पौड़ी की महिलाओं की अद्वितीय सफलता: “आत्मनिर्भर संगठन पुरस्कार - 2024” का सम्मान
पौड़ी (उत्तराखंड): जिला मुख्यालय पौड़ी स्थित साधना स्वायत्त सहकारिता को देशभर में उत्कृष्ट कार्य के लिए “आत्मनिर्भर संगठन पुरस्कार – 2024” से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार 15 अगस्त, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रदान किया जाएगा। यह उपलब्धि उत्तराखंड की ग्रामीण महिलाओं की मेहनत, आत्मनिर्भरता और सतत विकास की दिशा में किए गए […] The post पौड़ी की महिलाओं की सफलता को राष्ट्रीय सम्मान, “आत्मनिर्भर संगठन पुरस्कार” से नवाज़ा जाएगा साधना सहकारिता को first appeared on Vision 2020 News.

पौड़ी की महिलाओं की अद्वितीय सफलता: “आत्मनिर्भर संगठन पुरस्कार - 2024” का सम्मान
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पौड़ी (उत्तराखंड): जिला मुख्यालय पौड़ी की साधना स्वायत्त सहकारिता को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए “आत्मनिर्भर संगठन पुरस्कार – 2024” से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान 15 अगस्त, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रदान किया जाएगा। यह उपलब्धि उत्तराखंड की ग्रामीण महिलाओं की मेहनत, आत्मनिर्भरता और सतत विकास के प्रति उनके प्रयासों की पहचान है।
साधना सहकारिता: एक कहानी आत्मनिर्भरता की
साधना स्वायत्त सहकारिता ने साल 2021 से अपने कार्यों का विस्तार करना शुरू किया, जहां उन्होंने न केवल आर्थिक विकास में योगदान दिया, बल्कि सामाजिक संदर्भ में भी सुधार किए। इस कार्य को NRLM, हिमोथान सोसाइटी और टाटा ट्रस्ट्स के सहयोग से संभव बनाया गया। साधना सहकारिता का दीदी कैफे पौड़ी ब्लॉक में एक प्रेरणादायक मॉडल बन गया है, जहां स्थानीय महिलाएं पारंपरिक पहाड़ी व्यंजन बनाकर पर्यटन के साथ-साथ स्थानीय निवासियों को भी सेवा प्रदान करती हैं। इस पहल ने उन्हें स्वरोजगार दिलाने और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने का अद्भुत अवसर प्रदान किया है।
आर्थिक सफलताएँ और समुदाय पर प्रभाव
साधना सहकारिता की इस यूनिट ने अब तक 9 लाख रुपये की आय अर्जित की है, जिसमें से 3.20 लाख रुपये का शुद्ध लाभ भी दर्ज किया गया है। इसके साथ ही, सहकारिता की 206 महिलाएं दैनिक दूध संग्रहण कर डेयरी यूनिट का संचालन कर रही हैं। इन प्रयासों से महिलाएं अपने परिवार की आर्थिक स्थितियों को सुदृढ बनाने में सफल हो रही हैं और पूरे समुदाय में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं।
साधना सहकारिता की अध्यक्ष का महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण
साधना स्वायत्त सहकारिता की अध्यक्ष, मंजू देवी ने इस सम्मान के लिए अपनी टीम के सभी सदस्यों तथा विभागीय सहयोग का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि “यह सम्मान पूरे जिले के लिए गर्व की बात है।” उनका यह बयान दर्शाता है कि यह पुरस्कार केवल एक मान्यता नहीं है, बल्कि उनकी मेहनत, समर्पण और संघर्ष का फल है।
समाज को आत्मनिर्भरता का संदेश
यह पुरस्कार साधना सहकारिता के लिए ही नहीं, बल्कि सभी महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता और उनके विकास के लिए प्रेरणा देने वाला है। यह साबित करता है कि जब महिलाएं मिलकर काम करती हैं, तो विफलता का कोई स्थान नहीं होता। इस दिशा में और अधिक अनूठे प्रयासों की आवश्यकता है ताकि उत्तराखंड के अन्य क्षेत्रों में भी इसी प्रकार की सहकारिताएँ स्थापित की जा सकें।
हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए यह आवश्यक है कि हम ऐसे प्रयासों को समर्थन दें और उन्हें प्रोत्साहित करें, ताकि महिलाओं की स्थिति में सुधार हो सके।
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