धर्मशाला में सरकारी होटलों में पसरा सन्नाटा:हाईकोर्ट ने बंद करने के दिए हैं आदेश, टूरिस्टों ने कैंसिल कराई बुकिंग, स्टाफ में मायूसी

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के 18 होटल बंद करने के आदेश जारी होने के बाद धर्मशाला यूनिट के सभी होटलों में सन्नाटा छाया हुआ है। इनमें धर्मशाला डिवीज़न के अंतर्गत आने वाले होटल धौलाधार, होटल कुणाल, होटल कश्मीर हाउस, और होटल भागसू इंटरनेशनल टूरिस्ट स्पॉट की प्राइम लोकेशन पर संचालित होटल घाटे पर चल रहे हैं। हाईकोर्ट का निर्णय आने के बाद इन सभी प्रॉपर्टीज में बुधवार को ग्राहकों के न आने के कारण सन्नाटा छाया रहा। स्टाफ में भी अपने भविष्य को लेकर चिंता और मायूसी है। जिस कारण होटल धौलाधार में नोटिस बोर्ड पर स्पेशल मीनू भी दोपहर तक नहीं बदला गया था। एचपीटीडीसी के होटल के इंचार्ज ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जैसे ही कोर्ट के आदेश मीडिया में छपे उसके बाद बुकिंग कैंसिल होना शुरू हो गई। होटलों के आगे भवनों का निर्माण परेशानी सबसे अहम मुद्दा यहां की लोकेशन के आगे नए भवनों का निर्माण करना है। होटल धौलाधार का नाम धौलाधार पहाड़ के दिखने वाले दृश्य के लिए रहा गया था। लेकिन कुछ साल पहले एडीबी फंड्स से कन्वेंशन सेंटर का निर्माण कर दिया जिससे होटल धौलाधार के सभी कमरों से धौलाधार का व्यू समाप्त हो गया। वहीं होटल भागसू के प्रांगण में एयरटेल का टॉवर लगा दिया गया। जिस कारण विदेशी पर्यटक तो अब बुकिंग करवाने के बाद जब इस टावर को देखते हैं तो रिजर्वेशन कैंसिल कर देते हैं। एचपीटीडीसी के इन सभी होटलों के नाम दर्जनों कनाल भूमि हैं, लंबी चौड़ी पार्किंग से लेकर नियमित स्टाफ होने के बावजूद इनकी हालत बद से बदतर होती जा रही है। होटलों में पुराना फर्नीचर, बिस्तर भी सही नहीं जबकि धर्मशाला और मैक्लोडगंज में मरलों में बिना पार्किंग चल रहे प्राइवेट होटल हर वर्ष लाखों रुपए कमा रहे हैं। एचपीटीडीसी के होटलों के रेस्तरां में पुराना फर्नीचर है। बिस्तरों की हालत भी अच्छी नहीं है और कई इकाइयां तो घाटे में चल रही हैं। जो फायदे में भी हैं वह सरकार को कोई बड़ी इनकम नहीं दे रही है। यदि इन होटलों की भी सही से रेनोवेशन करवा कर सभी सुविधाएं मुहैया करवाई जाएं तो यह सरकार के सबसे बड़े कमाऊ पूत बन सकते हैं। कांगड़ा के जिला मुख्यालय धर्मशाला में ही होटल धौलाधार कई कनाल भूमि में फैला है। नियमित स्टाफ के अलावा यहां हर सुविधा है। इसी तरह यहां होटल कुनाल में बड़ी पार्किंग से लेकर सबकुछ बना हुआ है। लेकिन रेस्तरां में फर्नीचर की हालत देखकर लोग दोवारा वापस नहीं आते हैं। इसी तरह कश्मीर हाउस भी ऐतिहासिक और प्राचीन प्रॉपर्टी है, लेकिन घाटे में चल रही है। मैक्लोडगंज में होटल भागसू शहर के बीच में हैं और कई कनाल भूमि में तो यहां पार्किंग ही है। प्रबंधन की कार्यकुशलता नहीं : रिटायर सीनियर मैनेजर एचपीटीडीसी के रिटायर्ड सीनियर मैनेजर एवं अधिवक्ता विजय शर्मा ने कहा कि हाईकोर्ट ने 17 सितंबर 2024 को सुनाए आर्डर में एचपीटीडीसी को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि कंप्लीट सॉल्यूशन को लेकर कोर्ट में पेश करें, लेकिन एचपीटीडीसी प्रबंधन ने ऐसा कुछ नहीं किया। बल्कि एचपीटीडीसी के होटलों में आउटसोर्स पर नया टेक्निकल स्टाफ भर्ती करने की अनुमति की याचिका लगा दी। यह सरासर प्रबंधन की कार्यकुशलता पर सवाल इंगित करता है। सरकार ने केस को कमजोर किया : विधायक वहीं पूर्व मंत्री और धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा ने कहा कि प्रदेश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि हाईकोर्ट द्वारा हिमाचल टूरिज्म के प्रतिष्ठित 18 होटलों को बंद करने के आदेश दिए गए हैं। यह आम चर्चा है कि सरकार ने केस को जान बूझकर कमजोर किया ताकि फॉरेन के ग्रुप्स को ये प्रॉपर्टीस बेची जा सके।

Nov 20, 2024 - 19:05
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धर्मशाला में सरकारी होटलों में पसरा सन्नाटा:हाईकोर्ट ने बंद करने के दिए हैं आदेश, टूरिस्टों ने कैंसिल कराई बुकिंग, स्टाफ में मायूसी
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के 18 होटल बंद करने के आदेश जारी होने के बाद धर्मशाला यूनिट के सभी होटलों में सन्नाटा छाया हुआ है। इनमें धर्मशाला डिवीज़न के अंतर्गत आने वाले होटल धौलाधार, होटल कुणाल, होटल कश्मीर हाउस, और होटल भागसू इंटरनेशनल टूरिस्ट स्पॉट की प्राइम लोकेशन पर संचालित होटल घाटे पर चल रहे हैं। हाईकोर्ट का निर्णय आने के बाद इन सभी प्रॉपर्टीज में बुधवार को ग्राहकों के न आने के कारण सन्नाटा छाया रहा। स्टाफ में भी अपने भविष्य को लेकर चिंता और मायूसी है। जिस कारण होटल धौलाधार में नोटिस बोर्ड पर स्पेशल मीनू भी दोपहर तक नहीं बदला गया था। एचपीटीडीसी के होटल के इंचार्ज ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जैसे ही कोर्ट के आदेश मीडिया में छपे उसके बाद बुकिंग कैंसिल होना शुरू हो गई। होटलों के आगे भवनों का निर्माण परेशानी सबसे अहम मुद्दा यहां की लोकेशन के आगे नए भवनों का निर्माण करना है। होटल धौलाधार का नाम धौलाधार पहाड़ के दिखने वाले दृश्य के लिए रहा गया था। लेकिन कुछ साल पहले एडीबी फंड्स से कन्वेंशन सेंटर का निर्माण कर दिया जिससे होटल धौलाधार के सभी कमरों से धौलाधार का व्यू समाप्त हो गया। वहीं होटल भागसू के प्रांगण में एयरटेल का टॉवर लगा दिया गया। जिस कारण विदेशी पर्यटक तो अब बुकिंग करवाने के बाद जब इस टावर को देखते हैं तो रिजर्वेशन कैंसिल कर देते हैं। एचपीटीडीसी के इन सभी होटलों के नाम दर्जनों कनाल भूमि हैं, लंबी चौड़ी पार्किंग से लेकर नियमित स्टाफ होने के बावजूद इनकी हालत बद से बदतर होती जा रही है। होटलों में पुराना फर्नीचर, बिस्तर भी सही नहीं जबकि धर्मशाला और मैक्लोडगंज में मरलों में बिना पार्किंग चल रहे प्राइवेट होटल हर वर्ष लाखों रुपए कमा रहे हैं। एचपीटीडीसी के होटलों के रेस्तरां में पुराना फर्नीचर है। बिस्तरों की हालत भी अच्छी नहीं है और कई इकाइयां तो घाटे में चल रही हैं। जो फायदे में भी हैं वह सरकार को कोई बड़ी इनकम नहीं दे रही है। यदि इन होटलों की भी सही से रेनोवेशन करवा कर सभी सुविधाएं मुहैया करवाई जाएं तो यह सरकार के सबसे बड़े कमाऊ पूत बन सकते हैं। कांगड़ा के जिला मुख्यालय धर्मशाला में ही होटल धौलाधार कई कनाल भूमि में फैला है। नियमित स्टाफ के अलावा यहां हर सुविधा है। इसी तरह यहां होटल कुनाल में बड़ी पार्किंग से लेकर सबकुछ बना हुआ है। लेकिन रेस्तरां में फर्नीचर की हालत देखकर लोग दोवारा वापस नहीं आते हैं। इसी तरह कश्मीर हाउस भी ऐतिहासिक और प्राचीन प्रॉपर्टी है, लेकिन घाटे में चल रही है। मैक्लोडगंज में होटल भागसू शहर के बीच में हैं और कई कनाल भूमि में तो यहां पार्किंग ही है। प्रबंधन की कार्यकुशलता नहीं : रिटायर सीनियर मैनेजर एचपीटीडीसी के रिटायर्ड सीनियर मैनेजर एवं अधिवक्ता विजय शर्मा ने कहा कि हाईकोर्ट ने 17 सितंबर 2024 को सुनाए आर्डर में एचपीटीडीसी को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि कंप्लीट सॉल्यूशन को लेकर कोर्ट में पेश करें, लेकिन एचपीटीडीसी प्रबंधन ने ऐसा कुछ नहीं किया। बल्कि एचपीटीडीसी के होटलों में आउटसोर्स पर नया टेक्निकल स्टाफ भर्ती करने की अनुमति की याचिका लगा दी। यह सरासर प्रबंधन की कार्यकुशलता पर सवाल इंगित करता है। सरकार ने केस को कमजोर किया : विधायक वहीं पूर्व मंत्री और धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा ने कहा कि प्रदेश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि हाईकोर्ट द्वारा हिमाचल टूरिज्म के प्रतिष्ठित 18 होटलों को बंद करने के आदेश दिए गए हैं। यह आम चर्चा है कि सरकार ने केस को जान बूझकर कमजोर किया ताकि फॉरेन के ग्रुप्स को ये प्रॉपर्टीस बेची जा सके।

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