प.बंगाल राज्यपाल ने राजभवन में अपनी प्रतिमा का अनावरण किया:कार्यकाल के 2 साल पूरे होने पर रखा आयोजन; TMC बोली- वे आत्ममुग्ध हैं
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने अपने कार्यकाल के दो साल पूरे कर लिए हैं। इस मौके पर राजभवन में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें उन्होंने अपनी ही प्रतिमा का अनावरण किया, जिसके बाद बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। कांग्रेस, CPI(M) और तृणमूल कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि जीवित व्यक्ति का अपनी ही मूर्ति का अनावरण करना कितना सही है। TMC प्रवक्ता जयप्रकाश मजूमदार ने कहा, 'हमारे राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने अपनी खुद की प्रतिमा का अनावरण किया, यह एक अभूतपूर्व घटना है। उन्होंने यह केवल प्रचार पाने के लिए किया। लेकिन सवाल यह है कि अगला कदम क्या होगा? क्या वह अपनी ही प्रतिमा को माला पहनाएंगे? यह एक आत्ममुग्ध व्यक्ति का संकेत है।' राज्यपाल को उपहार में मिली मूर्ति सूत्रों के अनुसार, यह प्रतिमा राज्यपाल को कोलकाता के इंडियन म्यूजियम से जुड़े कलाकार पार्थ साहा ने उपहार में दी थी। साहा ने राज्यपाल की तस्वीर के आधार पर यह फाइबर प्रतिमा बनाई, हालांकि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से राज्यपाल से मुलाकात नहीं की थी। राज्यपाल कार्यालय ने सफाई दी है कि प्रतिमा को राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने स्वयं स्थापित नहीं किया, बल्कि यह कलाकार और इंडियन म्यूजियम का उपहार थी। इसके बावजूद, इस घटना ने राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है। कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि किसी जीवित व्यक्ति की प्रतिमा लगाना क्या उचित है। कार्यकाल के दो साल पूरे होने पर ममता ने दी बधाई अपने कार्यकाल के दो साल पूरे होने के मौके पर राज्यपाल ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ संबंध सुधारने का संकेत दिया। राजभवन के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि राज्यपाल ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक पत्र लिखकर उन्हें, उनके कैबिनेट सहयोगियों और तृणमूल कांग्रेस के विधायकों को राजभवन आने का न्योता दिया। इसके जवाब में ममता बनर्जी ने शनिवार को राज्यपाल को मिठाई और फल भेजे। ममता ने मिठाई भेजने के साथ-साथ राज्यपाल को फोन कर उनके कार्यकाल के दो साल पूरे होने पर बधाई दी। बातचीत के दौरान दोनों ने शुभकामनाओं का आदान-प्रदान किया। दो साल में ममता सरकार से मुद्दों पर भिड़े सीवी आनंद बोस राज्यपाल ने ममता को लिखे पत्र में बंगाल में संवैधानिक प्रमुख के रूप में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने लिखा कि कार्यकाल के पहले साल में राज्य सरकार के साथ उनके 'मैत्रीपूर्ण संबंध' थे, लेकिन दूसरे साल में कुछ मतभेदों के कारण संबंध बिगड़ गए। हालांकि, तीसरे साल में वह राज्य सरकार के साथ मिलकर विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान, राज्यपाल बोस का बंगाल सरकार के साथ कई मुद्दों पर टकराव हुआ है, जिनमें राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति, कोलकाता पुलिस के कर्मियों द्वारा कथित जासूसी और व्यक्तिगत हमले शामिल हैं।
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