पंचायत चुनाव की आरक्षण सूची पर न्यायिक रोक, लोकतंत्र की जीत : कवींद्र ईष्टवाल 

देहरादून: राज्य सरकार द्वारा हाल ही में घोषित पंचायत चुनाव की आरक्षण सूची को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने स्थगित (रोक) कर दिया है। यह निर्णय न सिर्फ संवैधानिक प्रक्रिया की जीत है, बल्कि ग्रामीण लोकतंत्र की गरिमा की पुनर्स्थापना भी है। कांग्रेस नेता कवींद्र ईष्टवाल ने इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “हम …

Jun 24, 2025 - 00:27
 50  19272
पंचायत चुनाव की आरक्षण सूची पर न्यायिक रोक, लोकतंत्र की जीत : कवींद्र ईष्टवाल 
देहरादून: राज्य सरकार द्वारा हाल ही में घोषित पंचायत चुनाव की आरक्षण सूची को उत्तराखंड उच्च न्या

पंचायत चुनाव की आरक्षण सूची पर न्यायिक रोक, लोकतंत्र की जीत : कवींद्र ईष्टवाल

Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - IndiaTwoday

देहरादून: हाल ही में राज्य सरकार द्वारा घोषित पंचायत चुनाव की आरक्षण सूची पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने तुरंत स्थगन आदेश जारी किया है। यह निर्णय केवल एक न्यायिक प्रक्रिया के रूप में ही नहीं देखा जा रहा है, बल्कि यह ग्रामीण लोकतंत्र की गरिमा की पुनर्स्थापना का भी प्रतीक है। कांग्रेस नेता कवींद्र ईष्टवाल ने इस आदेश को लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण जीत बताया है।

संविधान की प्रासंगिकता को पुनर्स्थापित करना

ईष्टवाल ने इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "हम पहले ही कह रहे थे कि यह आरक्षण सूची अधिकारियों पर राजनीतिक दबाव डालकर तैयार की गई थी। यह सूची सत्ता के इशारे पर बनाई गई थी, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन हो रहा था।" कांग्रेस नेता का कहना है कि न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए त्वरित निर्णय लिया, जिससे उन हजारों ग्रामीणों की आशा और संघर्ष को मान्यता मिली है जिनकी आवाजें अक्सर दबा दी जाती हैं।

न्याय की खातिर संघर्ष

ईष्टवाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर हमलावर रहते हुए यह भी कहा कि "जब भी आरक्षण में गड़बड़ी होती है, तब इसका प्रतिरोध होना चाहिए। यह सिर्फ एक गणित नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय का प्रतीक है।" कांग्रेस पार्टी ने यह सुनिश्चित किया है कि वह हर मोर्चे पर जनता के अधिकारों की रक्षा करेगी।

भविष्य की दिशा

इस न्यायिक निर्णय ने न केवल पंचायत चुनाव में आरक्षण को प्रभावित किया है, बल्कि राज्य के लोकतंत्र की स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डाला है। न्यायालय के इस कदम के बाद, यह उम्मीद की जा सकती है कि आगामी चुनावों में पारदर्शिता और संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा। यह निर्णय उन लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण है जो यह मानते हैं कि लोकतंत्र की ताकत केवल संख्या में नहीं, बल्कि न्यायिक मानकों में भी निहित है।

निष्कर्ष

इस प्रकार उच्च न्यायालय का निर्णय न केवल न्यायालयीन प्रणाली में विश्वास को पुनर्स्थापित करता है, बल्कि यह दर्शाता है कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए वास्तविक प्रयास जरूरी हैं। कवींद्र ईष्टवाल का कथन भविष्य के चुनावों में आरक्षण की प्रक्रिया को मजबूती प्रदान करने का एक प्रयास है। आशा की जा रही है कि इस निर्णय से ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक सशक्तिकरण और न्याय की भावना उभरेगी।

Keywords:

panchayat elections, reservation list, judicial stay, Uttarakhand High Court, Kavindra Ishtwal, democracy, social justice, local governance, political pressure, Congress party, constitutional rights.

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow