प्रीतम सिंह की महाकवायद: BJP के 9 विधायकों को चुनौती देकर सुखविंदर कौर बनीं देहरादून जिला पंचायत अध्यक्ष
रैबार डेस्क: प्रदेश की 12 जिलापंचायतों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के लिए हुए मतदान के... The post BJP के 9 विधायकों पर भारी पड़े प्रीतम सिंह, देहरादून जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं सुखविंदर कौर, प्रीतम के बेटे उपाध्यक्ष appeared first on Uttarakhand Raibar.
प्रीतम सिंह की महाकवायद: BJP के 9 विधायकों को चुनौती देकर सुखविंदर कौर बनीं देहरादून जिला पंचायत अध्यक्ष
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कम शब्दों में कहें तो, देहरादून जिला पंचायत के चुनाव में प्रीतम सिंह की रणनीति ने भाजपा को करारा झटका दिया है। कांग्रेस की सुखविंदर कौर अध्यक्ष बनीं, जबकि प्रीतम के बेटे ने उपाध्यक्ष पद भी जीत लिया। यह जीत भाजपा के 9 विधायकों पर भारी पड़ी है।
राष्ट्रपति चुनावों के लिए उत्तराखंड के 12 जिलापंचायतों में मतदान संपन्न हो चुका है। भाजपा ने दावा किया है कि उसने 10 जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर जीत हासिल की है; लेकिन देहरादून में उसे एक अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा। यहां परिणामी चुनावों में प्रीतम सिंह की चतुराई ने कांग्रेस को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों पदों पर विजय दिलाने में मदद की।
भाजपा की विधानसभा में कमजोर स्थिति का प्रभाव
देहरादून में जिला पंचायत की कुल 30 सीटें हैं। 31 जुलाई को आए नतीजों में भाजपा के समर्थित उम्मीदवार केवल 7 सीटें ही जीतने में कामयाब हुए, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवारों ने 12 सीटें जीतीं और 11 निर्दलीय भी जीते। यह स्थिति भाजपा के लिए सुधार की आवश्यकता दिखाती है। भाजपा की वरिष्ठ विधायक मुन्ना सिंह चौहान की पत्नी मधु चौहान मैदान में थीं, और भाजपा को उम्मीद थी कि वे कुछ निर्दलीय सदस्यों को अपने पक्ष में करने में सफल होंगी।
प्रीतम सिंह की मास्टर स्ट्रोक
कांग्रेस के अनुभवी नेता प्रीतम सिंह ने एक सुनियोजित तरीके से अपनी रणनीति को आगे बढ़ाया। प्रारंभ में, उन्होंने अपने बेटों को इस सीट पर चुनाव मैदान में उतारने का इरादा किया था; लेकिन जब यह सीट महिला आरक्षित हो गई, तब उन्हें उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की आवश्यकता महसूस हुई। जब उस पर कोई राहत नहीं मिली, तो कांग्रेस ने अचानक सुखविंदर कौर का नामांकन कराया। मतदान के परिणाम में सुखविंदर ने 17 मत प्राप्त किए और अध्यक्ष बनीं। वहीं, उपाध्यक्ष पद पर प्रीतम के बेटे अभिषेक सिंह ने 18 मत प्राप्त कर जीत हासिल की, जो दर्शाता है कि उनकी रणनीति भाजपा के 9 विधायकों के लिए एक बड़े निराशाजनक संकेत के रूप में उभरी।
नैनीताल में चुनाव के दौरान हंगामा
वहीं नैनीताल में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के समय भाजपा और कांग्रेस के बीच जमकर बवाल हुआ। कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह गुंडागर्दी कर रही है और उनके सदस्यों को किडनैप कर रही है। ऐसे में उच्च न्यायालय को भी दखल देना पड़ा। उच्च न्यायालय ने सुरक्षा को बढ़ाने एवं किडनैप हुए सदस्यों का पता लगाने के लिए एसएसपी को निर्देशित किया है, जिससे स्पष्ट होता है कि यह चुनावी प्रक्रिया शांतिपूर्ण नहीं रही। नैनीताल में कुल 27 सदस्य शामिल थे।
भाजपा की चुनौती
दाने-दाने पर भाजपा के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण रही है। देहरादून जिले में भाजपा के 9 विधायक हैं, वहीं प्रीतम सिंह कांग्रेस के अकेले विधायक हैं। यह स्थिति भाजपा के लिए चिंताजनक है। फिर भी, भाजपा कुछ अन्य जिलों में जैसे चमोली, पौड़ी, अल्मोड़ा, बागेश्वर, रुद्रप्रयाग और टिहरी में अपनी विजय का दावा कर रही है।
निष्कर्ष
यह चुनाव न केवल देहरादून बल्कि पूरे उत्तराखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है। प्रीतम सिंह की जीत ने यह स्थापित कर दिया है कि अगर योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जाए, तो किसी भी पार्टी को चुनौती दी जा सकती है। आगे के मुकाबले में ऐसी और घटनाएं देखने को मिल सकती हैं।
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