया है। यह प्रशिक्षण दिल्ली की अभ्युदय टीम द्वारा प्रदान किया जा रहा है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विंटर टूरिज्म को बढ़ावा देना और रोजगार के अवसर सृजित करना है। स्नो स्कल्पचर, या बर्फ की आकृतियों का निर्माण, एक कला है जो न केवल पर्यटन को आकर्षित करती है बल्कि स्थानीय कलाकारों को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका देती है।
स्नो स्कल्पचर का महत्व
स्नो स्कल्पचर एक अद्वितीय कला है जिसमें बर्फ से विभिन्न आकृतियों और शिल्पों का निर्माण किया जाता है। किन्नौर की बर्फीली पहाड़ियों में यह कला यहां के एक अद्भुत संस्कृति का हिस्सा बन सकती है। इस प्रशिक्षण से स्थानीय लोगों को न केवल नई स्किल्स सीखने को मिलेंगी, बल्कि यह उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त भी बनाएगी।
दिल्ली की अभ्युदय टीम की भूमिका
दिल्ली की अभ्युदय टीम ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में अपनी विशेषज्ञता साझा की है। उनकी अनुभवी टीम स्नो स्कल्पचर की तकनीक को धीरे-धीरे सिखाने के लिए किन्नौर आई है। इस पहल के जरिए, स्थानीय प्रतिभाओं को नए अवसर और प्लेटफॉर्म मिलने की उम्मीद है। जो स्थानीय समुदाय के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।
विंटर टूरिज्म को बढ़ावा
इस कार्यक्रम का उद्देश्य सिर्फ प्रशिक्षण देना नहीं है, बल्कि विंटर टूरिज्म को बढ़ावा देना भी है। जैसे-जैसे स्नो स्कल्पचर की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी, पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
Future Prospects
इस पहल के आधार पर, किन्नौर में स्नो स्कल्पचर प्रशिक्षण का आयोजन आगे भी जारी रहेगा। यदि यह कार्यक्रम सफल रहा, तो अपेक्षित है कि इसे अन्य हिमालयी क्षेत्रों में भी लागू किया जाएगा। यह पहलों से भारत में विंटर टूरिज्म को एक नई पहचान मिलने की संभावना है।
याद रखें, इस तरह की गतिविधियाँ सिर्फ स्थानीय कला को ही नहीं, बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन सकती हैं। सभी शिल्पकारों और प्रशिक्षुओं को इस ट्रेनिंग में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
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