चित्रकूट में भारत मिलाप का आयोजन:अयोध्या से भगवान राम को मनाने पहुंचे संत, भक्तों ने किया भव्य स्वागत

अयोध्या की रामलीला समाप्त होने के बाद भारत को राम से मिलाने के लिए निकली पावन यात्रा बुधवार को चित्रकूट पहुंची। नेत्र गोपाल दास महाराज के नेतृत्व में यह यात्रा अयोध्या से प्रारंभ होकर कामद गिरि परिक्रमा मार्ग स्थित भरत मिलाप मंदिर तक पहुंची। यात्रा का मार्ग में जगह-जगह भव्य स्वागत और सत्कार किया गया। इस पवित्र अवसर पर राम और भरत के मिलन का भावुक दृश्य उपस्थित जन समूह को देखने को मिला। इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए चित्रकूट के संत-महंत, श्रद्धालु, और विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। इसमें कमलनयन दास, विमल दास, राम मनोहर दास, और नेपाल से आए त्रिदंडी जगतगुरु महायोगी सिद्ध बाबा प्रमुख रूप से शामिल हुए। नेत्र गोपाल दास महाराज ने जानकारी दी कि यह पवित्र परंपरा पिछले 50 वर्षों से अनवरत चल रही है। अयोध्या में रामलीला समाप्त होते ही यह यात्रा आरंभ होती है, जिसमें संत और भक्त भगवान श्रीराम को मनाने के लिए चित्रकूट आते हैं। चित्रकूट की मान्यता के अनुसार- वनवास काल के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम चित्रकूट में ठहरे थे। इसी दौरान भरत, अयोध्या से चलकर अपने बड़े भाई राम को मनाने यहां आए थे। भरत मिलाप मंदिर आज भी उस ऐतिहासिक क्षण का प्रतीक है, जहां उनके चरण चिन्ह अंकित हैं। श्रद्धालुओं के बीच इस मिलन का दृश्य अत्यंत भावुक और आस्था से परिपूर्ण रहा। भक्तों ने जय श्री राम के जयकारों से चित्रकूट की वादियों को गुंजायमान कर दिया।

Nov 20, 2024 - 16:45
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चित्रकूट में भारत मिलाप का आयोजन:अयोध्या से भगवान राम को मनाने पहुंचे संत, भक्तों ने किया भव्य स्वागत
अयोध्या की रामलीला समाप्त होने के बाद भारत को राम से मिलाने के लिए निकली पावन यात्रा बुधवार को चित्रकूट पहुंची। नेत्र गोपाल दास महाराज के नेतृत्व में यह यात्रा अयोध्या से प्रारंभ होकर कामद गिरि परिक्रमा मार्ग स्थित भरत मिलाप मंदिर तक पहुंची। यात्रा का मार्ग में जगह-जगह भव्य स्वागत और सत्कार किया गया। इस पवित्र अवसर पर राम और भरत के मिलन का भावुक दृश्य उपस्थित जन समूह को देखने को मिला। इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए चित्रकूट के संत-महंत, श्रद्धालु, और विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। इसमें कमलनयन दास, विमल दास, राम मनोहर दास, और नेपाल से आए त्रिदंडी जगतगुरु महायोगी सिद्ध बाबा प्रमुख रूप से शामिल हुए। नेत्र गोपाल दास महाराज ने जानकारी दी कि यह पवित्र परंपरा पिछले 50 वर्षों से अनवरत चल रही है। अयोध्या में रामलीला समाप्त होते ही यह यात्रा आरंभ होती है, जिसमें संत और भक्त भगवान श्रीराम को मनाने के लिए चित्रकूट आते हैं। चित्रकूट की मान्यता के अनुसार- वनवास काल के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम चित्रकूट में ठहरे थे। इसी दौरान भरत, अयोध्या से चलकर अपने बड़े भाई राम को मनाने यहां आए थे। भरत मिलाप मंदिर आज भी उस ऐतिहासिक क्षण का प्रतीक है, जहां उनके चरण चिन्ह अंकित हैं। श्रद्धालुओं के बीच इस मिलन का दृश्य अत्यंत भावुक और आस्था से परिपूर्ण रहा। भक्तों ने जय श्री राम के जयकारों से चित्रकूट की वादियों को गुंजायमान कर दिया।

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