जस्टिस संजीव खन्ना CJI बने, 11 नवंबर को शपथ:6 महीने रहेगा कार्यकाल; अनुच्छेद 370 हटाने को सही बताया था
जस्टिस संजीव खन्ना सुप्रीम कोर्ट के 51वें चीफ जस्टिस होंगे। वे 11 नवंबर को पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे। यह जानकारी गुरुवार को कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दी। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकार से जस्टिस खन्ना के नाम की सिफारिश की थी। CJI चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर हो जाएंगे। परंपरा है कि मौजूदा CJI अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश तभी करते हैं, जब उन्हें कानून मंत्रालय से ऐसा करने का आग्रह किया जाता है। CJI चंद्रचूड़ के बाद वरिष्ठता सूची में जस्टिस संजीव खन्ना का नाम है। इसलिए जस्टिस खन्ना का नाम आगे बढ़ाया था। हालांकि, उनका कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का होगा। 64 साल के जस्टिस खन्ना 13 मई 2025 को रिटायर होंगे। सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर जस्टिस खन्ना ने 65 फैसले लिखे हैं। इस दौरान वे करीब 275 बेंचों का हिस्सा रहे हैं। दिल्ली हाईकोर्ट में 14 साल तक जज रहे जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई की। ग्रेजुएशन के बाद, उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया। सुप्रीम कोर्ट जज बनाए जाने से पहले वे दिल्ली हाईकोर्ट में 14 साल तक जज रहे। उन्हें 2019 में सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था। सुप्रीम कोर्ट जज बनने पर भी हुआ था विवाद 32 जजों की अनदेखी करके जस्टिस खन्ना को सुप्रीम कोर्ट जज बनाने पर जमकर विवाद हुआ था। 10 जनवरी 2019 को कॉलेजियम ने उनकी जगह जस्टिस माहेश्वरी और वरिष्ठता में 33वें स्थान पर जस्टिस खन्ना को प्रमोट करने का फैसला किया। इसके बाद सिफारिश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दस्तखत कर दिए थे। वरीयता को अनदेखा करते हुए CJI बनाने के दो मामले, दोनों इंदिरा सरकार के अप्रैल 1973 में सुप्रीम कोर्ट के तीन सीनियर जजों को दरकिनार करते हुए एएन रे को CJI बनाया गया था।1977 में जब जस्टिस रे रिटायर हुए तो जस्टिस एचआर खन्ना सबसे सीनियर थे। लेकिन, उनकी जगह जस्टिस एमएच बेग को चुना गया। इमरजेंसी के दौरान जस्टिस खन्ना ने इंदिरा सरकार के खिलाफ फैसले सुनाए थे, जस्टिस संजीव खन्ना उन्हीं के भतीजे हैं। जस्टिस संजीव खन्ना के पिता जस्टिस देवराज खन्ना भी दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे। उनके चाचा जस्टिस हंसराज खन्ना भी सुप्रीम कोर्ट जज रहे। यह दुर्लभ संयोग था कि जस्टिस संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर अपना पहला दिन उसी कोर्ट रूम से शुरू किया, जहां से उनके चाचा, दिवंगत जस्टिस एचआर. खन्ना रिटायर हुए थे। सेम सेक्स मैरिज केस की सुनवाई से खुद को अलग किया अगस्त 2024 में समलैंगिक विवाह पर 52 रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई होनी थी, लेकिन सुनवाई से ठीक पहले जस्टिस संजीव खन्ना ने खुद को केस से अलग कर लिया था। सूत्रों के मुताबिक जस्टिस खन्ना ने इसके पीछे निजी कारणों का हवाला दिया था। जस्टिस खन्ना के अलग होने से रिव्यू पिटीशंस पर विचार करने के लिए पांच जजों की नई बेंच बनाना जरूरी हो जाएगा। इसके बाद ही इन पर सुनवाई हो सकेगी। दरअसल, 17 अक्टूबर 2023 को सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में 52 याचिकाएं दायर कर फैसले पर पुर्नविचार करने की मांग रखी गई है। पढ़ें पूरी खबर... जस्टिस संजीव खन्ना के चर्चित केस .............................................. सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी अन्य खबरें पढ़ें... CJI चंद्रचूड़ बोले- आयुर्वेद सिर्फ भारत तक सीमित नहीं:कोविड-19 के दौरान एलोपैथिक दवा नहीं ली; इसी से ठीक हुआ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 17 अक्टूबर को आयुर्वेद के फायदे बताए थे। उन्होंने कहा था कि स्वस्थ जीवन के लिए आयुर्वेद जरूरी है। उन्होंने कहा था कि आयुर्वेद सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है। यह एक प्राकृतिक इलाज है। कोविड-19 के दौरान उन्होंने एलोपैथिक दवा नहीं ली थी। आयुर्वेदिक इलाज से ही ठीक हुए। पूरी खबर पढ़ें...
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