धनतेरस पर कन्नौज के फेमस गट्टे की धूम:101 साल से मिठाई मार्केट पर गट्टे का कब्जा, 70 से 300 रुपए किलो तक कीमत

कन्नौज में मिठाई की बात हो तो लोगों की जुबां पर सबसे पहले गट्टे का नाम आता है। देसी विधि से बनाए जाने वाले गट्टे ने 101 साल से कन्नौज की मार्केट में कब्जा जमा रखा है। धनतेरस पर अन्य मिठाइयों से ज्यादा फेमस गट्टे की डिमांड है। जिसकी आपूर्ति के लिए पिछले 10 दिनों से जोर-शोर से काम चल रहा है। खोवा और बेसन की मिठाइयों को कन्नौज का फेमस गट्टा बराबर टक्कर दे रहा है। ये गट्टा 101 साल से लगातार एक परिवार बनाता आ रहा है। जिसकी सप्लाई कन्नौज जिले के अलावा आसपास के जिलों में होती है। इत्र नगरी के लाखन तिराहा स्थित वैश्य परिवार की महिला कलावती के नाम पर वर्ष 1923 में गट्टे का उत्पाद शुरू किया गया था। देशी घी और शक्कर से तैयार गट्टे में मेवा का प्रयोग होता है, जोकि इसके टेस्ट को शानदार बनाते हैं। मिठाई के रूप में गट्टे की डिमांड हमेशा रहती है। कन्नौज में बनने वाले फेमस गट्टे की कीमत 70 रुपये प्रति किलो से शुरू होती है और अधिकतम कीमत 300 रुपये प्रति किलोग्राम तक है। जिस कारण ये मिठाई खास लोगों से लेकर आम आदमी तक की पहुंच में होती है। कीमत के हिसाब से मिलती गट्टे की क्वालिटी- कन्नौज में जितना गट्टा फेमस है, उतना ही ब्रांड का नाम भी फेमस है। यहां कलावती के नाम से ही गट्टा मिलता है। जिसकी खासियत के हिसाब से गट्टे की अलग-अलग कीमतें तय है। कलावती गट्टा भंडार में गट्टे का व्यापार करने वाले सक्षम वैश्य बताते हैं कि उनके खानदान को ये काम करते हुए 101 वर्ष हो चुके हैं। वे चौथी पीढ़ी के सदस्य हैं जो इस काम को बखूबी कर रहे हैं। सक्षम की दुकान लालू भइया की दुकान के नाम से कन्नौज में फेमस है। उन्होंने बताया कि गट्टे की 4 क्वालिटी उनके पास हैं। जिसमें देशी घी से निर्मित सबसे महंगे गट्टे की डिमांड अधिक रहती है। धनतेरस पर गट्टे की आपूर्ति के लिए लगातार 10 दिनों से कई कारीगर लगाकर काम कराया जा रहा है।

Oct 29, 2024 - 17:25
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धनतेरस पर कन्नौज के फेमस गट्टे की धूम:101 साल से मिठाई मार्केट पर गट्टे का कब्जा, 70 से 300 रुपए किलो तक कीमत
कन्नौज में मिठाई की बात हो तो लोगों की जुबां पर सबसे पहले गट्टे का नाम आता है। देसी विधि से बनाए जाने वाले गट्टे ने 101 साल से कन्नौज की मार्केट में कब्जा जमा रखा है। धनतेरस पर अन्य मिठाइयों से ज्यादा फेमस गट्टे की डिमांड है। जिसकी आपूर्ति के लिए पिछले 10 दिनों से जोर-शोर से काम चल रहा है। खोवा और बेसन की मिठाइयों को कन्नौज का फेमस गट्टा बराबर टक्कर दे रहा है। ये गट्टा 101 साल से लगातार एक परिवार बनाता आ रहा है। जिसकी सप्लाई कन्नौज जिले के अलावा आसपास के जिलों में होती है। इत्र नगरी के लाखन तिराहा स्थित वैश्य परिवार की महिला कलावती के नाम पर वर्ष 1923 में गट्टे का उत्पाद शुरू किया गया था। देशी घी और शक्कर से तैयार गट्टे में मेवा का प्रयोग होता है, जोकि इसके टेस्ट को शानदार बनाते हैं। मिठाई के रूप में गट्टे की डिमांड हमेशा रहती है। कन्नौज में बनने वाले फेमस गट्टे की कीमत 70 रुपये प्रति किलो से शुरू होती है और अधिकतम कीमत 300 रुपये प्रति किलोग्राम तक है। जिस कारण ये मिठाई खास लोगों से लेकर आम आदमी तक की पहुंच में होती है। कीमत के हिसाब से मिलती गट्टे की क्वालिटी- कन्नौज में जितना गट्टा फेमस है, उतना ही ब्रांड का नाम भी फेमस है। यहां कलावती के नाम से ही गट्टा मिलता है। जिसकी खासियत के हिसाब से गट्टे की अलग-अलग कीमतें तय है। कलावती गट्टा भंडार में गट्टे का व्यापार करने वाले सक्षम वैश्य बताते हैं कि उनके खानदान को ये काम करते हुए 101 वर्ष हो चुके हैं। वे चौथी पीढ़ी के सदस्य हैं जो इस काम को बखूबी कर रहे हैं। सक्षम की दुकान लालू भइया की दुकान के नाम से कन्नौज में फेमस है। उन्होंने बताया कि गट्टे की 4 क्वालिटी उनके पास हैं। जिसमें देशी घी से निर्मित सबसे महंगे गट्टे की डिमांड अधिक रहती है। धनतेरस पर गट्टे की आपूर्ति के लिए लगातार 10 दिनों से कई कारीगर लगाकर काम कराया जा रहा है।

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