गोरखपुरी के काव्य संग्रह “एहसास-ए-वफा” का हुआ विमोचन:साहित्यिक सितारों ने की शिरकत, गंगा-जमुनी संस्कृति की जीवंत मिसाल हुई पेश

गोरखपुर में साहित्य और संस्कृति का एक अभूतपूर्व आयोजन हुआ। जब प्रतिष्ठित कवि, शिक्षाशास्त्री, और राष्ट्रपति सम्मान प्राप्त तारकेश्वर नाथ श्रीवास्तव ‘वफा’ गोरखपुरी के 23वें काव्य संग्रह “एहसास-ए-वफा” का विमोचन किया गया। इस अनूठे साहित्यिक समारोह में देश के जाने-माने साहित्यकार, शिक्षाविद् और इतिहासकारों ने अपनी उपस्थिति से आयोजन को गरिमा प्रदान की। इस ऐतिहासिक विमोचन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जेएनयू के प्रोफेसर ख़्वाजा मोहम्मद इक़रामुद्दीन, गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. आर.डी. राय, प्रख्यात इतिहासकार डॉ. दरख्शां ताजवर, उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के पूर्व अध्यक्ष चौधरी कैफुल वरा अंसारी, और साहित्यकार डॉ. दुष्यंत सिंह मौजूद रहे। कार्यक्रम का आयोजन होटल प्रगति इन, विजय चौक में किया गया। गंगा-जमुनी तहज़ीब के प्रतिनिधि डॉ. दरख्शां ताजवर ने वफा गोरखपुरी की साहित्यिक यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा, “वफा साहब गंगा-जमुनी संस्कृति की अद्भुत मिसाल हैं। उनकी कविताओं में इंसानियत की सच्ची भावना झलकती है। वे केवल कवि नहीं, बल्कि एक विचारधारा हैं, जो समाज में प्रेम और एकता की अलख जगाते हैं।” वफा साहब का साहित्यिक कद: फिराक के समकक्ष कार्यक्रम में प्रो. ख़्वाजा मोहम्मद इक़रामुद्दीन को वफा फैंस क्लब द्वारा उनके उर्दू साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए “सपास-नामा” से सम्मानित किया गया। उन्होंने वफा गोरखपुरी की रचनाओं की प्रशंसा करते हुए कहा, “वफा साहब की कविताएं पाठकों के दिलों में गहरी जगह बनाती हैं। उनकी भाषा की सादगी और भावों की गहराई अद्वितीय है। गोरखपुर के साहित्यिक इतिहास में उनका स्थान फिराक़ गोरखपुरी के समकक्ष है।” समाज का दर्पण हैं वफा गोरखपुरी की कविताएं प्रो. आर.डी. राय ने कहा, “वफा गोरखपुरी की कविताएं समाज की पीड़ा और संघर्ष का आईना हैं। वे अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज को सोचने और बदलाव की दिशा में प्रेरित करते हैं।” कविता पाठ से सजी शाम कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण वफा गोरखपुरी का कविता पाठ रहा। उनकी पंक्तियां: “अपनों में और गैरों में खींचे गए बहुत, हम दोस्ती के नाम पर लूटे गए बहुत।” ने श्रोताओं को गहराई से छुआ। साथ ही, अन्य कवियों ने भी अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से समां बांधा। सलाम फैज़ी, डॉ. शोएब नदीम, फर्रुख़ जमाल, और अरशद राही जैसे कवियों ने अपनी प्रस्तुतियों से शाम को साहित्यिक उत्सव में बदल दिया। सलाम फैज़ी की ये पंक्तियां विशेष सराही गईं: “मैं दोस्तों की अजब सरज़मीं में उतरा, कोई तो दिल में, कोई आस्तीन में उतरा” साहित्य प्रेमियों का जमावड़ा कार्यक्रम में गोरखपुर के साहित्यकार, कवि, और समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने भारी संख्या में उपस्थिति दर्ज कराई। आयोजन का समापन अरशद राही ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया। साहित्य के आकाश में एक नई रोशनी “एहसास-ए-वफा” वफा गोरखपुरी की साहित्यिक यात्रा का एक और मील का पत्थर है। यह संग्रह न केवल उर्दू साहित्य को समृद्ध करता है, बल्कि पाठकों को मानवीय संवेदनाओं से जोड़ता है। इस आयोजन ने गोरखपुर को एक बार फिर साहित्यिक गतिविधियों के केंद्र में ला खड़ा किया।

Nov 25, 2024 - 05:20
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गोरखपुरी के काव्य संग्रह “एहसास-ए-वफा” का हुआ विमोचन:साहित्यिक सितारों ने की शिरकत, गंगा-जमुनी संस्कृति की जीवंत मिसाल हुई पेश
गोरखपुर में साहित्य और संस्कृति का एक अभूतपूर्व आयोजन हुआ। जब प्रतिष्ठित कवि, शिक्षाशास्त्री, और राष्ट्रपति सम्मान प्राप्त तारकेश्वर नाथ श्रीवास्तव ‘वफा’ गोरखपुरी के 23वें काव्य संग्रह “एहसास-ए-वफा” का विमोचन किया गया। इस अनूठे साहित्यिक समारोह में देश के जाने-माने साहित्यकार, शिक्षाविद् और इतिहासकारों ने अपनी उपस्थिति से आयोजन को गरिमा प्रदान की। इस ऐतिहासिक विमोचन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जेएनयू के प्रोफेसर ख़्वाजा मोहम्मद इक़रामुद्दीन, गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. आर.डी. राय, प्रख्यात इतिहासकार डॉ. दरख्शां ताजवर, उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के पूर्व अध्यक्ष चौधरी कैफुल वरा अंसारी, और साहित्यकार डॉ. दुष्यंत सिंह मौजूद रहे। कार्यक्रम का आयोजन होटल प्रगति इन, विजय चौक में किया गया। गंगा-जमुनी तहज़ीब के प्रतिनिधि डॉ. दरख्शां ताजवर ने वफा गोरखपुरी की साहित्यिक यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा, “वफा साहब गंगा-जमुनी संस्कृति की अद्भुत मिसाल हैं। उनकी कविताओं में इंसानियत की सच्ची भावना झलकती है। वे केवल कवि नहीं, बल्कि एक विचारधारा हैं, जो समाज में प्रेम और एकता की अलख जगाते हैं।” वफा साहब का साहित्यिक कद: फिराक के समकक्ष कार्यक्रम में प्रो. ख़्वाजा मोहम्मद इक़रामुद्दीन को वफा फैंस क्लब द्वारा उनके उर्दू साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए “सपास-नामा” से सम्मानित किया गया। उन्होंने वफा गोरखपुरी की रचनाओं की प्रशंसा करते हुए कहा, “वफा साहब की कविताएं पाठकों के दिलों में गहरी जगह बनाती हैं। उनकी भाषा की सादगी और भावों की गहराई अद्वितीय है। गोरखपुर के साहित्यिक इतिहास में उनका स्थान फिराक़ गोरखपुरी के समकक्ष है।” समाज का दर्पण हैं वफा गोरखपुरी की कविताएं प्रो. आर.डी. राय ने कहा, “वफा गोरखपुरी की कविताएं समाज की पीड़ा और संघर्ष का आईना हैं। वे अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज को सोचने और बदलाव की दिशा में प्रेरित करते हैं।” कविता पाठ से सजी शाम कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण वफा गोरखपुरी का कविता पाठ रहा। उनकी पंक्तियां: “अपनों में और गैरों में खींचे गए बहुत, हम दोस्ती के नाम पर लूटे गए बहुत।” ने श्रोताओं को गहराई से छुआ। साथ ही, अन्य कवियों ने भी अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से समां बांधा। सलाम फैज़ी, डॉ. शोएब नदीम, फर्रुख़ जमाल, और अरशद राही जैसे कवियों ने अपनी प्रस्तुतियों से शाम को साहित्यिक उत्सव में बदल दिया। सलाम फैज़ी की ये पंक्तियां विशेष सराही गईं: “मैं दोस्तों की अजब सरज़मीं में उतरा, कोई तो दिल में, कोई आस्तीन में उतरा” साहित्य प्रेमियों का जमावड़ा कार्यक्रम में गोरखपुर के साहित्यकार, कवि, और समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने भारी संख्या में उपस्थिति दर्ज कराई। आयोजन का समापन अरशद राही ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया। साहित्य के आकाश में एक नई रोशनी “एहसास-ए-वफा” वफा गोरखपुरी की साहित्यिक यात्रा का एक और मील का पत्थर है। यह संग्रह न केवल उर्दू साहित्य को समृद्ध करता है, बल्कि पाठकों को मानवीय संवेदनाओं से जोड़ता है। इस आयोजन ने गोरखपुर को एक बार फिर साहित्यिक गतिविधियों के केंद्र में ला खड़ा किया।

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