बलरामपुर कांग्रेसियों ने प्रदर्शन कर डीएम को सौंपा ज्ञापन:जिलाध्यक्ष ने कहा-संपूर्णानंद स्टेडियम का नाम बदलना गौरवशाली विरासत का अपमान

बलरामपुर में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा सरकार द्वारा वाराणसी के स्टेडियम का बदले जा रहे नाम को लेकर जमकर विरोध किया है। बलरामपुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने वाराणसी के स्टेडियम से बाबू संपूर्णानंद का नाम हटाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। बलरामपुर कांग्रेस जिलाध्यक्ष अनुज सिंह के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपते हुए स्टेडियम का पुराना नाम बहाल करवाने की मांग की। वहीं कार्यकर्ताओं का कहना है की बड़ी निंदनीय बात है की एक महान क्रांतिकारी योद्धा के नाम को सरकार बदल दे रही है। वाराणसी के पुराने प्रतिष्ठित स्टेडियम से बाबू संपूर्णानंद का नाम हटाने के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया है। जिलाध्यक्ष अनुज सिंह की अगुवाई में प्रदर्शनकारियों ने स्टेडियम का नाम पुनः "डॉ. संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम" करने की मांग की। राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन डीएम को सौंपा। सरकार मनमानी तरीके से नाम बदल रही जिलाध्यक्ष अनुज सिंह ने कहा कि "प्रधानमंत्री द्वारा वाराणसी के पुराने स्टेडियम का उद्घाटन किया गया था। लेकिन इसके साथ ही स्टेडियम से बाबू संपूर्णानंद का नाम हटा दिया गया। जो बेहद आपत्तिजनक है। यह न केवल काशी की गौरवशाली विरासत का अपमान है। बल्कि लाखों काशीवासियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कदम है। संपूर्णानंद जैसे मनीषी और राजनेता के नाम को हटाना आजादी की लड़ाई और नैतिक मूल्यों की विरासत को नजर अंदाज करना है। "यह किसी को स्वीकार नहीं है। सरकार मनमानी तरीके से नाम बदल रही है। जिसको दोबारा बदलकर वहीं नाम करना चाहिए। वहीं कहना है कि इससे पहले भी सरदार पटेल के नाम से जो स्टेडियम था उसका भी नाम बदल चुके हैं। वही महापुरुषों के नाम को मिटाना भारतीय जनता पार्टी की प्रवृत्ति हो गई है। इनको महापुरुषों का योगदान मालूम नहीं है। यह लोग चाहे अनजाने में चाहे जानबूझकर महापुरुषों का अपमान करते रहे हैं। काशी के गौरवशाली विरासत का अपमान वहीं राष्ट्रपति को संबोधित दिए ज्ञापन में कहा है कि सर्व विदित है कि सम्पूर्णानन्द जी लोकप्रिय मनीषी राजनेता तथा आजादी की लड़ाई के अग्रणी सेनानी रहे है। दुर्भाग्य से देश और प्रदेश की सत्ता पर काबिज दल के लोग उनके योगदान को नहीं समझ पा रहे है। विगत दिनों प्रधानमंत्री द्वारा पुराने प्रतिष्ठित स्टेडियम के आधुनिक निर्माण का उद्घाटन करने के साथ ही इससे जुड़ा संपूर्णानंद जी का नाम हटा दिया गया। जो काफी आपत्तिजनक ही नहीं बल्कि काशी एवं उसकी गौरवशाली विरासत का अपमान है।

Oct 22, 2024 - 16:40
 48  501.8k
बलरामपुर कांग्रेसियों ने प्रदर्शन कर डीएम को सौंपा ज्ञापन:जिलाध्यक्ष ने कहा-संपूर्णानंद स्टेडियम का नाम बदलना गौरवशाली विरासत का अपमान
बलरामपुर में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा सरकार द्वारा वाराणसी के स्टेडियम का बदले जा रहे नाम को लेकर जमकर विरोध किया है। बलरामपुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने वाराणसी के स्टेडियम से बाबू संपूर्णानंद का नाम हटाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। बलरामपुर कांग्रेस जिलाध्यक्ष अनुज सिंह के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपते हुए स्टेडियम का पुराना नाम बहाल करवाने की मांग की। वहीं कार्यकर्ताओं का कहना है की बड़ी निंदनीय बात है की एक महान क्रांतिकारी योद्धा के नाम को सरकार बदल दे रही है। वाराणसी के पुराने प्रतिष्ठित स्टेडियम से बाबू संपूर्णानंद का नाम हटाने के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया है। जिलाध्यक्ष अनुज सिंह की अगुवाई में प्रदर्शनकारियों ने स्टेडियम का नाम पुनः "डॉ. संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम" करने की मांग की। राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन डीएम को सौंपा। सरकार मनमानी तरीके से नाम बदल रही जिलाध्यक्ष अनुज सिंह ने कहा कि "प्रधानमंत्री द्वारा वाराणसी के पुराने स्टेडियम का उद्घाटन किया गया था। लेकिन इसके साथ ही स्टेडियम से बाबू संपूर्णानंद का नाम हटा दिया गया। जो बेहद आपत्तिजनक है। यह न केवल काशी की गौरवशाली विरासत का अपमान है। बल्कि लाखों काशीवासियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कदम है। संपूर्णानंद जैसे मनीषी और राजनेता के नाम को हटाना आजादी की लड़ाई और नैतिक मूल्यों की विरासत को नजर अंदाज करना है। "यह किसी को स्वीकार नहीं है। सरकार मनमानी तरीके से नाम बदल रही है। जिसको दोबारा बदलकर वहीं नाम करना चाहिए। वहीं कहना है कि इससे पहले भी सरदार पटेल के नाम से जो स्टेडियम था उसका भी नाम बदल चुके हैं। वही महापुरुषों के नाम को मिटाना भारतीय जनता पार्टी की प्रवृत्ति हो गई है। इनको महापुरुषों का योगदान मालूम नहीं है। यह लोग चाहे अनजाने में चाहे जानबूझकर महापुरुषों का अपमान करते रहे हैं। काशी के गौरवशाली विरासत का अपमान वहीं राष्ट्रपति को संबोधित दिए ज्ञापन में कहा है कि सर्व विदित है कि सम्पूर्णानन्द जी लोकप्रिय मनीषी राजनेता तथा आजादी की लड़ाई के अग्रणी सेनानी रहे है। दुर्भाग्य से देश और प्रदेश की सत्ता पर काबिज दल के लोग उनके योगदान को नहीं समझ पा रहे है। विगत दिनों प्रधानमंत्री द्वारा पुराने प्रतिष्ठित स्टेडियम के आधुनिक निर्माण का उद्घाटन करने के साथ ही इससे जुड़ा संपूर्णानंद जी का नाम हटा दिया गया। जो काफी आपत्तिजनक ही नहीं बल्कि काशी एवं उसकी गौरवशाली विरासत का अपमान है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow