जरूरत की खबर- कार में लॉक हुई बच्ची की मौत:चाइल्ड कार सेफ्टी के 14 टिप्स, बच्चा कार में बंद हो जाए तो क्या करें
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में एक 3 साल की मासूम बच्ची की कार में दम घुटने से मौत हो गई। बच्ची को उसका पड़ोसी कार में घुमाने ले गया था। इसके बाद वह बच्ची को कार में लॉक करके दोस्तों के साथ शराब पीने चला गया। मासूम बच्ची 4 घंटे तक कार में बंद रही, जिससे उसकी मौत हो गई। कुछ दिन पहले ऐसी ही एक घटना गुजरात के अमरेली जिले में हुई थी, जहां कार में दम घुटने से एक ही परिवार के चार बच्चों की मौत हो गई थी। चारों बच्चे कार में खेल रहे थे। इस दौरान कार का गेट लॉक हो गया। भीतर दम घुटने से बच्चों की मौत हो गई। इससे पहले भी कई ऐसी घटनाएं देखने को मिली हैं। अक्सर पेरेंट्स बच्चों को कार में छोड़कर बाहर शॉपिंग करने चले जाते हैं। या बच्चे खुद अकेले होने पर कार में खुद को लॉक कर लेते हैं। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पेरेंट्स को बहुत सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। इसलिए आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि कार में बच्चों की सेफ्टी को लेकर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट- डॉ. अंशु शर्मा, बाल रोग विशेषज्ञ (मथुरा) सवाल- कार के अंदर ज्यादा समय तक लॉक होने पर बच्चे की मौत भी हो सकती है। ऐसा क्यों होता है? जवाब- बंद कार में ज्यादा समय तक रहने पर एयरफ्लो बंद हो जाता है, जिससे कार के भीतर ऑक्सीजन लेवल कम होने लगता है। धीरे–धीरे कार में कार्बन डाईऑक्साइड का लेवल बढ़ने लगता है और ऑक्सीजन का लेवल कम होने लगता है। एक पॉइंट के बाद सांस लेना नामुमकिन हो जाता है और अंदर मौजूद व्यक्ति का दम घुटने लगता है। साथ ही गर्मी की वजह से कार के अंदर कार्बन मोनोऑक्साइड गैस का लेवल भी बढ़ता है। इससे भी भीतर दम घुटने लगता है। इसके अलावा अगर कार धूप में खड़ी है और उसका एसी बंद है तो कुछ ही देर में अंदर का टेम्परेचर बाहर के मुकाबले करीब दोगुना हो सकता है। ऐसे में ओवरहीटिंग की वजह से भी दम घुट सकता है। कुल मिलाकर बंद गाड़ी के अंदर ज्यादा देर तक सांस ले पाना मुमकिन नहीं है। अगर कोई लंबे समय तक ऐसी स्थिति में फंस जाए तो सांस न ले पाने की वजह से उसकी मृत्यु हो सकती है। सवाल- कार में बच्चों के साथ ट्रैवल करते समय किन बातों का ख्याल रखना चाहिए? जवाब- कार में बच्चों की मौत या गंभीर दुर्घटनाओं की एक बड़ी वजह पेरेंट्स की लापरवाही है। अक्सर पेरेंट्स बच्चों को कार में अकेला छोड़कर शॉपिंग करने चले जाते हैं। बच्चा कई घंटे तक अकेला कार में बंद रहता है। ऐसे में कोई हादसा हो सकता है। इसलिए बच्चों के साथ ट्रैवलिंग करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। नीचे दिए ग्राफिक से इसे समझिए। आइए ग्राफिक में दिए कुछ पॉइंट्स के बारे में विस्तार से बात करते हैं। कार खरीदते समय चाइल्ड सेफ्टी फीचर्र जरूर देखें अगर आप नई कार खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो उसमें चाइल्ड सेफ्टी फीचर्स का जरूर ध्यान रखें। इसमें चाइल्ड सेफ्टी लॉक, चाइल्ड सीट और सीटबेल्ट रिमाइंडर जैसी चीजें अहम हैं। बच्चों को कार के बटनों से दूर रहना सिखाएं आजकल ऑटोमैटिक कारें आती हैं। इसमें बटन दबाकर गियर बदलने से लेकर कार की खिड़की या सनरूफ खुलने तक की सुविधाएं होती हैं। बच्चों का इन बटनों से खेलना खतरनाक हो सकता है। इसलिए पेरेंट्स बच्चों को सिखाएं कि इन बटनों को दबाना डेंजर है। इन्हें दबाने से क्या हो सकता है। छोटे बच्चे को हमेशा पीछे की सीट पर बिठाएं अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (AAP) के मुताबिक, 13 साल से कम उम्र के बच्चों को हमेशा पिछली सीट पर ही बैठना चाहिए। दुर्घटना की स्थिति में पीछे की सीट आगे की सीट की तुलना में 70% अधिक सेफ होती है। इसके अलावा बच्चे को कभी भी फ्रंट एयर बैग वाली सीट पर नहीं बिठाना चाहिए। फ्रंट एयर बैग्स एडल्ट व्यक्ति के मुताबिक डिजाइन किए जाते हैं। अचानक उसके खुलने से बच्चे को गंभीर चोट लग सकती है या उसका दम घुट सकता है। छोटे बच्चों के लिए चाइल्ड सीट लगवाएं अगर आपके घर में कोई छोटा बच्चा है तो अपनी कार में अलग से चाइल्ड सीट जरूर लगवाएं। चाइल्ड सीट के बिना बच्चे के साथ ट्रैवल नहीं करना चाहिए। चाइल्ड सीट से दुर्घटना की स्थिति में बच्चे को अतिरिक्त सुरक्षा मिलती है। हालांकि अपने बच्चे की उम्र, लंबाई और वजन के अनुसार ही चाइल्ड सीट लगवाएं। कार में 'बेबी ऑन बोर्ड' का स्टिकर जरूर लगाएं अगर आप बच्चों के साथ ट्रैवल कर रहे हैं तो कार के पीछे 'बेबी ऑन बोर्ड' का स्टिकर जरूर लगाएं। इसका अर्थ है कि कार में बच्चा है। यह संकेत अन्य वाहन चालकों को सावधान करने के लिए लगाया जाता है, जिससे वे कार के आसपास से गुजरते समय अधिक सावधानी बरतें। इसके अलावा अगर कोई दुर्घटना होती है तो यह स्टिकर आपातकालीन सेवाओं को बताता है कि कार में शिशु या छोटा बच्चा है, जिससे वे तुरंत आवश्यक मदद दे सकें। चलती कार में बच्चे को खाने-पीने की चीजें न दें चलती कार में स्नैक्स खाने से वह बच्चे के गले में फंस सकता है, जिससे सांस लेने में परेशानी हो सकती है। इसलिए बच्चों को ड्रिंक्स–स्नैक्स वगैरह कार रोककर ही देने चाहिए। इसके अलावा चलती कार में शिशुओं को ब्रेस्टफीडिंग (स्तनपान) कराने से भी बचना चाहिए। सवाल- अगर बच्चा कार में लॉक हो जाए तो क्या करें? जवाब- अगर गलती से बच्चा कार में लॉक हो गया है तो पेरेंट्स को बिना धैर्य खोए कुछ तरीके अपनाने चाहिए। नीचे दिए ग्राफिक में इन्हें देख सकते हैं। नोट– इस स्टोरी की शुरुआत हाल की जिस घटना से हुई, उसमें सबसे बड़ा विलेन शराब भी है। इसलिए शराब, ड्रग्स या किसी भी तरह के नशे को लेकर सावधानी बरतना बहुत जरूरी है। अगर घर में, गाड़ी में या पब्लिक प्लेस पर भी आपके साथ कोई बच्चा है तो शराब को बिल्कुल हाथ न लगाएं। शराब हमारी मेमोरी, विवेक और निर्णय लेने की क्षमता को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करती है। ऐसे में एडल्ट बच्चों को प्रोटेक्ट करने में पूरी तरह सक्षम नहीं होते। …………….. जरूरत की ये खबर भी पढ़िए जरूरत की खबर- क्रिकेटर मुशीर खान का कार एक्सीडेंट:क्या 5 स्टार रेटिंग है सेफ
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में एक 3 साल की मासूम बच्ची की कार में दम घुटने से मौत हो गई। बच्ची को उसका पड़ोसी कार में घुमाने ले गया था। इसके बाद वह बच्ची को कार में लॉक करके दोस्तों के साथ शराब पीने चला गया। मासूम बच्ची 4 घंटे तक कार में बंद रही, जिससे उसकी मौत हो गई। कुछ दिन पहले ऐसी ही एक घटना गुजरात के अमरेली जिले में हुई थी, जहां कार में दम घुटने से एक ही परिवार के चार बच्चों की मौत हो गई थी। चारों बच्चे कार में खेल रहे थे। इस दौरान कार का गेट लॉक हो गया। भीतर दम घुटने से बच्चों की मौत हो गई। इससे पहले भी कई ऐसी घटनाएं देखने को मिली हैं। अक्सर पेरेंट्स बच्चों को कार में छोड़कर बाहर शॉपिंग करने चले जाते हैं। या बच्चे खुद अकेले होने पर कार में खुद को लॉक कर लेते हैं। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पेरेंट्स को बहुत सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। इसलिए आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि कार में बच्चों की सेफ्टी को लेकर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट- डॉ. अंशु शर्मा, बाल रोग विशेषज्ञ (मथुरा) सवाल- कार के अंदर ज्यादा समय तक लॉक होने पर बच्चे की मौत भी हो सकती है। ऐसा क्यों होता है? जवाब- बंद कार में ज्यादा समय तक रहने पर एयरफ्लो बंद हो जाता है, जिससे कार के भीतर ऑक्सीजन लेवल कम होने लगता है। धीरे–धीरे कार में कार्बन डाईऑक्साइड का लेवल बढ़ने लगता है और ऑक्सीजन का लेवल कम होने लगता है। एक पॉइंट के बाद सांस लेना नामुमकिन हो जाता है और अंदर मौजूद व्यक्ति का दम घुटने लगता है। साथ ही गर्मी की वजह से कार के अंदर कार्बन मोनोऑक्साइड गैस का लेवल भी बढ़ता है। इससे भी भीतर दम घुटने लगता है। इसके अलावा अगर कार धूप में खड़ी है और उसका एसी बंद है तो कुछ ही देर में अंदर का टेम्परेचर बाहर के मुकाबले करीब दोगुना हो सकता है। ऐसे में ओवरहीटिंग की वजह से भी दम घुट सकता है। कुल मिलाकर बंद गाड़ी के अंदर ज्यादा देर तक सांस ले पाना मुमकिन नहीं है। अगर कोई लंबे समय तक ऐसी स्थिति में फंस जाए तो सांस न ले पाने की वजह से उसकी मृत्यु हो सकती है। सवाल- कार में बच्चों के साथ ट्रैवल करते समय किन बातों का ख्याल रखना चाहिए? जवाब- कार में बच्चों की मौत या गंभीर दुर्घटनाओं की एक बड़ी वजह पेरेंट्स की लापरवाही है। अक्सर पेरेंट्स बच्चों को कार में अकेला छोड़कर शॉपिंग करने चले जाते हैं। बच्चा कई घंटे तक अकेला कार में बंद रहता है। ऐसे में कोई हादसा हो सकता है। इसलिए बच्चों के साथ ट्रैवलिंग करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। नीचे दिए ग्राफिक से इसे समझिए। आइए ग्राफिक में दिए कुछ पॉइंट्स के बारे में विस्तार से बात करते हैं। कार खरीदते समय चाइल्ड सेफ्टी फीचर्र जरूर देखें अगर आप नई कार खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो उसमें चाइल्ड सेफ्टी फीचर्स का जरूर ध्यान रखें। इसमें चाइल्ड सेफ्टी लॉक, चाइल्ड सीट और सीटबेल्ट रिमाइंडर जैसी चीजें अहम हैं। बच्चों को कार के बटनों से दूर रहना सिखाएं आजकल ऑटोमैटिक कारें आती हैं। इसमें बटन दबाकर गियर बदलने से लेकर कार की खिड़की या सनरूफ खुलने तक की सुविधाएं होती हैं। बच्चों का इन बटनों से खेलना खतरनाक हो सकता है। इसलिए पेरेंट्स बच्चों को सिखाएं कि इन बटनों को दबाना डेंजर है। इन्हें दबाने से क्या हो सकता है। छोटे बच्चे को हमेशा पीछे की सीट पर बिठाएं अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (AAP) के मुताबिक, 13 साल से कम उम्र के बच्चों को हमेशा पिछली सीट पर ही बैठना चाहिए। दुर्घटना की स्थिति में पीछे की सीट आगे की सीट की तुलना में 70% अधिक सेफ होती है। इसके अलावा बच्चे को कभी भी फ्रंट एयर बैग वाली सीट पर नहीं बिठाना चाहिए। फ्रंट एयर बैग्स एडल्ट व्यक्ति के मुताबिक डिजाइन किए जाते हैं। अचानक उसके खुलने से बच्चे को गंभीर चोट लग सकती है या उसका दम घुट सकता है। छोटे बच्चों के लिए चाइल्ड सीट लगवाएं अगर आपके घर में कोई छोटा बच्चा है तो अपनी कार में अलग से चाइल्ड सीट जरूर लगवाएं। चाइल्ड सीट के बिना बच्चे के साथ ट्रैवल नहीं करना चाहिए। चाइल्ड सीट से दुर्घटना की स्थिति में बच्चे को अतिरिक्त सुरक्षा मिलती है। हालांकि अपने बच्चे की उम्र, लंबाई और वजन के अनुसार ही चाइल्ड सीट लगवाएं। कार में 'बेबी ऑन बोर्ड' का स्टिकर जरूर लगाएं अगर आप बच्चों के साथ ट्रैवल कर रहे हैं तो कार के पीछे 'बेबी ऑन बोर्ड' का स्टिकर जरूर लगाएं। इसका अर्थ है कि कार में बच्चा है। यह संकेत अन्य वाहन चालकों को सावधान करने के लिए लगाया जाता है, जिससे वे कार के आसपास से गुजरते समय अधिक सावधानी बरतें। इसके अलावा अगर कोई दुर्घटना होती है तो यह स्टिकर आपातकालीन सेवाओं को बताता है कि कार में शिशु या छोटा बच्चा है, जिससे वे तुरंत आवश्यक मदद दे सकें। चलती कार में बच्चे को खाने-पीने की चीजें न दें चलती कार में स्नैक्स खाने से वह बच्चे के गले में फंस सकता है, जिससे सांस लेने में परेशानी हो सकती है। इसलिए बच्चों को ड्रिंक्स–स्नैक्स वगैरह कार रोककर ही देने चाहिए। इसके अलावा चलती कार में शिशुओं को ब्रेस्टफीडिंग (स्तनपान) कराने से भी बचना चाहिए। सवाल- अगर बच्चा कार में लॉक हो जाए तो क्या करें? जवाब- अगर गलती से बच्चा कार में लॉक हो गया है तो पेरेंट्स को बिना धैर्य खोए कुछ तरीके अपनाने चाहिए। नीचे दिए ग्राफिक में इन्हें देख सकते हैं। नोट– इस स्टोरी की शुरुआत हाल की जिस घटना से हुई, उसमें सबसे बड़ा विलेन शराब भी है। इसलिए शराब, ड्रग्स या किसी भी तरह के नशे को लेकर सावधानी बरतना बहुत जरूरी है। अगर घर में, गाड़ी में या पब्लिक प्लेस पर भी आपके साथ कोई बच्चा है तो शराब को बिल्कुल हाथ न लगाएं। शराब हमारी मेमोरी, विवेक और निर्णय लेने की क्षमता को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करती है। ऐसे में एडल्ट बच्चों को प्रोटेक्ट करने में पूरी तरह सक्षम नहीं होते। …………….. जरूरत की ये खबर भी पढ़िए जरूरत की खबर- क्रिकेटर मुशीर खान का कार एक्सीडेंट:क्या 5 स्टार रेटिंग है सेफ, कैसे देखें सेफ्टी-रेटिंग, कार लेने से पहले क्या चेक करें हाल ही में भारतीय क्रिकेटर सरफराज खान के भाई मुशीर खान कार एक्सीडेंट में घायल हो गए। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर उनकी तेज रफ्तार फॉर्च्यूनर पलट गई। पूरी खबर पढ़ें...