जरूरत की खबर- बच्चों का औसत स्क्रीन टाइम 7 घंटे:टेक्नोलॉजी न बन जाए जान की दुश्मन, साइकेट्रिस्ट से जानिए डिजिटल डिटॉक्स के टिप्स
आज के डिजिटल युग में हम सब के लिए स्क्रीन टाइम एक अहम चुनौती बन चुका है। स्मार्टफोन, टैबलेट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुके हैं। इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है। ये डिवाइस बच्चों के लिए जानकारी देने वाले और मनोरंजक हो सकते हैं, परंतु उनका अधिक इस्तेमाल बच्चों की सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। स्क्रीन पर अधिक समय बिताने से बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। हालांकि, आजकल के पैरेंट्स के लिए बच्चों के स्क्रीनटाइम पर लगाम लगाना एक मुश्किल काम है। कई बार जोर-जबरदस्ती की वजह से पैरेंट्स अपने बच्चों के लिए ही विलेन बन जाते हैं। ऐसे में डिजिटल डिटॉक्स एक प्रभावी उपाय है, जो बच्चों को स्क्रीन के दुष्प्रभावों से बचाने में मदद कर सकता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन ड्रग एब्यूज (NIDA) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टीनएजर्स प्रतिदिन 7 घंटे, 22 मिनट स्क्रीन पर बिताते हैं। जबकि इस रिसर्च में स्कूल में पढ़ाई के दौरान इस्तेमाल होने वाले कंप्यूटर स्क्रीन टाइम को शामिल नहीं किया गया है। ऐसे में आज हम जरूरत की खबर में बात करेंगे डिजिटल डिटॉक्स की और जानेंगे कि - सवाल- डिजिटल डिटॉक्स क्या होता है? जवाब- आज के समय में बड़ी संख्या में लोग स्मार्टफोन, इंटरनेट, कंप्यूटर की लत से पीड़ित हैं। इस लत से छुटकारा पाने की प्रक्रिया को डिजिटल डिटॉक्स कहा जाता है। इस प्रक्रिया में कुछ समय के लिए डिजिटल डिवाइस जैसे स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टैबलेट और सोशल मीडिया से दूरी बना लेते हैं। सवाल- बच्चों में स्क्रीन टाइम के दुष्प्रभाव क्या हो सकते हैं? जवाब- स्क्रीन पर अधिक समय व्यतीत करना बच्चों के शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए नुकसानदायक है। लगातार स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित रखने से बच्चों की आंखों पर दबाव बढ़ता है, जिससे आंखों में जलन, धुंधला दिखना, सिर दर्द और एंग्जाइटी जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसके अलावा, स्क्रीन का अधिक इस्तेमाल बच्चों में एकाग्रता की कमी, नींद में बाधा और चिड़चिड़ापन बढ़ा सकता है। सवाल- डिजिटल डिटॉक्स जरूरी क्यों है? जवाब- बच्चों का स्क्रीन पर अधिक समय बिताना उनके समाजिक विकास में कमी ला सकता है। अधिक स्क्रीन टाइम इस उम्र में मस्तिष्क के विकास के साथ उनके शारीरिक विकास में बाधा बन सकता है। सवाल- स्क्रीन टाइम को कैसे कम कर सकते हैं? जवाब- बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने के लिए माता-पिता कुछ आसान और असरदार तरीके अपना सकते हैं। ये तरीके न केवल बच्चों के स्क्रीन समय को सीमित करते हैं, बल्कि उन्हें स्क्रीन के विकल्प में अन्य रचनात्मक गतिविधियों में भी व्यस्त रख सकते हैं। स्क्रीन टाइम तय करें बच्चों का स्क्रीन टाइम सीमित करने का सबसे आसान तरीका है कि आप उनके लिए एक समय सीमा तय करें। जैसे रोजाना केवल एक या दो घंटे ही स्क्रीन के लिए रखें। उन्हें यह समझाएं कि उनका स्क्रीन टाइम कब शुरू होगा और कब खत्म होगा। डिजिटल उपकरणों इस्तेमाल सीमित करें बच्चों को केवल एजूकेशन संबंधी चीजों के लिए स्क्रीन इस्तेमाल की अनुमति दें। साथ ही अपनी आदतों में भी बदलाव लाएं और बच्चों के सामने फोन का इस्तेमाल करने से बचें। ‘नो स्क्रीन’ डे रखें सप्ताह में एक दिन "नो स्क्रीन डे" के रूप में मनाएं। यह दिन रचनात्मक कामों में लगाएं। बच्चों को इस दिन ऐसी एक्टिविटीज में शामिल करें, जिसके लिए वे उत्साहपूर्वक इस दिन का इंतजार करें। सवाल- डिजिटल डिटॉक्स के लिए कौन से उपाय करें? जवाब- बच्चों के स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए कुछ आसान और असरदार तरीके अपनाए जा सकते हैं। इन तरीकों से न केवल बच्चों का स्क्रीन टाइम घटाया जा सकता है, बल्कि उनका ध्यान भी अन्य रचनात्मक कार्यों में लगाया जा सकता है। पढ़ाई में उनकी रुचि बढ़ाएं बच्चों को किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करें। उन्हें मजेदार और ज्ञानवर्धक किताबें लाकर दें ताकि वे पढ़ाई को एंजॉय कर सकें। बच्चों को कहानियों, चित्र पुस्तकों और ज्ञानवर्धक किताबों की ओर आकर्षित करने से वे पढ़ाई में ध्यान लगाएंगे और डिजिटल उपकरणों से दूर रहेंगे। प्रकृति के संपर्क में लाएं बच्चों को बाहर ले जाएं, जहां वे प्रकृति के करीब जा सकें। पार्क में घुमाना, पहाड़ों पर ट्रैकिंग करना या बगीचे में समय बिताना उनके लिए काफी फायदेमंद होता है। बच्चों के साथ आर्ट और क्राफ्टिंग करें बच्चों को आर्ट और क्राफ्ट से जोड़ना उनके स्क्रीन टाइम को कम करने का बेहतरीन तरीका है। उन्हें चित्र बनाना, रंग भरना, या कोई अन्य क्राफ्ट बनाना सिखाएं, ताकि उनका ध्यान स्क्रीन की जगह इन रचनात्मक गतिविधियों पर जाए। फैमिली एक्टिविटी प्लान करें बच्चों को परिवार के साथ समय बिताने की आदत डालें। घर पर बोर्ड गेम्स खेलें, कहानी सुनाएं या फिर उनके साथ कुकिंग करें। यह न केवल बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करेगा बल्कि परिवार के सदस्यों के बीच एक गहरा रिश्ता भी बनाएगा। डिजिटल डिवाइस का अल्टरनेटिव दें बच्चों को स्क्रीन के विकल्प के रूप में अन्य रचनात्मक गतिविधियों का सुझाव दें। उन्हें खेलकूद, किताबें पढ़ना, पेंटिंग और अन्य कार्यों में रुचि बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करें। इसके अलावा, आप बच्चों को उन कार्यों में व्यस्त रख सकते हैं जो उनकी रुचियों के अनुकूल हों, जैसे – म्यूजिक, डांस, या किसी नए कौशल को सीखना। खुद में भी बदलाव लाएं बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने के लिए माता-पिता का खुद स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण होना चाहिए। अगर माता-पिता खुद स्क्रीन के सामने कम समय बिताएंगे, तो बच्चे भी उसी व्यवहार को अपनाएंगे। स्क्रीन टाइम का असर देखें स्क्रीन टाइम को सीमित करने के बाद आप बच्चों के व्यवहार में कुछ बदलाव देख सकते हैं। बच्चों की एकाग्रता, नींद की गुणवत्ता, और सामाजिक व्यवहार में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। बच्चों की शारीरिक गतिविधियों में भी सुधार आ सकता है, जिससे उनका संपूर्ण विकास होता है। .............. स्क्रीनटाइम के नुकसान से जुड़ी ये खबर भ
आज के डिजिटल युग में हम सब के लिए स्क्रीन टाइम एक अहम चुनौती बन चुका है। स्मार्टफोन, टैबलेट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुके हैं। इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है। ये डिवाइस बच्चों के लिए जानकारी देने वाले और मनोरंजक हो सकते हैं, परंतु उनका अधिक इस्तेमाल बच्चों की सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। स्क्रीन पर अधिक समय बिताने से बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। हालांकि, आजकल के पैरेंट्स के लिए बच्चों के स्क्रीनटाइम पर लगाम लगाना एक मुश्किल काम है। कई बार जोर-जबरदस्ती की वजह से पैरेंट्स अपने बच्चों के लिए ही विलेन बन जाते हैं। ऐसे में डिजिटल डिटॉक्स एक प्रभावी उपाय है, जो बच्चों को स्क्रीन के दुष्प्रभावों से बचाने में मदद कर सकता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन ड्रग एब्यूज (NIDA) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टीनएजर्स प्रतिदिन 7 घंटे, 22 मिनट स्क्रीन पर बिताते हैं। जबकि इस रिसर्च में स्कूल में पढ़ाई के दौरान इस्तेमाल होने वाले कंप्यूटर स्क्रीन टाइम को शामिल नहीं किया गया है। ऐसे में आज हम जरूरत की खबर में बात करेंगे डिजिटल डिटॉक्स की और जानेंगे कि - सवाल- डिजिटल डिटॉक्स क्या होता है? जवाब- आज के समय में बड़ी संख्या में लोग स्मार्टफोन, इंटरनेट, कंप्यूटर की लत से पीड़ित हैं। इस लत से छुटकारा पाने की प्रक्रिया को डिजिटल डिटॉक्स कहा जाता है। इस प्रक्रिया में कुछ समय के लिए डिजिटल डिवाइस जैसे स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टैबलेट और सोशल मीडिया से दूरी बना लेते हैं। सवाल- बच्चों में स्क्रीन टाइम के दुष्प्रभाव क्या हो सकते हैं? जवाब- स्क्रीन पर अधिक समय व्यतीत करना बच्चों के शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए नुकसानदायक है। लगातार स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित रखने से बच्चों की आंखों पर दबाव बढ़ता है, जिससे आंखों में जलन, धुंधला दिखना, सिर दर्द और एंग्जाइटी जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इसके अलावा, स्क्रीन का अधिक इस्तेमाल बच्चों में एकाग्रता की कमी, नींद में बाधा और चिड़चिड़ापन बढ़ा सकता है। सवाल- डिजिटल डिटॉक्स जरूरी क्यों है? जवाब- बच्चों का स्क्रीन पर अधिक समय बिताना उनके समाजिक विकास में कमी ला सकता है। अधिक स्क्रीन टाइम इस उम्र में मस्तिष्क के विकास के साथ उनके शारीरिक विकास में बाधा बन सकता है। सवाल- स्क्रीन टाइम को कैसे कम कर सकते हैं? जवाब- बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने के लिए माता-पिता कुछ आसान और असरदार तरीके अपना सकते हैं। ये तरीके न केवल बच्चों के स्क्रीन समय को सीमित करते हैं, बल्कि उन्हें स्क्रीन के विकल्प में अन्य रचनात्मक गतिविधियों में भी व्यस्त रख सकते हैं। स्क्रीन टाइम तय करें बच्चों का स्क्रीन टाइम सीमित करने का सबसे आसान तरीका है कि आप उनके लिए एक समय सीमा तय करें। जैसे रोजाना केवल एक या दो घंटे ही स्क्रीन के लिए रखें। उन्हें यह समझाएं कि उनका स्क्रीन टाइम कब शुरू होगा और कब खत्म होगा। डिजिटल उपकरणों इस्तेमाल सीमित करें बच्चों को केवल एजूकेशन संबंधी चीजों के लिए स्क्रीन इस्तेमाल की अनुमति दें। साथ ही अपनी आदतों में भी बदलाव लाएं और बच्चों के सामने फोन का इस्तेमाल करने से बचें। ‘नो स्क्रीन’ डे रखें सप्ताह में एक दिन "नो स्क्रीन डे" के रूप में मनाएं। यह दिन रचनात्मक कामों में लगाएं। बच्चों को इस दिन ऐसी एक्टिविटीज में शामिल करें, जिसके लिए वे उत्साहपूर्वक इस दिन का इंतजार करें। सवाल- डिजिटल डिटॉक्स के लिए कौन से उपाय करें? जवाब- बच्चों के स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए कुछ आसान और असरदार तरीके अपनाए जा सकते हैं। इन तरीकों से न केवल बच्चों का स्क्रीन टाइम घटाया जा सकता है, बल्कि उनका ध्यान भी अन्य रचनात्मक कार्यों में लगाया जा सकता है। पढ़ाई में उनकी रुचि बढ़ाएं बच्चों को किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करें। उन्हें मजेदार और ज्ञानवर्धक किताबें लाकर दें ताकि वे पढ़ाई को एंजॉय कर सकें। बच्चों को कहानियों, चित्र पुस्तकों और ज्ञानवर्धक किताबों की ओर आकर्षित करने से वे पढ़ाई में ध्यान लगाएंगे और डिजिटल उपकरणों से दूर रहेंगे। प्रकृति के संपर्क में लाएं बच्चों को बाहर ले जाएं, जहां वे प्रकृति के करीब जा सकें। पार्क में घुमाना, पहाड़ों पर ट्रैकिंग करना या बगीचे में समय बिताना उनके लिए काफी फायदेमंद होता है। बच्चों के साथ आर्ट और क्राफ्टिंग करें बच्चों को आर्ट और क्राफ्ट से जोड़ना उनके स्क्रीन टाइम को कम करने का बेहतरीन तरीका है। उन्हें चित्र बनाना, रंग भरना, या कोई अन्य क्राफ्ट बनाना सिखाएं, ताकि उनका ध्यान स्क्रीन की जगह इन रचनात्मक गतिविधियों पर जाए। फैमिली एक्टिविटी प्लान करें बच्चों को परिवार के साथ समय बिताने की आदत डालें। घर पर बोर्ड गेम्स खेलें, कहानी सुनाएं या फिर उनके साथ कुकिंग करें। यह न केवल बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करेगा बल्कि परिवार के सदस्यों के बीच एक गहरा रिश्ता भी बनाएगा। डिजिटल डिवाइस का अल्टरनेटिव दें बच्चों को स्क्रीन के विकल्प के रूप में अन्य रचनात्मक गतिविधियों का सुझाव दें। उन्हें खेलकूद, किताबें पढ़ना, पेंटिंग और अन्य कार्यों में रुचि बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करें। इसके अलावा, आप बच्चों को उन कार्यों में व्यस्त रख सकते हैं जो उनकी रुचियों के अनुकूल हों, जैसे – म्यूजिक, डांस, या किसी नए कौशल को सीखना। खुद में भी बदलाव लाएं बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने के लिए माता-पिता का खुद स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण होना चाहिए। अगर माता-पिता खुद स्क्रीन के सामने कम समय बिताएंगे, तो बच्चे भी उसी व्यवहार को अपनाएंगे। स्क्रीन टाइम का असर देखें स्क्रीन टाइम को सीमित करने के बाद आप बच्चों के व्यवहार में कुछ बदलाव देख सकते हैं। बच्चों की एकाग्रता, नींद की गुणवत्ता, और सामाजिक व्यवहार में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। बच्चों की शारीरिक गतिविधियों में भी सुधार आ सकता है, जिससे उनका संपूर्ण विकास होता है। .............. स्क्रीनटाइम के नुकसान से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए सेहतनामा- मोबाइल स्क्रीन से बच्चों को ड्राई आईज की समस्या:स्क्रीन से छोटे बच्चों की सेहत को ज्यादा खतरा, लिमिट तय करना जरूरी बच्चों का बढ़ता स्क्रीन टाइम आने वाले समय में बड़ी समस्या के रूप में सामने आ सकता है। इससे कई बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। एक स्टडी के मुताबिक, ज्यादा स्क्रीन देखने के कारण बच्चों में ड्राई आंखों की समस्या बढ़ रही है। पूरी खबर पढ़िए