संभल की जामा मस्जिद का सर्वे, सुबह-सुबह पहुंची टीम:डीएम-एसपी सहित पांच थानों की पुलिस और आरआरएफ-पीएसी बल तैनात, हिंदू पक्ष के वकील भी पहुंचे
संभल में आज रविवार को फिर एक बार शाही जामा मस्जिद का सर्वे होगा। डीएम-एसपी के अलावा एसडीएम-सीओ और पीएसी-आरआरएफ को तैनात कर दिया गया है। 19 नवंबर को हिंदू पक्ष की ओर से सिविल सीनियर डिवीजन चंदौसी न्यायालय में याचिका तैयार की गई, जिसमें कहा गया कि संभल की शाही जामा मस्जिद श्री हरिहर मंदिर है और बाबर के शासनकाल में 1529 में इसे तथाकथित मस्जिद का रूप दिया गया। कोर्ट ने फोटो एवं वीडियोग्राफी सर्वे के आदेश किए, उसी दिन शाम को डेढ़ घंटे का सर्वे हुआ। शाही जामा मस्जिद का पहली बार सर्वे होने के बाद शुक्रवार को पहले जुमे की नमाज अदा की गई। नमाज के दौरान पूरे क्षेत्र की ड्रोन कैमरे से निगरानी की गई और 1600 पुलिस जवानों को तैनात किया गया था। रविवार सुबह 06:50 बजे हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, शासकीय अधिवक्ता प्रिंस शर्मा पहुंचे, उसके बाद डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया व एसपी कृष्ण बिश्नोई, एसडीएम वंदना मिश्रा, सीओ अनुज चौधरी, यातायात सीओ डॉ. गणेश गुप्ता, तहसीलदार संभल रवि सोनकर आदि अधिकारी भी पहुंच गए। अब पढ़िए जुमे की नमाज के दिन क्या कुछ हुआ... सपा सांसद बोले- मैं कोर्ट के आदेश से सहमत नहीं
सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कहा- कसूरे गम से दो आंसू बहाएं तो आफत है, और सितम सारे जमाने के भूल जाएं तो बगावत है। समझ नहीं आता, छेड़ें तो दास्तां कैसे, हंसाए तो बगावत है, रुलाएं तो बगावत है। आज मैं जामा मस्जिद के अंदर गया, जो अल्लाह का घर है। आज से नहीं, कई साल से यह मस्जिद है। यहां इबादत करने के लिए सारे मुसलमान तशरीफ लाए हैं। ये कुछ नया नहीं है। हमेशा से यहां नमाज अदा की जा रही है। आज मैं भी नमाज के लिए हाजिर हुआ हूं। मुझे मालूम पड़ा कि पुलिस प्रशासन ने यहां बहुत तैयारी कर रखी है। पता नहीं यहां इतनी पुलिस फोर्स क्यों लगा रखी है? यहां कोई जंग तो होने नहीं जा रही, नमाज ही हो रही है। हम लोग बहुत सुकून से रहते हैं। लेकिन कुछ लोग यहां का माहौल बिगाड़ना चाह रहे हैं। मैं कोर्ट के आदेश से सहमत नहीं हूं। हमें सुना नहीं गया, आदेश देने से पहले हमें सुनना चाहिए था। सर्वे करवाने की इतनी जल्दी क्या थी? पुलिस प्रशासन और चीजों में भी इतनी तेजी दिखाया करे। जो क्राइम होते हैं, जो लोगों पर झूठे केस लगाए जाते हैं, उनको रोकता तो हमें भी खुशी होती। ये चाहे 10 ड्रोन कैमरे यहां ले आएं, लेकिन ये मस्जिद थी, मस्जिद है और मस्जिद ही रहेगी कयामत तक। हम यहां सुकून को कायम रखना चाहते हैं। लेकिन आज हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपनी मस्जिद के लिए कानूनी लड़ाई को लड़ेंगे। ये मस्जिद कोई 5-10 साल पुरानी नहीं है। हम इस देश के मालिक हैं, नौकर गुलाम नहीं हैं। 19 नवंबर को हिंदू पक्ष की याचिका पर हुआ था सर्वे संभल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में हिंदू पक्ष ने 19 नवंबर को याचिका लगाई। 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया है। इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक 150 साल पुरानी रिपोर्ट शामिल है। संभल की सिविल कोर्ट ने उसी दिन कमिश्नर सर्वे का आदेश दिया था। इस आदेश के कुछ ही घंटों बाद कमिश्नर टीम ने सर्वे किया था। सर्वे की रिपोर्ट एक सप्ताह में सौंपनी है। सिविल कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ जामा मस्जिद पक्ष ने अपील दाखिल की है। मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी। शुक्रवार को क्या-क्या हुआ ... मायावती बोलीं- सुप्रीम कोर्ट को भी जरूर संज्ञान लेना चाहिए
जामा मस्जिद को लेकर हिंदू-मुस्लिम पक्ष के विवाद पर मायावती ने X पर लिखा- संभल जिले में शाही जामा मस्जिद को लेकर अचानक विवाद, सुनवाई और फिर उसके फौरन ही बाद आपाधापी में सर्वे की खबरें राष्ट्रीय चर्चा व मीडिया की सुर्खियों में है, किन्तु इस प्रकार से सद्भाव व माहौल को बिगाड़ने का संज्ञान सरकार तथा सुप्रीम कोर्ट को भी जरूर लेना चाहिए। अब जानिए क्या है पूरा मामला... संभल की शाही जामा मस्जिद का मामला कोर्ट में पहुंच गया था। कैलादेवी मंदिर के महंत ऋषि राज गिरि महाराज ने 19 नवंबर को दोपहर डेढ़ बजे सिविल कोर्ट में याचिका लगाई। सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह की अदालत ने ढाई घंटे में ऑर्डर कर दिया। कहा- मस्जिद का सर्वे होगा। वीडियो और फोटोग्राफी कराकर रिपोर्ट 7 दिन में दाखिल करें। अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया। उसी दिन शाम 4 बजे आदेश आने के महज 2 घंटे के भीतर शाम सवा छह बजे सर्वे के लिए टीम जामा मस्जिद पहुंच गई। डीएम राजेंद्र पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई भी साथ रहे। 2 घंटे के सर्वे के बाद टीम रात करीब पौने 8 बजे बाहर आई थी। महंत ऋषि राज गिरि ने दावा किया कि शाही जामा मस्जिद श्रीहरिहर मंदिर है। मस्जिद में मंदिर के कई प्रमाण हैं। यहीं पर भगवान विष्णु के दशावतार कल्कि का अवतार होना है। शाही जामा मस्जिद सदर कोतवाली क्षेत्र के कोट पूर्वी में स्थित है। अदालत ने रमेश सिंह राघव को बनाया था एडवोकेट कमिश्नर
कोर्ट की तरफ से रमेश सिंह राघव को एडवोकेट कमिश्नर बनाया गया। वहीं, प्रशासन की तरफ से पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई, जो सर्वे टीम के साथ थी। सर्वे टीम ने मस्जिद के भीतर वीडियो और फोटो लिए हैं। हरिशंकर जैन के पुत्र और सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर भी मस्जिद के भीतर थे। याचिकाकर्ता महंत ऋषि राज गिरि को मस्जिद में एंट्री नहीं मिली। वे सर्वे होने तक बाहर खड़े रहे। मुस्लिम पक्ष ने कहा था- मस्जिद में कोई साक्ष्य नहीं मिले
शाही जामा मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष जफर अली एडवोकेट ने सर्वे के बाद बताया था, 'टीम ने जामा मस्जिद के हर हिस्से का सर्वे किया है। हम भी टीम के साथ थे। हमने उनका सहयोग किया। हमें नोटिस तामील कराया गया। सर्वे में अभी तक कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। अब यही माना जाएगा कि यह जामा मस्जिद ही है। दो घंटे सर्वे चला है। कोर्ट ने सात दिन के भीतर सर्वे का आदेश दिया था। लेकिन, एडवोकेट कमिश्ननर ने अपनी मजबूरी बताई कि उनकी बेटी की शादी है। इसलिए वो नहीं आ सकेंगे।
संभल में आज रविवार को फिर एक बार शाही जामा मस्जिद का सर्वे होगा। डीएम-एसपी के अलावा एसडीएम-सीओ और पीएसी-आरआरएफ को तैनात कर दिया गया है। 19 नवंबर को हिंदू पक्ष की ओर से सिविल सीनियर डिवीजन चंदौसी न्यायालय में याचिका तैयार की गई, जिसमें कहा गया कि संभल की शाही जामा मस्जिद श्री हरिहर मंदिर है और बाबर के शासनकाल में 1529 में इसे तथाकथित मस्जिद का रूप दिया गया। कोर्ट ने फोटो एवं वीडियोग्राफी सर्वे के आदेश किए, उसी दिन शाम को डेढ़ घंटे का सर्वे हुआ। शाही जामा मस्जिद का पहली बार सर्वे होने के बाद शुक्रवार को पहले जुमे की नमाज अदा की गई। नमाज के दौरान पूरे क्षेत्र की ड्रोन कैमरे से निगरानी की गई और 1600 पुलिस जवानों को तैनात किया गया था। रविवार सुबह 06:50 बजे हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, शासकीय अधिवक्ता प्रिंस शर्मा पहुंचे, उसके बाद डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया व एसपी कृष्ण बिश्नोई, एसडीएम वंदना मिश्रा, सीओ अनुज चौधरी, यातायात सीओ डॉ. गणेश गुप्ता, तहसीलदार संभल रवि सोनकर आदि अधिकारी भी पहुंच गए। अब पढ़िए जुमे की नमाज के दिन क्या कुछ हुआ... सपा सांसद बोले- मैं कोर्ट के आदेश से सहमत नहीं
सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कहा- कसूरे गम से दो आंसू बहाएं तो आफत है, और सितम सारे जमाने के भूल जाएं तो बगावत है। समझ नहीं आता, छेड़ें तो दास्तां कैसे, हंसाए तो बगावत है, रुलाएं तो बगावत है। आज मैं जामा मस्जिद के अंदर गया, जो अल्लाह का घर है। आज से नहीं, कई साल से यह मस्जिद है। यहां इबादत करने के लिए सारे मुसलमान तशरीफ लाए हैं। ये कुछ नया नहीं है। हमेशा से यहां नमाज अदा की जा रही है। आज मैं भी नमाज के लिए हाजिर हुआ हूं। मुझे मालूम पड़ा कि पुलिस प्रशासन ने यहां बहुत तैयारी कर रखी है। पता नहीं यहां इतनी पुलिस फोर्स क्यों लगा रखी है? यहां कोई जंग तो होने नहीं जा रही, नमाज ही हो रही है। हम लोग बहुत सुकून से रहते हैं। लेकिन कुछ लोग यहां का माहौल बिगाड़ना चाह रहे हैं। मैं कोर्ट के आदेश से सहमत नहीं हूं। हमें सुना नहीं गया, आदेश देने से पहले हमें सुनना चाहिए था। सर्वे करवाने की इतनी जल्दी क्या थी? पुलिस प्रशासन और चीजों में भी इतनी तेजी दिखाया करे। जो क्राइम होते हैं, जो लोगों पर झूठे केस लगाए जाते हैं, उनको रोकता तो हमें भी खुशी होती। ये चाहे 10 ड्रोन कैमरे यहां ले आएं, लेकिन ये मस्जिद थी, मस्जिद है और मस्जिद ही रहेगी कयामत तक। हम यहां सुकून को कायम रखना चाहते हैं। लेकिन आज हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपनी मस्जिद के लिए कानूनी लड़ाई को लड़ेंगे। ये मस्जिद कोई 5-10 साल पुरानी नहीं है। हम इस देश के मालिक हैं, नौकर गुलाम नहीं हैं। 19 नवंबर को हिंदू पक्ष की याचिका पर हुआ था सर्वे संभल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में हिंदू पक्ष ने 19 नवंबर को याचिका लगाई। 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया है। इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक 150 साल पुरानी रिपोर्ट शामिल है। संभल की सिविल कोर्ट ने उसी दिन कमिश्नर सर्वे का आदेश दिया था। इस आदेश के कुछ ही घंटों बाद कमिश्नर टीम ने सर्वे किया था। सर्वे की रिपोर्ट एक सप्ताह में सौंपनी है। सिविल कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ जामा मस्जिद पक्ष ने अपील दाखिल की है। मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी। शुक्रवार को क्या-क्या हुआ ... मायावती बोलीं- सुप्रीम कोर्ट को भी जरूर संज्ञान लेना चाहिए
जामा मस्जिद को लेकर हिंदू-मुस्लिम पक्ष के विवाद पर मायावती ने X पर लिखा- संभल जिले में शाही जामा मस्जिद को लेकर अचानक विवाद, सुनवाई और फिर उसके फौरन ही बाद आपाधापी में सर्वे की खबरें राष्ट्रीय चर्चा व मीडिया की सुर्खियों में है, किन्तु इस प्रकार से सद्भाव व माहौल को बिगाड़ने का संज्ञान सरकार तथा सुप्रीम कोर्ट को भी जरूर लेना चाहिए। अब जानिए क्या है पूरा मामला... संभल की शाही जामा मस्जिद का मामला कोर्ट में पहुंच गया था। कैलादेवी मंदिर के महंत ऋषि राज गिरि महाराज ने 19 नवंबर को दोपहर डेढ़ बजे सिविल कोर्ट में याचिका लगाई। सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह की अदालत ने ढाई घंटे में ऑर्डर कर दिया। कहा- मस्जिद का सर्वे होगा। वीडियो और फोटोग्राफी कराकर रिपोर्ट 7 दिन में दाखिल करें। अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया। उसी दिन शाम 4 बजे आदेश आने के महज 2 घंटे के भीतर शाम सवा छह बजे सर्वे के लिए टीम जामा मस्जिद पहुंच गई। डीएम राजेंद्र पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई भी साथ रहे। 2 घंटे के सर्वे के बाद टीम रात करीब पौने 8 बजे बाहर आई थी। महंत ऋषि राज गिरि ने दावा किया कि शाही जामा मस्जिद श्रीहरिहर मंदिर है। मस्जिद में मंदिर के कई प्रमाण हैं। यहीं पर भगवान विष्णु के दशावतार कल्कि का अवतार होना है। शाही जामा मस्जिद सदर कोतवाली क्षेत्र के कोट पूर्वी में स्थित है। अदालत ने रमेश सिंह राघव को बनाया था एडवोकेट कमिश्नर
कोर्ट की तरफ से रमेश सिंह राघव को एडवोकेट कमिश्नर बनाया गया। वहीं, प्रशासन की तरफ से पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई, जो सर्वे टीम के साथ थी। सर्वे टीम ने मस्जिद के भीतर वीडियो और फोटो लिए हैं। हरिशंकर जैन के पुत्र और सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर भी मस्जिद के भीतर थे। याचिकाकर्ता महंत ऋषि राज गिरि को मस्जिद में एंट्री नहीं मिली। वे सर्वे होने तक बाहर खड़े रहे। मुस्लिम पक्ष ने कहा था- मस्जिद में कोई साक्ष्य नहीं मिले
शाही जामा मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष जफर अली एडवोकेट ने सर्वे के बाद बताया था, 'टीम ने जामा मस्जिद के हर हिस्से का सर्वे किया है। हम भी टीम के साथ थे। हमने उनका सहयोग किया। हमें नोटिस तामील कराया गया। सर्वे में अभी तक कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। अब यही माना जाएगा कि यह जामा मस्जिद ही है। दो घंटे सर्वे चला है। कोर्ट ने सात दिन के भीतर सर्वे का आदेश दिया था। लेकिन, एडवोकेट कमिश्ननर ने अपनी मजबूरी बताई कि उनकी बेटी की शादी है। इसलिए वो नहीं आ सकेंगे। कोर्ट में वादी, कमिश्नर, एसडीएम, एसपी और हम कमेटी के चार-पांच लोग थे।' एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने बताया था- अभी केवल वीडियो-फोटो ग्राफी हुई है, अभी हमारा सर्वे बाकी है कोई मेजरमेंट नहीं हुआ कुछ नहीं हुआ। सर्वे के बाद भास्कर की टीम भी संभल की मस्जिद पहुंची, वहां से ग्राउंड रिपोर्ट की...
उत्तर प्रदेश में काशी और मथुरा के बाद संभल की शाही जामा मस्जिद विवादों में है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ये जगह पहले श्रीहरिहर मंदिर हुआ करती थी, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया। मस्जिद के अंदर शिवलिंग होने का भी दावा किया गया है। संभल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में हिंदू पक्ष ने याचिका लगाई। 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया है। इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक 150 साल पुरानी रिपोर्ट शामिल है। संभल की सिविल कोर्ट ने एक हफ्ते में कोर्ट कमिश्नर सर्वे की रिपोर्ट मांगी है। इस आदेश के खिलाफ जामा मस्जिद पक्ष ने कोर्ट में अपील दाखिल की है। मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी। 'दैनिक भास्कर' ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर इस पूरे विवाद को बारीकी से समझा। दोनों पक्षों से बातचीत की। ये भी जाना कि किस आधार पर कोर्ट ने याचिका स्वीकारी है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट...