नवजात पोते का शव उठाया...दादा के कांपने लगे हाथ:दूसरे बच्चे को 3 दिन दूध पिलाने वाली लक्ष्मी के बच्चे की मौत, झांसी अग्निकांड में 3 और मौत

‘पोता हुआ तो हम लोग खुश थे। सोचा था कि अब वो मेरी गोद में अठखेलियां करेगा। लेकिन वो घर तक नहीं पहुंच पाया। मेडिकल कॉलेज में ही उसके सांसों की डोर थम गई। मैंने जिस गोद में उसे खिलाने की चाह रखी थी, आज उस गोद में उसका शव लेकर जा रहा हूं।’ यह कहते-कहते दादा कल्लू की आंखें भर आईं। उसने जब नन्हें पोते के शव को उठाया तो हाथ कांपने लगे। झांसी मेडिकल कॉलेज में अग्निकांड के बाद बुधवार को 3 और नवजात बच्चों की मौत हो गई थी। इसमें एक नवजात पोता कल्लू का ही था। दूसरा बच्चा पूजा का था, जो डिलेवरी के बाद से घर पर थी। वो अपने बेटे का मुंह तक नहीं देख पाई थी। जबकि, 3 दिन तक दूसरे के बच्चे को अपना दूध पिलाने वाली लक्ष्मी का बेटा भी नहीं बच पाया। मौत के बाद 3 परिवारों में कोहराम मचा है। बेटे को एक बार गले भी नहीं लगा पाई पूजा मऊरानीपुर के चकारा निवासी कृष्णकांत की डेढ़ साल पहले पूजा से शादी हुई थी। पूजा के गर्भवती होने पर परिवार में खु​शियां छा गईं थीं। 6 नवंबर को पूजा को प्रसव पीड़ा हुई तो परिवार के लोग उसे मऊरानीपुर अस्पताल में ले गए। वहां से मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। यहां 7 नवंबर सुबह 5 बजे पूजा ने बेटे को जन्म दिया। परिवार के लोगों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। लेकिन, बेटा 7 माह में ही हो गया था, जिससे उसकी हालत गंभीर थी। यहां उसे एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कर दिया था। हादसे के दौरान पिता कृष्णकांत खाना खाने गया था। जब लौटकर आया तब तक वार्ड आग की चपेट में आ गया था। इसके बाद उसे बच्चा नहीं मिला। अगले दिन उसने दूसरे वार्ड में भर्ती अपने बच्चे को पहचाना। बुधवार को उसकी मौत हो गई। यह जानकारी होने के बाद से मां पूजा का रो-रोकर बुरा हाल बना हुआ है। रोते हुए बार-बार वह यही कह रही कि बेटे को वह एक बार गले तक नहीं लगा पाई और वह चला गया। दूसरे के बच्चे को अपना समझ जिला अस्पताल ले गया था बॉबी रक्सा थाना इलाके के बाजना गांव निवासी बॉबी की पत्नी काजल ने 13 नवंबर को जिला अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया था। बच्चे की हालत गंभीर थी, जिससे उसे वहां से मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया था। 15 नवंबर को ही उसे एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था। हादसे के समय बॉबी मोबाइल पर बात कर रहा था। आग लगने पर वह वार्ड की ओर दौड़ा और दूसरे के बच्चे को बाहर निकाल लाया। उसे वह जिला अस्पताल ले गया। जिला अस्पताल में बच्चे के हाथ में लगे टैग के जरिए उसे पता चला कि वह उसका नहीं है। मेडिकल वापस लौटने पर उसे अपना बच्चा वार्ड में मिला। बुधवार को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। 3 दिन तक दूसरे के बच्चे की देखभाल करती रही लक्ष्मी रक्सा थाना इलाके के बमेर गांव निवासी महेंद्र की पत्नी लक्ष्मी को प्रसव पीड़ा होने पर 13 नवंबर को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसी दिन उसे बेटे को जन्म दिया था। नवजात को लगातार हिचकियां आ रहीं थीं। इस पर उसे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया था। 15 नवंबर की रात करीब 9 बजे बेटे को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया था। इसके कुछ देर बाद वार्ड में आग लग गई, जिससे वहां चीख-पुकार मच गई थी। इसी बीच रेस्क्यू कर रहे लोगों ने एक बच्चा लक्ष्मी के हाथ में रख दिया था। वह समझी की वह उसका बच्चा है। उन्होंने बच्चे को प्राइवेट अस्पताल में ले जाकर भर्ती करा दिया। लक्ष्मी ने दिन-रात बच्चे की सेवा की और अपना दूध तक पिलाया। तीन दिन बाद पता चला कि वह बच्चा उसका नहीं है। उसका बच्चा मेडिकल में भर्ती है। इस पर वह बच्चे को मेडिकल लेकर पहुंच गई। तब से लक्ष्मी के बेटे का इलाज मेडिकल में चह रहा था। यहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। 5 बच्चों की बीमारी से मौत हुई मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. नरेंद्र सिंह सेंगर ने बताया कि अग्निकांड में जलने से 10 बच्चों की मौत हो गई थी। जबकि 39 बच्चों का रेस्क्यू किया गया था। इसमें से 5 और बच्चों की इलाज के दौरान बीमारी से मौत हो गई। वे झुलसे नहीं थे। आज से बालरोग विभाग रोजाना सुबह 9 बजे, दोपहर दो बजे और रात को 9 बजे मेडिकल बुलेटिन जारी करेगा। उन्होंने बताया कि डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के आने से पहले चूना डालने के मामले में दो कर्मचारी सचिन और राजा को दोषी पाया गया। दोनों बिना निर्देश के ही चूना डाल रहे थे। ये हाउस कीपिंग ग्लोबल के कर्मचारी थे। दोनों को तत्काल प्रभाव से सेवा से हटा दिया गया है।

Nov 21, 2024 - 10:30
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नवजात पोते का शव उठाया...दादा के कांपने लगे हाथ:दूसरे बच्चे को 3 दिन दूध पिलाने वाली लक्ष्मी के बच्चे की मौत, झांसी अग्निकांड में 3 और मौत
‘पोता हुआ तो हम लोग खुश थे। सोचा था कि अब वो मेरी गोद में अठखेलियां करेगा। लेकिन वो घर तक नहीं पहुंच पाया। मेडिकल कॉलेज में ही उसके सांसों की डोर थम गई। मैंने जिस गोद में उसे खिलाने की चाह रखी थी, आज उस गोद में उसका शव लेकर जा रहा हूं।’ यह कहते-कहते दादा कल्लू की आंखें भर आईं। उसने जब नन्हें पोते के शव को उठाया तो हाथ कांपने लगे। झांसी मेडिकल कॉलेज में अग्निकांड के बाद बुधवार को 3 और नवजात बच्चों की मौत हो गई थी। इसमें एक नवजात पोता कल्लू का ही था। दूसरा बच्चा पूजा का था, जो डिलेवरी के बाद से घर पर थी। वो अपने बेटे का मुंह तक नहीं देख पाई थी। जबकि, 3 दिन तक दूसरे के बच्चे को अपना दूध पिलाने वाली लक्ष्मी का बेटा भी नहीं बच पाया। मौत के बाद 3 परिवारों में कोहराम मचा है। बेटे को एक बार गले भी नहीं लगा पाई पूजा मऊरानीपुर के चकारा निवासी कृष्णकांत की डेढ़ साल पहले पूजा से शादी हुई थी। पूजा के गर्भवती होने पर परिवार में खु​शियां छा गईं थीं। 6 नवंबर को पूजा को प्रसव पीड़ा हुई तो परिवार के लोग उसे मऊरानीपुर अस्पताल में ले गए। वहां से मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। यहां 7 नवंबर सुबह 5 बजे पूजा ने बेटे को जन्म दिया। परिवार के लोगों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। लेकिन, बेटा 7 माह में ही हो गया था, जिससे उसकी हालत गंभीर थी। यहां उसे एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कर दिया था। हादसे के दौरान पिता कृष्णकांत खाना खाने गया था। जब लौटकर आया तब तक वार्ड आग की चपेट में आ गया था। इसके बाद उसे बच्चा नहीं मिला। अगले दिन उसने दूसरे वार्ड में भर्ती अपने बच्चे को पहचाना। बुधवार को उसकी मौत हो गई। यह जानकारी होने के बाद से मां पूजा का रो-रोकर बुरा हाल बना हुआ है। रोते हुए बार-बार वह यही कह रही कि बेटे को वह एक बार गले तक नहीं लगा पाई और वह चला गया। दूसरे के बच्चे को अपना समझ जिला अस्पताल ले गया था बॉबी रक्सा थाना इलाके के बाजना गांव निवासी बॉबी की पत्नी काजल ने 13 नवंबर को जिला अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया था। बच्चे की हालत गंभीर थी, जिससे उसे वहां से मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया था। 15 नवंबर को ही उसे एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था। हादसे के समय बॉबी मोबाइल पर बात कर रहा था। आग लगने पर वह वार्ड की ओर दौड़ा और दूसरे के बच्चे को बाहर निकाल लाया। उसे वह जिला अस्पताल ले गया। जिला अस्पताल में बच्चे के हाथ में लगे टैग के जरिए उसे पता चला कि वह उसका नहीं है। मेडिकल वापस लौटने पर उसे अपना बच्चा वार्ड में मिला। बुधवार को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। 3 दिन तक दूसरे के बच्चे की देखभाल करती रही लक्ष्मी रक्सा थाना इलाके के बमेर गांव निवासी महेंद्र की पत्नी लक्ष्मी को प्रसव पीड़ा होने पर 13 नवंबर को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसी दिन उसे बेटे को जन्म दिया था। नवजात को लगातार हिचकियां आ रहीं थीं। इस पर उसे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया था। 15 नवंबर की रात करीब 9 बजे बेटे को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया था। इसके कुछ देर बाद वार्ड में आग लग गई, जिससे वहां चीख-पुकार मच गई थी। इसी बीच रेस्क्यू कर रहे लोगों ने एक बच्चा लक्ष्मी के हाथ में रख दिया था। वह समझी की वह उसका बच्चा है। उन्होंने बच्चे को प्राइवेट अस्पताल में ले जाकर भर्ती करा दिया। लक्ष्मी ने दिन-रात बच्चे की सेवा की और अपना दूध तक पिलाया। तीन दिन बाद पता चला कि वह बच्चा उसका नहीं है। उसका बच्चा मेडिकल में भर्ती है। इस पर वह बच्चे को मेडिकल लेकर पहुंच गई। तब से लक्ष्मी के बेटे का इलाज मेडिकल में चह रहा था। यहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। 5 बच्चों की बीमारी से मौत हुई मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. नरेंद्र सिंह सेंगर ने बताया कि अग्निकांड में जलने से 10 बच्चों की मौत हो गई थी। जबकि 39 बच्चों का रेस्क्यू किया गया था। इसमें से 5 और बच्चों की इलाज के दौरान बीमारी से मौत हो गई। वे झुलसे नहीं थे। आज से बालरोग विभाग रोजाना सुबह 9 बजे, दोपहर दो बजे और रात को 9 बजे मेडिकल बुलेटिन जारी करेगा। उन्होंने बताया कि डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के आने से पहले चूना डालने के मामले में दो कर्मचारी सचिन और राजा को दोषी पाया गया। दोनों बिना निर्देश के ही चूना डाल रहे थे। ये हाउस कीपिंग ग्लोबल के कर्मचारी थे। दोनों को तत्काल प्रभाव से सेवा से हटा दिया गया है।

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