फतेहपुर जिला महिला अस्पताल का डॉक्टर हुआ बीमार:अपने ही विभाग पर लगाए आरोप, कहा- 8 डॉक्टर की तैनाती फिर भी नहीं है स्टाफ

फतेहपुर जिले के महिला अस्पताल में तैनात सीनियर डॉक्टर पी के गुप्ता ने अपने ही विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। डॉक्टर गुप्ता ने कहा कि उन्हें 24-24 घंटे काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि अस्पताल में कुल 8 डॉक्टर तैनात हैं। इसके बावजूद वह अकेले ही ओपीडी देख रहे हैं, ऑपरेशन कर रहे हैं और डिलीवरी भी कर रहे हैं, जिससे उन्हें मानसिक और शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस अत्यधिक दबाव के कारण डॉक्टर गुप्ता खुद बीमार हो गए हैं और अब अस्पताल में भर्ती हैं। डॉक्टर ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग उनके साथ अमानवीय व्यवहार कर रहा है, जिससे उनकी सेहत बिगड़ी है और वह मानसिक तनाव में हैं। उनका कहना है कि अगर विभाग समय पर बाकी डॉक्टरों से काम ले, तो वह तनाव मुक्त होकर अपना काम कर सकते हैं। डॉक्टर गुप्ता ने यह भी कहा कि विभाग उनकी जान लेने पर तुले हुए हैं, क्योंकि लगातार काम की अत्यधिक दबाव से उनकी सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इस मामले में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका मोबाइल नंबर नहीं लग पाया। इस पर सामाजिक संगठनों ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से इस मामले में जल्द कार्रवाई करने की मांग की है, ताकि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की स्थिति सुधारी जा सके और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हो। यह घटना सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों पर बढ़ते कार्यभार और मानसिक तनाव को उजागर करती है, जो स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करती है।

Nov 14, 2024 - 11:25
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फतेहपुर जिला महिला अस्पताल का डॉक्टर हुआ बीमार:अपने ही विभाग पर लगाए आरोप, कहा- 8 डॉक्टर की तैनाती फिर भी नहीं है स्टाफ
फतेहपुर जिले के महिला अस्पताल में तैनात सीनियर डॉक्टर पी के गुप्ता ने अपने ही विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। डॉक्टर गुप्ता ने कहा कि उन्हें 24-24 घंटे काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि अस्पताल में कुल 8 डॉक्टर तैनात हैं। इसके बावजूद वह अकेले ही ओपीडी देख रहे हैं, ऑपरेशन कर रहे हैं और डिलीवरी भी कर रहे हैं, जिससे उन्हें मानसिक और शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस अत्यधिक दबाव के कारण डॉक्टर गुप्ता खुद बीमार हो गए हैं और अब अस्पताल में भर्ती हैं। डॉक्टर ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग उनके साथ अमानवीय व्यवहार कर रहा है, जिससे उनकी सेहत बिगड़ी है और वह मानसिक तनाव में हैं। उनका कहना है कि अगर विभाग समय पर बाकी डॉक्टरों से काम ले, तो वह तनाव मुक्त होकर अपना काम कर सकते हैं। डॉक्टर गुप्ता ने यह भी कहा कि विभाग उनकी जान लेने पर तुले हुए हैं, क्योंकि लगातार काम की अत्यधिक दबाव से उनकी सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इस मामले में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका मोबाइल नंबर नहीं लग पाया। इस पर सामाजिक संगठनों ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से इस मामले में जल्द कार्रवाई करने की मांग की है, ताकि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की स्थिति सुधारी जा सके और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हो। यह घटना सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों पर बढ़ते कार्यभार और मानसिक तनाव को उजागर करती है, जो स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करती है।

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