पंचायत चुनावों में नया मोड़, निर्वाचन आयोग ने सिंबल आवंटन पर लगाई रोक
रैबार डेस्क : पंचायत चुनावों को लेकर हर पल नया ट्विस्ट आ रहा है। राज्य... The post पंचायत चुनावों में एक और ट्विस्ट, सिंबल आवंटन पर दोपहर 2 बजे तक निर्वाचन आयोग ने लगाई रोक appeared first on Uttarakhand Raibar.

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कम शब्दों में कहें तो, पंचायत चुनावों की प्रक्रिया में एक नया मोड़ आया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने सोमवार को चुनाव चिन्ह आवंटन पर अस्थायी रोक लगा दी है, जिससे चुनावी माहौल में हलचल मच गई है। आयोग के इस फैसले से सिंबल आवंटन की प्रक्रिया को दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दिया गया है।
पंचायत चुनावों का नया फैसला
पंचायत चुनावों को लेकर स्थिति दिन-ब-दिन बदलती नजर आ रही है। राज्य निर्वाचन आयोग ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए चुनाव चिन्ह आवंटित करने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। यह कदम तब उठाया गया जब उत्तराखंड हाईकोर्ट ने निकाय और पंचायतों में दो स्थानों पर वोटर लिस्ट में नाम होने वाले व्यक्तियों के चुनाव लड़ने पर रोक के आदेश दिए।
संविधान की कसौटी पर आयोग
यह आदेश आने के बाद, निर्वाचन आयोग असमंजस की स्थिति में है। आयोग ने कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए सोमवार को अपना पक्ष सुनाए जाने की अपील की है। यदि चुनावी प्रक्रिया में कोई बदलाव आता है, तो यह लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। इससे पूर्व, आयोग ने उन उम्मीदवारों को क्लीन चिट दे दी थी जिनके वोटर लिस्ट में नाम मौजूद थे।
कानूनी उलझनें
हाईकोर्ट में जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने यह सुझाव दिया कि जिन व्यक्तियों के नाम एक ही क्षेत्र में वोटर लिस्ट में मौजूद हैं, वे चुनाव नहीं लड़ सकते। हालांकि, इसमें कई जटिलताएं उत्पन्न हो रही हैं, जिन्हें हल करना आयोग के लिए आवश्यक होगा। जिलाधिकारियों से वोटर लिस्ट की मांग कर ली गई है, लेकिन निर्णय लेने में समय की कमी साबित हो रही है।
भविष्य का रास्ता
इस घटनाक्रम ने चुनावी प्रक्रिया को जटिल बना दिया है। नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और चुनाव चिन्हों का वितरण सोमवार से होने वाला था। अब स्थिति यह बन गई है कि आयोग को यह तय करना होगा कि वह कोर्ट के आदेश का पालन करेगा या फिर अपनी नियमावली के अनुसार आगे बढ़ेगा।
राजनीतिक दलों के लिए चुनौती
यह असमंजस सिर्फ मतदाताओं के लिए ही नहीं बल्कि उन राजनीतिक दलों के लिए भी चुनौती बना है जो चुनावी माहौल में सक्रियता से भाग लेना चाहते हैं। क्या यह मामला चुनावी परिदृश्य में बड़ा बदलाव लाएगा? यह एक बड़ा सवाल है। यदि सिंबल आवंटन में और देरी होती है, तो राजनीतिक दलों की रणनीतियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
निष्कर्ष
जनता के हित में यह आवश्यक है कि निर्वाचन आयोग निष्पक्षता के साथ चुनाव प्रक्रिया को संचालित करे। अब सभी की नजरें कोर्ट की सुनवाई पर जमी हुई हैं, जिसके निर्णय से आगे की राह तय होगी। हम इस मामले पर लगातार अपडेट प्रदान करते रहेंगे।
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टीम इंडिया ट्वोडे, स्नेहा वर्मा
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