दिवाली में दुल्हन की तरह सजा चित्रकूट:भगवान श्रीराम की तपोभूमि में दीपावली का भव्य आयोजन

चित्रकूट में इस बार दीपावली पर श्रद्धालुओं का ऐसा जनसैलाब उमड़ा जैसे पूरा देश ही मां मंदाकिनी के तट पर आ जुटा हो। लगभग 40 लाख श्रद्धालु देशभर से यहां पहुंचे। मंदाकिनी नदी में दीपदान किया। सुबह से ही कामदगिरि परिक्रमा मार्ग पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। रात तक हर ओर सिर ही सिर नजर आ रहे थे। मंदाकिनी नदी में असंख्य दीपों का नजारा देखने लायक था। मेले को 15 जोन में बांटकर सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मेला 1 नवंबर को समाप्त होगा। पैर रखने की जगह नहीं दीपावली के दिन परिक्रमा पथ पर इतनी भीड़ थी कि लोग लगातार धक्का-मुक्की में आगे बढ़ रहे थे। कामतानाथ के पहले मुखारबिंद पर तो पैर रखने तक की जगह नहीं थी। बड़ी संख्या में श्रद्धालु लेटकर परिक्रमा करते दिखे, जो आस्था का अनोखा नजारा पेश कर रहे थे। खोए हुए 200 से अधिक लोग मिले अपनों से मेले में खोए हुए लोगों को उनके परिवार से मिलाने के लिए बनाए गए कंट्रोल रूम ने सजगता से काम किया। अब तक 200 से अधिक बिछड़े हुए लोगों को अपनों से मिलाया। पुलिस और प्रशासन ने मेले को शांतिपूर्ण तरीके से संचालित करने में अहम भूमिका निभाई। लट्ठमार दिवारी नृत्य का आकर्षण दीपावली के अगले दिन चित्रकूट की गलियों में यदुवंशी समाज का लट्ठमार दिवारी नृत्य आकर्षण का केंद्र रहा। गांव-खेड़ों से आए नर्तक राजमहल में पारंपरिक स्वागत के बाद गलियों में अपनी कला दिखाते नजर आए। यह नृत्य दीपावली से लेकर डिठवन एकादशी तक चलता है और इसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। राम सैया में पारंपरिक दंगल का रोमांच परिक्रमा मार्ग से दो किलोमीटर दूर राम सैया में पुराने रीति-रिवाजों के साथ दंगल का आयोजन हुआ। जिसे देखने हजारों कुश्ती प्रेमी पहुंचे। इस आयोजन में ग्रामवासियों का सहयोग रहा। जिसमें प्रधान पति चुनकावन प्रसाद पांडे ने मुख्य भूमिका निभाई। इस बार की चित्रकूट की दीपावली आस्था, उत्साह और परंपराओं का अद्भुत संगम रही।

Oct 31, 2024 - 16:15
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दिवाली में दुल्हन की तरह सजा चित्रकूट:भगवान श्रीराम की तपोभूमि में दीपावली का भव्य आयोजन
चित्रकूट में इस बार दीपावली पर श्रद्धालुओं का ऐसा जनसैलाब उमड़ा जैसे पूरा देश ही मां मंदाकिनी के तट पर आ जुटा हो। लगभग 40 लाख श्रद्धालु देशभर से यहां पहुंचे। मंदाकिनी नदी में दीपदान किया। सुबह से ही कामदगिरि परिक्रमा मार्ग पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। रात तक हर ओर सिर ही सिर नजर आ रहे थे। मंदाकिनी नदी में असंख्य दीपों का नजारा देखने लायक था। मेले को 15 जोन में बांटकर सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मेला 1 नवंबर को समाप्त होगा। पैर रखने की जगह नहीं दीपावली के दिन परिक्रमा पथ पर इतनी भीड़ थी कि लोग लगातार धक्का-मुक्की में आगे बढ़ रहे थे। कामतानाथ के पहले मुखारबिंद पर तो पैर रखने तक की जगह नहीं थी। बड़ी संख्या में श्रद्धालु लेटकर परिक्रमा करते दिखे, जो आस्था का अनोखा नजारा पेश कर रहे थे। खोए हुए 200 से अधिक लोग मिले अपनों से मेले में खोए हुए लोगों को उनके परिवार से मिलाने के लिए बनाए गए कंट्रोल रूम ने सजगता से काम किया। अब तक 200 से अधिक बिछड़े हुए लोगों को अपनों से मिलाया। पुलिस और प्रशासन ने मेले को शांतिपूर्ण तरीके से संचालित करने में अहम भूमिका निभाई। लट्ठमार दिवारी नृत्य का आकर्षण दीपावली के अगले दिन चित्रकूट की गलियों में यदुवंशी समाज का लट्ठमार दिवारी नृत्य आकर्षण का केंद्र रहा। गांव-खेड़ों से आए नर्तक राजमहल में पारंपरिक स्वागत के बाद गलियों में अपनी कला दिखाते नजर आए। यह नृत्य दीपावली से लेकर डिठवन एकादशी तक चलता है और इसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। राम सैया में पारंपरिक दंगल का रोमांच परिक्रमा मार्ग से दो किलोमीटर दूर राम सैया में पुराने रीति-रिवाजों के साथ दंगल का आयोजन हुआ। जिसे देखने हजारों कुश्ती प्रेमी पहुंचे। इस आयोजन में ग्रामवासियों का सहयोग रहा। जिसमें प्रधान पति चुनकावन प्रसाद पांडे ने मुख्य भूमिका निभाई। इस बार की चित्रकूट की दीपावली आस्था, उत्साह और परंपराओं का अद्भुत संगम रही।

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