पुरुष टेलर नहीं लेंगे महिलाओं का नाप...कैसे लागू होगा आदेश:टेलर बोले- काम बंद हो जाएगा; अलग से लेडी ट्रेनर रखने पर जिम चलाना मुश्किल
कानपुर में हाईटेक जिम के ट्रेनर विमल सोनी ने कारोबारी की पत्नी एकता का मर्डर कर दिया। दोनों की मुलाकात जिम में ही हुई थी। ट्रेनिंग के दौरान दोनों के बीच नजदीकी बढ़ी, जिसका खौफनाक अंत हुआ। विमल सोनी ने हत्या के बाद लाश दफना दी। 4 महीने बाद खुलासा हुआ। पूरे प्रदेश में ये मामला सुर्खियों में रहा, जिसके बाद यूपी महिला आयोग ने सख्त कदम उठाया। आयोग ने डीएम-एसपी को आदेश दिया कि जिम और योग सेंटर में महिला ट्रेनर लगाने होंगे। इसकी CCTV से निगरानी भी होगी। पुरुष टेलर महिलाओं का नाप नहीं ले सकेंगे। महिलाओं के अंडर गार्मेंट्स बेचने वाली दुकानों पर महिलाएं होनी चाहिए। पार्लर में लड़कियों के मेकअप और ड्रेस-अप के लिए भी महिला होनी चाहिए। इस आदेश के बाद दैनिक भास्कर की टीम कई जिम और टेलर्स के यहां पहुंची। यह जाना कि आदेश लागू होने में क्या-क्या दिक्कतें हैं? पहले जानिए राज्य महिला आयोग ने क्या आदेश दिए.... जिम संचालकों का कहना है कि महिला ट्रेनर को कम से कम 15 हजार रुपए पे करना पड़ेगा, ऐसे में मुश्किल हो जाएगी। वहीं, ट्रेलरिंग के काम में 80% पुरुष हैं। टेलर्स का भी कहना है कि नाम-जोख के लिए महिला को रखने पर 10 हजार रुपए का खर्च बढ़ जाएगा। जिम जाने वाली महिलाएं क्या कहती हैं, हमने ये भी जाना? ऐसे मामले, जिनमें जिम ट्रेनर-टेलर ने बैड टच किया अब जानिए जिम ट्रेनर और टेलर इस आदेश पर क्या कहते हैं? ट्रेनर का स्कोप नहीं, खर्च निकालना मुश्किल महिला आयोग के आदेश के बारे में जिम संचालकों का क्या कहना है, ये जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम लखनऊ में कठौता चौराहे के पास क्राफ्ट जिम पहुंची। जिम मालिक तेज प्रताप सिंह का कहना है कि ‘जिम में महिला अपराध को लेकर जो खबरें आती हैं, उसमें ज्यादातर में ट्रेनर ही शामिल होता है। उसके चक्कर में हम जैसे जिम के मालिक बदनाम होते हैं। जिम को भी बंद करवा दिया जाता है। तमाम जांच शुरू हो जाती है।’ तेज प्रताप सिंह कहते हैं, हम 2019 से जिम चला रहे हैं। महिलाओं को लेकर जो आदेश आया है वह ठीक है, लेकिन हर जगह जिम वाले गलत नहीं होते। जिम में महिला ट्रेनर को कम से कम 15 हजार रुपए पे करना होगा। इस फील्ड में अब इतना कंपटीशन हो गया है कि खर्च निकालना मुश्किल है, ऐसे में हम ट्रेनर कहां से रखें। बाकी हमारे यहां सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है। किसी को गलत छूने जैसी बात नहीं होती। तेज प्रताप कहते हैं, कानून आ जाता है तो हम लोग कुछ नहीं कर पाएंगे। वैसे भी डर-डरकर रहते हैं। बाकी जिम के अंदर ज्यादातर घटनाओं को ट्रेनर ही अंजाम देते हैं, बदनाम जिम मालिक होता है। इसलिए हमने कोई ट्रेनर रखा ही नहीं जो महिलाओं को ट्रेनिंग दे। लड़कियां 15 दिन में खुद ही सीख जाती हैं। इसी जिम में वर्क आउट करने वाली सना कहती हैं, मैं दो साल से यहां आ रही हूं। अभी जो फैसला आया है उसकी बहुत जरूरत नहीं है। हो सकता है कि कहीं जिम में गलत होता हो लेकिन यहां ऐसा नहीं। जहां तक छूने की बात है, इस तरह से तो डॉक्टर भी छूकर देखते हैं। जब वहां कोई दिक्कत नहीं तो फिर यहां क्यों? यहां भी तो सब कुछ अच्छे से बताते हैं। महिलाओं की संख्या कम इसलिए ट्रेनर नहीं
हम कमता साइड पहुंचे। यहां अल्ट्रा क्रॉसफिट नाम से जिम है। रिसेप्शन पर उत्सव सिंह मिले। कहते हैं यहां 2-3 महिलाएं ही आती हैं। सुबह आती हैं और अपना वर्कआउट करके चली जाती हैं। वह कॉर्डियो करती हैं। अब अगर 2-3 महिलाओं के लिए ट्रेनर रखना पड़े तो खर्चे का काम होगा। बाकी जब महिलाएं कहेंगी तो हम रखेंगे। अभी तो सब खुद से ही सीख जाती हैं। मुलायम नगर चौराहे पर ओलंपिया जिम की एक ब्रांच है। यहां के मैनेजर शेखर त्रिपाठी कहते हैं, हमारे यहां कुल 300 की स्ट्रेंथ है, इसमें 40% महिलाएं हैं। महिला आयोग ने ठीक फैसला लिया है। कई बार मेल ट्रेनर किसी को सपोर्ट दे रहा लेकिन अनजाने में गलत टच हो गया तो दिक्कत हो जाती है। लेकिन हमारी जिम में ऐसा नहीं होता। हमारे यहां महिला ट्रेनर भी हैं, होना भी चाहिए। क्योंकि कई बार महिलाएं कुछ चीजें मेल ट्रेनर से नहीं कह पाती। इस जिम में काजल लड़कियों को ट्रेनिंग देने के अलावा रिसेप्शन पर भी काम करती हैं, वह कहती हैं, महिलाएं कई बार बताती हैं कि वह मेल ट्रेनर के साथ कंफर्टेबल नहीं रहती। टचिंग को लेकर दिक्कत बताती हैं, इसलिए हमीं उन्हें ट्रेंड करते हैं, नहीं रहने पर जो बाकी ट्रेनर हैं वह सिखाते हैं। किसी को कोई दिक्कत नहीं होती। फैसला लागू हुआ तो काम करना मुश्किल होगा
महिला आयोग के प्रस्ताव की दूसरी सबसे अहम बात है- महिलाओं की माप महिला टेलर ही ले। अगर ऐसा होता है तो क्या असर होगा, इसे जानने हम लखनऊ की भूतनाथ मार्केट पहुंचे। यहां हमें सलीम मिले। वह कहते हैं, हम ये काम 12-13 साल की उम्र से कर रहे हैं। अब अगर कस्टमर कह रहा कि आप नाप लीजिए तो हम लेते ही हैं, बहुत सारे कस्टमर खुद कपड़ा लेकर आते हैं। उसी आधार पर सिल देते हैं। बाकी जो महिलाएं आती हैं उन्हें हम माता-बहन समझते हैं। दिल को साफ रखते हैं। फिटिंग की दिक्कत आएगी
उन्हीं के पड़ोस में खड़े शाहरुख कहते हैं, सबसे ज्यादा दिक्कत फिटिंग की होगी। कोई दूसरा नाप लेकर देगा तो तैयार करना कठिन होगा। हमारा काम है तो हम उसे अच्छे से समझते हैं। पड़ोस की एक दुकान पर काम करने वाले इरशाद हुसैन कहते हैं, ‘ये काम हमारे बाप-दादा तक करते आए हैं। हमारी जो ग्राहक हैं वह हम पर भरोसा करती हैं, बेटा, भाई कहती हैं। बाकी जिन्होंने ये आदेश दिया होगा उनकी माप खुद कोई पुरुष टेलर ही लेता होगा। अगर यह फैसला लागू होगा तो काम करना मुश्किल होगा।’ काम को लेकर बंटवारा ठीक नहीं
थिएटर आर्टिस्ट गुंजन जैन कहती हैं, एक तरफ हम समानता की बात करते हैं और फिर हम महिला-पुरुष करते हैं। मेरा ऐसा मानना है कि ऐसी बैरिकेडिंग नहीं करनी चाहिए। महिलाओं को अब इतना सशक्त होना चाहिए कि अगर नाप लेते वक्त कोई गलत कर रहा तो वह कह सकें कि ये आप गलत कर रहे हैं। अगर वह नहीं कह पा रहीं तो उन्हें कहना चाहिए। पूर्व डीजीपी
कानपुर में हाईटेक जिम के ट्रेनर विमल सोनी ने कारोबारी की पत्नी एकता का मर्डर कर दिया। दोनों की मुलाकात जिम में ही हुई थी। ट्रेनिंग के दौरान दोनों के बीच नजदीकी बढ़ी, जिसका खौफनाक अंत हुआ। विमल सोनी ने हत्या के बाद लाश दफना दी। 4 महीने बाद खुलासा हुआ। पूरे प्रदेश में ये मामला सुर्खियों में रहा, जिसके बाद यूपी महिला आयोग ने सख्त कदम उठाया। आयोग ने डीएम-एसपी को आदेश दिया कि जिम और योग सेंटर में महिला ट्रेनर लगाने होंगे। इसकी CCTV से निगरानी भी होगी। पुरुष टेलर महिलाओं का नाप नहीं ले सकेंगे। महिलाओं के अंडर गार्मेंट्स बेचने वाली दुकानों पर महिलाएं होनी चाहिए। पार्लर में लड़कियों के मेकअप और ड्रेस-अप के लिए भी महिला होनी चाहिए। इस आदेश के बाद दैनिक भास्कर की टीम कई जिम और टेलर्स के यहां पहुंची। यह जाना कि आदेश लागू होने में क्या-क्या दिक्कतें हैं? पहले जानिए राज्य महिला आयोग ने क्या आदेश दिए.... जिम संचालकों का कहना है कि महिला ट्रेनर को कम से कम 15 हजार रुपए पे करना पड़ेगा, ऐसे में मुश्किल हो जाएगी। वहीं, ट्रेलरिंग के काम में 80% पुरुष हैं। टेलर्स का भी कहना है कि नाम-जोख के लिए महिला को रखने पर 10 हजार रुपए का खर्च बढ़ जाएगा। जिम जाने वाली महिलाएं क्या कहती हैं, हमने ये भी जाना? ऐसे मामले, जिनमें जिम ट्रेनर-टेलर ने बैड टच किया अब जानिए जिम ट्रेनर और टेलर इस आदेश पर क्या कहते हैं? ट्रेनर का स्कोप नहीं, खर्च निकालना मुश्किल महिला आयोग के आदेश के बारे में जिम संचालकों का क्या कहना है, ये जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम लखनऊ में कठौता चौराहे के पास क्राफ्ट जिम पहुंची। जिम मालिक तेज प्रताप सिंह का कहना है कि ‘जिम में महिला अपराध को लेकर जो खबरें आती हैं, उसमें ज्यादातर में ट्रेनर ही शामिल होता है। उसके चक्कर में हम जैसे जिम के मालिक बदनाम होते हैं। जिम को भी बंद करवा दिया जाता है। तमाम जांच शुरू हो जाती है।’ तेज प्रताप सिंह कहते हैं, हम 2019 से जिम चला रहे हैं। महिलाओं को लेकर जो आदेश आया है वह ठीक है, लेकिन हर जगह जिम वाले गलत नहीं होते। जिम में महिला ट्रेनर को कम से कम 15 हजार रुपए पे करना होगा। इस फील्ड में अब इतना कंपटीशन हो गया है कि खर्च निकालना मुश्किल है, ऐसे में हम ट्रेनर कहां से रखें। बाकी हमारे यहां सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है। किसी को गलत छूने जैसी बात नहीं होती। तेज प्रताप कहते हैं, कानून आ जाता है तो हम लोग कुछ नहीं कर पाएंगे। वैसे भी डर-डरकर रहते हैं। बाकी जिम के अंदर ज्यादातर घटनाओं को ट्रेनर ही अंजाम देते हैं, बदनाम जिम मालिक होता है। इसलिए हमने कोई ट्रेनर रखा ही नहीं जो महिलाओं को ट्रेनिंग दे। लड़कियां 15 दिन में खुद ही सीख जाती हैं। इसी जिम में वर्क आउट करने वाली सना कहती हैं, मैं दो साल से यहां आ रही हूं। अभी जो फैसला आया है उसकी बहुत जरूरत नहीं है। हो सकता है कि कहीं जिम में गलत होता हो लेकिन यहां ऐसा नहीं। जहां तक छूने की बात है, इस तरह से तो डॉक्टर भी छूकर देखते हैं। जब वहां कोई दिक्कत नहीं तो फिर यहां क्यों? यहां भी तो सब कुछ अच्छे से बताते हैं। महिलाओं की संख्या कम इसलिए ट्रेनर नहीं
हम कमता साइड पहुंचे। यहां अल्ट्रा क्रॉसफिट नाम से जिम है। रिसेप्शन पर उत्सव सिंह मिले। कहते हैं यहां 2-3 महिलाएं ही आती हैं। सुबह आती हैं और अपना वर्कआउट करके चली जाती हैं। वह कॉर्डियो करती हैं। अब अगर 2-3 महिलाओं के लिए ट्रेनर रखना पड़े तो खर्चे का काम होगा। बाकी जब महिलाएं कहेंगी तो हम रखेंगे। अभी तो सब खुद से ही सीख जाती हैं। मुलायम नगर चौराहे पर ओलंपिया जिम की एक ब्रांच है। यहां के मैनेजर शेखर त्रिपाठी कहते हैं, हमारे यहां कुल 300 की स्ट्रेंथ है, इसमें 40% महिलाएं हैं। महिला आयोग ने ठीक फैसला लिया है। कई बार मेल ट्रेनर किसी को सपोर्ट दे रहा लेकिन अनजाने में गलत टच हो गया तो दिक्कत हो जाती है। लेकिन हमारी जिम में ऐसा नहीं होता। हमारे यहां महिला ट्रेनर भी हैं, होना भी चाहिए। क्योंकि कई बार महिलाएं कुछ चीजें मेल ट्रेनर से नहीं कह पाती। इस जिम में काजल लड़कियों को ट्रेनिंग देने के अलावा रिसेप्शन पर भी काम करती हैं, वह कहती हैं, महिलाएं कई बार बताती हैं कि वह मेल ट्रेनर के साथ कंफर्टेबल नहीं रहती। टचिंग को लेकर दिक्कत बताती हैं, इसलिए हमीं उन्हें ट्रेंड करते हैं, नहीं रहने पर जो बाकी ट्रेनर हैं वह सिखाते हैं। किसी को कोई दिक्कत नहीं होती। फैसला लागू हुआ तो काम करना मुश्किल होगा
महिला आयोग के प्रस्ताव की दूसरी सबसे अहम बात है- महिलाओं की माप महिला टेलर ही ले। अगर ऐसा होता है तो क्या असर होगा, इसे जानने हम लखनऊ की भूतनाथ मार्केट पहुंचे। यहां हमें सलीम मिले। वह कहते हैं, हम ये काम 12-13 साल की उम्र से कर रहे हैं। अब अगर कस्टमर कह रहा कि आप नाप लीजिए तो हम लेते ही हैं, बहुत सारे कस्टमर खुद कपड़ा लेकर आते हैं। उसी आधार पर सिल देते हैं। बाकी जो महिलाएं आती हैं उन्हें हम माता-बहन समझते हैं। दिल को साफ रखते हैं। फिटिंग की दिक्कत आएगी
उन्हीं के पड़ोस में खड़े शाहरुख कहते हैं, सबसे ज्यादा दिक्कत फिटिंग की होगी। कोई दूसरा नाप लेकर देगा तो तैयार करना कठिन होगा। हमारा काम है तो हम उसे अच्छे से समझते हैं। पड़ोस की एक दुकान पर काम करने वाले इरशाद हुसैन कहते हैं, ‘ये काम हमारे बाप-दादा तक करते आए हैं। हमारी जो ग्राहक हैं वह हम पर भरोसा करती हैं, बेटा, भाई कहती हैं। बाकी जिन्होंने ये आदेश दिया होगा उनकी माप खुद कोई पुरुष टेलर ही लेता होगा। अगर यह फैसला लागू होगा तो काम करना मुश्किल होगा।’ काम को लेकर बंटवारा ठीक नहीं
थिएटर आर्टिस्ट गुंजन जैन कहती हैं, एक तरफ हम समानता की बात करते हैं और फिर हम महिला-पुरुष करते हैं। मेरा ऐसा मानना है कि ऐसी बैरिकेडिंग नहीं करनी चाहिए। महिलाओं को अब इतना सशक्त होना चाहिए कि अगर नाप लेते वक्त कोई गलत कर रहा तो वह कह सकें कि ये आप गलत कर रहे हैं। अगर वह नहीं कह पा रहीं तो उन्हें कहना चाहिए। पूर्व डीजीपी ने कहा- ये प्रस्ताव ठीक नहीं
हमने इस फैसले को लेकर यूपी पुलिस के पूर्व आईजी कवींद्र प्रताप सिंह से बात की। वह कहते हैं कि यह फैसला व्यवहारिक रूप से ठीक नहीं लगता। जहां महिलाएं रहें वहां पुरुष न रहें, यह ठीक नहीं। उसी तरह से जहां पुरुष हो, वहां महिला कर्मचारी भी हो तो अच्छी बात है। हर काम में दोनों की भागीदारी को बढ़ावा दिया जा सकता है। लेकिन कानून बनाकर किसी को रोका नहीं जा सकता। महिलाएं सक्षम हैं। वह अब अपने कपड़ों के साथ पुरुषों के भी कपड़े खरीद लेती हैं। बाकी इस कानून का पालन बड़ी दुकान वाले तो कर पाएंगे, लेकिन छोटे दुकानदारों को मुश्किल होगी। इधर, लखनऊ के डीएम सूर्यपाल गंगवार ने कहा कि महिला आयोग की तरफ से अभी तक ऐसा कोई आदेश नहीं मिला है। ---------------------------------- ये भी पढ़ें... यूपी में पुरुष टेलर महिलाओं का नाप नहीं ले सकेंगे:कानपुर हत्याकांड के बाद महिला आयोग का आदेश, जिम में महिला ट्रेनर जरूरी कानपुर के एकता हत्याकांड के बाद यूपी महिला आयोग ने सख्त कदम उठाया है। पुरुष टेलर महिलाओं का नाप नहीं ले सकेंगे। इसके अलावा जिम और योग सेंटर में महिला ट्रेनर लगाने होंगे। इसकी CCTV से निगरानी भी होगी। आयोग का कहना है- पार्लर में लड़कियों के मेकअप और ड्रेस अप के लिए भी महिला होनी चाहिए। इसके अलावा, महिलाओं के लिए विशेष कपड़े बेचने वाले स्टोर्स में भी महिला कर्मचारियों को रखा जाए। इसके अलावा, कोचिंग सेंटरों में CCTV से निगरानी की जाए। पढ़ें पूरी खबर...