प्रदीप मिश्रा बोले- माला और भाला दोनों जरूरी:बंटना भी मत-कटना भी मत; घर में जितने सदस्य, उतने हथियार होने चाहिए

काशी में 26 नवंबर (कल) तक पं. प्रदीप मिश्रा शिव महापुराण कथा सुना रहे हैं। हर दिन 3 लाख लोग उन्हें सुनने पहुंच रहे हैं। पं. प्रदीप मिश्रा ने CM योगी के बंटोगे तो कटोगे डायलॉग का समर्थन करते हुए कहा- बंटना भी मत-कटना भी मत। राष्ट्र रक्षा के लिए घर में जितने सदस्य, उतने शस्त्र होने चाहिए। उन्होंने कहा- राष्ट्र रक्षा के लिए माला और भाला दोनों जरूरी है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पर कहा- जो सनातन का है, वो सनातन को ही मिलना चाहिए। हिंदू यात्रा को विभाजन की राजनीति बताने पर कहा- ​सभी सनातनियों को एक होना ही चाहिए। UP में लगातार बढ़ रहे धार्मिक टूरिज्म पर कहा कि अब लोग गोवा और मुंबई घूमने नहीं जाते, मंदिर और तीर्थ आते हैं। कम उम्र के लड़के टैटू में डिजाइन नहीं, श्लोक और मंत्र लिखवा रहे। यही सनातन का बदलाव है।​​​​ धर्म, काशी, राष्ट्र और हिंदुओं को एक करने के लिए चल रही यात्रा पर पं. प्रदीप मिश्रा ने दैनिक भास्कर से खुलकर बात की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू... सवाल : UP के धार्मिक और देव स्थानों को टूरिस्ट प्लेस जैसा डेवलप किया जा रहा, इससे क्या बदलाव होगा? जवाब : आप देखिए...पहले लोग गोवा और मुंबई घूमने जाते थे। अब लोगों की सोच बदली है। आज सनातन जागा है। पहले लड़के हुक्का बार जैसी जगहों पर जाते थे, आज धार्मिक स्थानों पर जाते हैं। वह मुड़कर सनातन धर्म की ओर आ रहे हैं। आप देखिए, पहले बच्चे उल्टे-सीधा चिह्न (टैटू) अपने हाथों के गुदवाते थे। आज सनातन धर्म के चिह्न बनवा रहे हैं। सवाल : बंटोगे तो कटोगे...चुनाव के इस स्लोगन का आप कितना समर्थन करते हैं? जवाब : बनारस से मैं देश के लोगों से कहना चाहूंगा कि धर्म और राष्ट्र रक्षा के लिए जब माला और भाला की जरूरत हो, तो दोनों उठाने पड़ते हैं। जैसा कि हमारे योगीजी ने कहा कि बंटोगे तो कटोगे। इसलिए निवेदन है कि बंटना भी मत और कटना भी मत। निवेदन है कि राष्ट्र रक्षा के लिए और सनातन की रक्षा के लिए घर में जितने सदस्य हैं, उतने शस्त्र होने आवश्यक हैं। सवाल : आज हिंदू राष्ट्र की मांग हो रही। क्या लगता है कि बन पाएगा? जवाब : (मुस्कुराते हुए) जिस जगह एक-दूसरे के प्रति सम्मान की भावना हो, जहां हम दूसरे का दुख देखकर दुखी और सुख देखकर सुखी हो जाते हैं, वह हिंदू राष्ट्र तो पहले से ही है। सवाल : मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर क्या सोचते हैं? जवाब : वह जरूरी है, हमारे पिताजी की संपत्ति है। वह हमें मिलनी चाहिए। रजिस्ट्री हमारे नाम है, तो हमें ही प्राप्त होना चाहिए। सनातन धर्म की है, तो सनातन धर्म में जाना चाहिए। सवाल : मुस्लिम नेता हिंदू यात्रा को विभाजन की राजनीति बता रहे। ये कहां तक सही है? ‌जवाब : दुनिया में अच्छी चीज का विरोध होता है, लेकिन सभी सनातनियों को एक होकर आगे आना होगा। एकजुट होना ही होगा। यह हिंदू राष्ट्र है, धर्म जागरण करना चाहिए, यात्रा निकालनी चाहिए। सवाल : अब बहुत कम उम्र के लोग कथा-प्रवचन कर रहे हैं। यह कहां तक सही है? जवाब : स्वयं शिवजी पार्वती को कथा सुनाते हैं। हमारे कथावाचक हैं, कथा सुनाते हैं। हमारे यहां बच्चे भी कई बार कथा सुनाते हैं। पति-पत्नी को कथा सुनाते हैं, बिल्कुल हो सकते हैं। कथा केवल व्यास पीठ पर बैठकर ही नहीं बाची जा सकती। जीवन में चलते हुए कहीं ना कहीं जब आवश्यकता होती है, तो अपने बच्चों का मार्गदर्शन करना भी एक कथा सुनाना ही है। लेकिन, मर्यादा का ध्यान रखना होगा। सवाल : आप कथा में बेलपत्र खाने की बात कहते हैं, इससे क्या फायदा? जवाब : जब शरीर में रोग हो, तब बेलपत्र का सेवन करिए। बेलपत्र खाने का एक तरीका होता है। उसको कोमलता के साथ खाएं। उसको रेगुलर खाएंगे, तो वह नुकसानदायक होगा। जब आपको तकलीफ होगी, तभी आप टैबलेट खाएंगे। गीता प्रेस की पुस्तकों में शिव महापुराण की कथा में भी कहा गया है कि शिव शंकर के ऊपर चढ़े हुए बेलपत्र और जल का सेवन करने से काफी फायदा मिलता है। सवाल : काशी आकर कैसा लग रहा है? जवाब : काशी के बारे में, मैं क्या वर्णन करूं? मेरा तो रोम-रोम कहता है कि जो काशी नहीं आया, उसको यहां आना चाहिए। यहां रहने वाला, चाहे किसी भी रूप में हो, होगा शिव का ही रूप। काशी का पत्ता-पत्ता और हर कंकर शिव का ही रूप है। सबको ज्ञान प्राप्त होता है। ज्यादा ज्ञानी बनकर आओगे तो बाबा प्राप्त नहीं होंगे। अज्ञानी बनकर आओगे तो बाबा प्राप्त हो जाएंगे। यहां एक-दूसरे के प्रति समर्पण की भावना है। सवाल : कथा में आने वाले लाखों भक्तों को क्या कहना चाहेंगे? जवाब : बाबा विश्वनाथ जी के लिए जो भक्तों का विश्वास है, मां गंगा के प्रति जो श्रद्धा है, इसलिए ज्यादा लोग पहुंच रहे हैं। यह कहना सही होगा कि विश्वनाथ जी की कृपा है कि वह अपने भक्तों को कथा सुनवा रहे हैं। ................................... ये खबर भी पढ़ें : पं. प्रदीप मिश्रा को 3 लाख लोग सुनने पहुंचे, 1 Km दूर तक बैठे, मान्यता ऐसी कि रेत के घर बनाएं, 2 हजार दुकानों का मिनी बाजार सजा काशी में पं. प्रदीप मिश्रा शिव महापुराण कथा सुना रहे हैं। 3 लाख लोग उन्हें सुनने पहुंचे हैं। पंडाल इतनी क्षमता का नहीं, इसलिए 1 km दूर तक लोग बैठकर कथा सुनते दिखे। गंगा की रेत पर कई महिलाएं रेत के घर बनाती दिखीं। पूछने पर बताया कि यहां रेत के घर बनाने से अपने घर भी जल्दी बन जाते हैं। पढ़िए पूरी खबर..

Nov 25, 2024 - 09:30
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प्रदीप मिश्रा बोले- माला और भाला दोनों जरूरी:बंटना भी मत-कटना भी मत; घर में जितने सदस्य, उतने हथियार होने चाहिए
काशी में 26 नवंबर (कल) तक पं. प्रदीप मिश्रा शिव महापुराण कथा सुना रहे हैं। हर दिन 3 लाख लोग उन्हें सुनने पहुंच रहे हैं। पं. प्रदीप मिश्रा ने CM योगी के बंटोगे तो कटोगे डायलॉग का समर्थन करते हुए कहा- बंटना भी मत-कटना भी मत। राष्ट्र रक्षा के लिए घर में जितने सदस्य, उतने शस्त्र होने चाहिए। उन्होंने कहा- राष्ट्र रक्षा के लिए माला और भाला दोनों जरूरी है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पर कहा- जो सनातन का है, वो सनातन को ही मिलना चाहिए। हिंदू यात्रा को विभाजन की राजनीति बताने पर कहा- ​सभी सनातनियों को एक होना ही चाहिए। UP में लगातार बढ़ रहे धार्मिक टूरिज्म पर कहा कि अब लोग गोवा और मुंबई घूमने नहीं जाते, मंदिर और तीर्थ आते हैं। कम उम्र के लड़के टैटू में डिजाइन नहीं, श्लोक और मंत्र लिखवा रहे। यही सनातन का बदलाव है।​​​​ धर्म, काशी, राष्ट्र और हिंदुओं को एक करने के लिए चल रही यात्रा पर पं. प्रदीप मिश्रा ने दैनिक भास्कर से खुलकर बात की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू... सवाल : UP के धार्मिक और देव स्थानों को टूरिस्ट प्लेस जैसा डेवलप किया जा रहा, इससे क्या बदलाव होगा? जवाब : आप देखिए...पहले लोग गोवा और मुंबई घूमने जाते थे। अब लोगों की सोच बदली है। आज सनातन जागा है। पहले लड़के हुक्का बार जैसी जगहों पर जाते थे, आज धार्मिक स्थानों पर जाते हैं। वह मुड़कर सनातन धर्म की ओर आ रहे हैं। आप देखिए, पहले बच्चे उल्टे-सीधा चिह्न (टैटू) अपने हाथों के गुदवाते थे। आज सनातन धर्म के चिह्न बनवा रहे हैं। सवाल : बंटोगे तो कटोगे...चुनाव के इस स्लोगन का आप कितना समर्थन करते हैं? जवाब : बनारस से मैं देश के लोगों से कहना चाहूंगा कि धर्म और राष्ट्र रक्षा के लिए जब माला और भाला की जरूरत हो, तो दोनों उठाने पड़ते हैं। जैसा कि हमारे योगीजी ने कहा कि बंटोगे तो कटोगे। इसलिए निवेदन है कि बंटना भी मत और कटना भी मत। निवेदन है कि राष्ट्र रक्षा के लिए और सनातन की रक्षा के लिए घर में जितने सदस्य हैं, उतने शस्त्र होने आवश्यक हैं। सवाल : आज हिंदू राष्ट्र की मांग हो रही। क्या लगता है कि बन पाएगा? जवाब : (मुस्कुराते हुए) जिस जगह एक-दूसरे के प्रति सम्मान की भावना हो, जहां हम दूसरे का दुख देखकर दुखी और सुख देखकर सुखी हो जाते हैं, वह हिंदू राष्ट्र तो पहले से ही है। सवाल : मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर क्या सोचते हैं? जवाब : वह जरूरी है, हमारे पिताजी की संपत्ति है। वह हमें मिलनी चाहिए। रजिस्ट्री हमारे नाम है, तो हमें ही प्राप्त होना चाहिए। सनातन धर्म की है, तो सनातन धर्म में जाना चाहिए। सवाल : मुस्लिम नेता हिंदू यात्रा को विभाजन की राजनीति बता रहे। ये कहां तक सही है? ‌जवाब : दुनिया में अच्छी चीज का विरोध होता है, लेकिन सभी सनातनियों को एक होकर आगे आना होगा। एकजुट होना ही होगा। यह हिंदू राष्ट्र है, धर्म जागरण करना चाहिए, यात्रा निकालनी चाहिए। सवाल : अब बहुत कम उम्र के लोग कथा-प्रवचन कर रहे हैं। यह कहां तक सही है? जवाब : स्वयं शिवजी पार्वती को कथा सुनाते हैं। हमारे कथावाचक हैं, कथा सुनाते हैं। हमारे यहां बच्चे भी कई बार कथा सुनाते हैं। पति-पत्नी को कथा सुनाते हैं, बिल्कुल हो सकते हैं। कथा केवल व्यास पीठ पर बैठकर ही नहीं बाची जा सकती। जीवन में चलते हुए कहीं ना कहीं जब आवश्यकता होती है, तो अपने बच्चों का मार्गदर्शन करना भी एक कथा सुनाना ही है। लेकिन, मर्यादा का ध्यान रखना होगा। सवाल : आप कथा में बेलपत्र खाने की बात कहते हैं, इससे क्या फायदा? जवाब : जब शरीर में रोग हो, तब बेलपत्र का सेवन करिए। बेलपत्र खाने का एक तरीका होता है। उसको कोमलता के साथ खाएं। उसको रेगुलर खाएंगे, तो वह नुकसानदायक होगा। जब आपको तकलीफ होगी, तभी आप टैबलेट खाएंगे। गीता प्रेस की पुस्तकों में शिव महापुराण की कथा में भी कहा गया है कि शिव शंकर के ऊपर चढ़े हुए बेलपत्र और जल का सेवन करने से काफी फायदा मिलता है। सवाल : काशी आकर कैसा लग रहा है? जवाब : काशी के बारे में, मैं क्या वर्णन करूं? मेरा तो रोम-रोम कहता है कि जो काशी नहीं आया, उसको यहां आना चाहिए। यहां रहने वाला, चाहे किसी भी रूप में हो, होगा शिव का ही रूप। काशी का पत्ता-पत्ता और हर कंकर शिव का ही रूप है। सबको ज्ञान प्राप्त होता है। ज्यादा ज्ञानी बनकर आओगे तो बाबा प्राप्त नहीं होंगे। अज्ञानी बनकर आओगे तो बाबा प्राप्त हो जाएंगे। यहां एक-दूसरे के प्रति समर्पण की भावना है। सवाल : कथा में आने वाले लाखों भक्तों को क्या कहना चाहेंगे? जवाब : बाबा विश्वनाथ जी के लिए जो भक्तों का विश्वास है, मां गंगा के प्रति जो श्रद्धा है, इसलिए ज्यादा लोग पहुंच रहे हैं। यह कहना सही होगा कि विश्वनाथ जी की कृपा है कि वह अपने भक्तों को कथा सुनवा रहे हैं। ................................... ये खबर भी पढ़ें : पं. प्रदीप मिश्रा को 3 लाख लोग सुनने पहुंचे, 1 Km दूर तक बैठे, मान्यता ऐसी कि रेत के घर बनाएं, 2 हजार दुकानों का मिनी बाजार सजा काशी में पं. प्रदीप मिश्रा शिव महापुराण कथा सुना रहे हैं। 3 लाख लोग उन्हें सुनने पहुंचे हैं। पंडाल इतनी क्षमता का नहीं, इसलिए 1 km दूर तक लोग बैठकर कथा सुनते दिखे। गंगा की रेत पर कई महिलाएं रेत के घर बनाती दिखीं। पूछने पर बताया कि यहां रेत के घर बनाने से अपने घर भी जल्दी बन जाते हैं। पढ़िए पूरी खबर..

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