चुनाव आयोग ने पंचायत चुनावों की आचार संहिता को किया वापस, नामांकन प्रक्रिया अनिश्चित
रैबार डेस्क: पंचायत चुनावों में आरक्षण के मामले पर हाईकोर्ट के सख्त रुख और रोक... The post चुनाव आयोग ने वापस ली पंचायत चुनावों की आचार संहिता, कल से नहीं होगी नामांकन प्रक्रिया appeared first on Uttarakhand Raibar.

चुनाव आयोग ने पंचायत चुनावों की आचार संहिता को किया वापस, नामांकन प्रक्रिया अनिश्चित
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रैबार डेस्क: उत्तराखंड में पंचायत चुनावों की आचार संहिता को वापस लेते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने नामांकन प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है। यह निर्णय उच्च न्यायालय द्वारा आरक्षण के मुद्दे पर सख्त रुख दिखाने और रोक लगाने के बाद लिया गया है। 25 जून को नामांकन शुरू होने की संभावना थी, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है।
हाईकोर्ट की रोक का प्रभाव
उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा पंचायत चुनावों पर लगाए गए प्रतिबंध के कारण राज्य निर्वाचन आयोग ने आचार संहिता को समाप्त करने का निर्णय लिया है। आयोग का कहना है कि जब तक चुनाव प्रक्रिया साफ नहीं होती, आचार संहिता का लागू रहना उचित नहीं है। इस फैसले ने चुनावी गतिविधियों को एक तरह से ठप कर दिया है।
आरक्षण विषयक प्रश्न
राज्य निर्वाचन आयोग ने 14 जून को त्रिस्तरीय पंचायत उपचुनावों की अधिसूचना जारी की थी, जिसमें हरिद्वार को छोड़कर राज्य के 13 जनपदों में आचार संहिता लागू की गई थी। इस निर्णय को न्यायालय में चुनौती दी गई, जिसमें चुनाव प्रक्रिया और आरक्षण से जुड़े मुद्दे उठाए गए। 19 जून को कोर्ट ने चुनाव पर स्थगन आदेश जारी किया और अब 25 जून को अगली सुनवाई होगी।
परिस्थितियों का अवलोकन
राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि जब चुनाव नहीं हो रहे हैं, तो आचार संहिता का बना रहना प्रशासनिक कार्यों में बाधा बन सकता है। ऐसे में चुनावी गतिविधियों में रुकावट आ रही है, जिससे उम्मीदवारों एवं राजनीतिक दलों को काफी निराशा का सामना करना पड़ रहा है।
आयोग की स्थिति
आयोग ने एक बयान में कहा है कि चुनाव प्रक्रिया की अस्थायी बाधा को देखते हुए आचार संहिता को समाप्त करना सबसे अच्छा कदम है। चुनावी प्रक्रिया के फिर से शुरू होते ही आचार संहिता पुनः लागू कर दी जाएगी, ताकि चुनावों में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे।
निष्कर्ष
पंचायत चुनावों की आचार संहिता का वापस लेना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन कर सकता है। न्यायालय का फैसला और आयोग की प्रतिक्रिया ने कई सवाल खड़े किए हैं, और यह जरूरी है कि आगामी सुनवाई में न्यायालय अपने निर्णय में स्पष्टता लाए। इस फैसले का प्रभाव केवल राजनीतिक नेताओं पर नहीं, बल्कि आम मतदाताओं पर भी पड़ेगा। सभी संबंधित व्यक्तियों को यह जानने की आवश्यकता है कि चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की बाधा लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है।
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सादर,
टीम इंडिया ट्वोडे - कुमुदिनी शर्मा
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