गुलामी से मिली आजादी, मनाई गई भालुओं की वर्षगांठ:वाइल्ड लाइस एसओएस ने भालुओं को दी फ्रूट केक की पार्टी
गुलामी की जंजीरों से बाहर निकल कर मौली,आर्थर और रॉन ने आजादी के पांच साल पूरे कर लिए हैं। वर्ष 2019 में वाइल्ड लाइफ एसओएस टीम ने पांच भालुओं को भारत नेपाल सीमा के पास से रेस्क्यू किया था। इनमें से अब केवल तीन भालू ही जीवित बचे हैं। वाइल्डलाइफ एसओएस की एंटी पोचिंग यूनिट ‘फॉरेस्ट वॉच’ ने 2019 में झारखंड वन विभाग और पुलिस अधिकारियों की मदद से भारत-नेपाल सीमा के पास पांच स्लॉथ भालूओं को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराया था। उनमे से तीन जीवित भालू मौली,आर्थर और रॉन वाइल्डलाइफ एसओएस के आगरा भालू संरक्षण केंद्र में अपनी आज़ादी के पांच वर्ष पूरे कर चुके हैं। जो उनके पुनर्वास की यात्रा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। दर्दभरी है पांचों भालुओं की कहानी पांच भालू, जिनका नाम प्यार से हैरी पॉटर श्रृंखला के वीज़ली परिवार के नाम पर रखा गया है। इससे पहले कठोर वातावरण में रह रहे थे। उनके दांत तोड़ दिए गए थे। नाज़ुक थूथन को गर्म लोहे की छड़ से छेद दिया गया था। उन्हें मोटी रस्सियों से बांधकर रखा जाता था। इन भालुओं को नियंत्रण में रखने के लिए क्रूर तरीके अपनाए जाते थे। क्रूरता की सारी हदें झेल चुके जिन्नी और चार्ली दो स्लॉथ भालुओं का लीवर कैंसर के कारण निधन हो गया। शेष तीन -मौली (मादा भालू) और आर्थर और रॉन दोनों नर भालू ने दोस्ती का रिश्ता बना लिया है। अपने नए घर में तीनों सुखद जीवन जी रहे हैं। विशेषज्ञ पशु चिकित्सकर करते हैं देखभाल मौली, आर्थर और रॉन की देखभाल विशेषज्ञ पशु चिकित्सा टीम द्वारा की जाती है। मौली की हड्डियों को स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए कैल्शियम की खुराक दी जाती है। आर्थर को पूरक आहार दिया जा रहा है। सबसे छोटे रॉन को रिकवरी में सहायता के लिए अतिरिक्त विटामिन दिए जा रहे हैं। वर्षगांठ पर भालुओं की दी गई फलों की दावत पांचवीं रेस्क्यू वर्षगांठ पर टीम ने भालुओं के लिए दावत का इंतजाम किया। टीम ने उन्हें दलिया, बाजरा, तरबूज, सेब, अनानास और पपीता समेत ढेर सारे फल खाने के लिए दिए। भालू के पसंदीदा फलों से केक तैयार किया। स्वादिष्ट बनाने के लिए उस पर शहद का छिड़काव भी किया गया। मौली, आर्थर और रॉन ने फलों की दावत का जमकर लुत्फ उठाया। वाइल्डलाइफ एसओएस की पशु-चिकित्सा सेवाओं के उप-निदेशक डॉ एस इलियाराजा ने कहा कि इतने कष्ट झेलने के बाद भी इन भालुओं को फलते-फूलते देखकर बहुत अच्छा लगता है। वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा कि मौली, आर्थर और रॉन की यह यात्रा बचाव और पुनर्वास की शक्ति का प्रतीक है।
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