जमीन घोटाले में फंसे अपर नगर आयुक्त:बोले- बाबू की गलती से हुआ पूरा प्रकरण; शासन से माफ हुआ था स्टांप शुल्क, जांच तेज
मेरठ में तैनाती के दौरान 1100 करोड़ रुपए की जमीन के नामांतरण में फंसे कानपुर नगर निगम में तैनात अपर नगर आयुक्त अमित कुमार भारतीय ने अपना पक्ष रखा। मामले में उन्होंने बताया कि उनकी तैनाती से पहले का ये मामला था। इसमें शासन से ही स्टांप शुल्क को माफी के आदेश जारी किए गए थे। लेकिन बाबू ने आदेश को खतौनी में दर्ज नहीं किया। जिससे ये पूरा प्रकरण सामने आया। इस प्रकार है पूरा मामला अपर नगर आयुक्त ने पक्ष रखते हुए कहा कि वर्ष-1971 में बनी कंपनी मोदी रबड़ वर्ष-2001 में दिवालिया हो गई। बोर्ड ऑफ इंडस्ट्रियल एंड फाइनेंशियल रिकंस्ट्रक्शन (BFIR) ट्रिब्यूनल ने आदेश जारी किए कि मोदी टायर इस कंपनी को चलाए। इसके बाद कंपनी को दी गई 27 एकड़ जमीन को कंपनी के नाम ट्रांसफर किया गया। इसकी प्रक्रिया 2008 में शुरू की गई। इसमें जमीन के स्टांप शुल्क के लिए 7 परसेंट राजस्व शुल्क दिया जाना था। लेकिन कंपनी ने शासन में स्टांप शुल्क में छूट देने के लिए आवेदन किया। राज्यपाल ने दी थी स्टांप शुल्क में छूट मामले में राज्यपाल द्वारा वर्ष-2011 में शुल्क में छूट दे दी गई। लेकिन इसमें अपील पैनल लॉयर्स ने 2013 में आपत्ति दाखिल की। लेकिन एसडीएम पद पर तैनात अखंड प्रताप सिंह ने ये अपील सुनवाई के बाद खारिज की दी। बोले बाबू की गलती से नहीं चढ़ा आदेश अपर नगर आयुक्त ने बताया कि इस आदेश को वर्ष-2013 में खतौनी में दर्ज हो जाना चाहिए था। लेकिन तब बाबू की गलती की वजह से दर्ज नहीं हुआ। वर्ष-2020 में जब मैं एसडीएम पद पर तैनात था तब प्रकरण मेरे संज्ञान में उच्चाधिकारियों द्वारा लाया गया। जिस पर मैंने नामांतरण प्रक्रिया को पूरा कर दिया। इस पूरे प्रकरण में कहीं भी मेरे आदेश नहीं हैं। अपर नगर आयुक्त के मुताबिक मामले में 2022 में इस प्रकरण की जांच 3 सदस्यीय कमेटी ने भी की थी। जिसमें क्लीनचिट मिल गई थी। मंडलायुक्त ने जांच की तेज दैनिक भास्कर में खबर प्रकाशित होने के बाद मंडलायुक्त अमित गुप्ता ने मामले में जांच तेज कर दी है। अपर नगर आयुक्त को जल्द जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। वहीं अपर नगर आयुक्त ने जवाब दाखिल करने के लिए शासनादेश की कॉपी समेत सभी कागजों को जुटाना शुरू कर दिया है।
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