भगवान को हुआ सर्दी का एहसास:बांके बिहारी जी का बदला भोग,रमण बिहारी लाल ने धारण की गर्म पोशाक

मौसम में जैसे जैसे ठंडक बढ़ती जा रही है वैसे वैसे भक्त अपने आराध्य को भी सर्दी से बचाने के इंतजाम करने लगे हैं। विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में भगवान को अर्पित किए जाने वाले भोग में गर्म पदार्थों का मिश्रण किया जा रहा है वहीं उनको फूलों की माला भी नहीं पहनाई जा रही। इसके साथ ही गोकुल के रमणरेती में स्थित भगवान रमण बिहारी जी को गर्म पोशाक धारण कराना शुरू कर दिया गया है। भाव सेवा की है बांके बिहारी में प्रधानता अपनी विलक्षण रसीली इष्ट सेवा के चलते सनातन संसार की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध वृंदावन में विराजमान जन जन के आराध्य ठाकुर श्री बाँके बिहारी जी महाराज के मंदिर में पूरे साल सम्पन्न होने वाली सेवा व पर्व श्रृंखला में भाव सेवा का सर्वोत्कृष्ट स्वरूप परिलक्षित होता है। श्री हरिदास पीठाधीश्वर इतिहासकार आचार्य प्रह्लाद बल्लभ गोस्वामी के अनुसार विश्व विख्यात ठाकुर श्री बाँके बिहारी मंदिर में समूची साल मौसम के अनुरूप सम्पादित की जाने वाली सेवा विधि में आराध्य की 16 वर्षीय किशोर अवस्था का विशेष ध्यान रखा जाता है। श्री स्वामी हरिदास महाराज द्वारा प्रतिपादित इच्छा भावी निकुंजोपासना सेवा पद्धति के इसी अनूठेपन के कारण श्री बांके बिहारी जी की सेवाओं में भाव पक्ष की प्रधानता है। भोग में किया जा रहा मेवा और केशर का प्रयोग इसी भाव सेवा का अनुसरण करते हुये शीत का प्रभाव धीरे-धीरे बढ़ने पर आराध्य के भोग राग में भी तबदीली की जाने लगी है। अब आराध्य बांके बिहारी जी को दैनिक भोग सामग्री में गर्म पदार्थ निवेदित किए जाने लगे हैं। सर्दी के प्रभाव से उन्हें बचाने के लिए भोग सामग्री में केसर, अखरोट, बादाम, काजू, पिस्ता आदि की मात्रा बड़ा दी गई है। ठाकुर जी को लगाए जाने वाले चंदन में केसर मिलाया जा रहा। दूध भात, सभी भोग, माखन-मिश्री तथा रात्रि दूध में भी प्रचुर मात्रा में केसर मिलायी जा रही है। कराई जा रही गर्म पोशाक धारण श्री हरिदास पीठाधीश्वर प्रह्लाद बल्लभ गोस्वामी के मुताबिक सर्दी से बचाव के लिए भगवान को अब सनील, बेलवेट और मोटी अश्तरदार पोशाक पहनाई जा रही हैं। रात्रि में ठाकुर श्री बांके बिहारी जी के शयन कक्ष में ठाकुर जी के सोने के बाद चार लड्डू, चार पान के जोड़े और रजत पात्र में जल रखा जाता है। इसकी वजह है कि रात में यदि बिहारी जी की आंख खुल जाए और उन्हें भूख या प्यास लगे, तो वह इधर-उधर परेशान न हों। ये विशेष पदार्थ भी परोसे जा रहे बांके बिहारी मंदिर के सेवायत ज्ञानेंद्र गोस्वामी के अनुसार दैनिक भोग राग सामग्री के साथ साथ ठाकुर बांके बिहारी जी को बादाम का हलुआ, केसर व पंच मेवा युक्त दूध भात, मूंग दाल हलुआ, केसरिया अडोटा, कुटेमा मेवाओं के लड्डू, सभी तरह की मेवाओं की कतली, मेवा मिश्रित केसरिया गर्म दूध आदि के विशेष पदार्थ भोग में धराये जा रहे हैं। आराध्य को नित्यानी बाल भोग, राजभोग, उत्थापन भोग, शयन भोग के अतिरिक्त छप्पन भोग, भंडारों आदि में भी भरपूर मात्रा में गर्म सामग्री एवं केसर व मेवा का उपयोग हो रहा है। चार बार इत्रों से होती है मालिश सर्दियों में भगवान बांके बिहारी जी को पूरे दिन में चार बार केशर, कस्तूरी, हिना, ऊद, मस्क, अंबर आदि गर्म तासीर वाले बेशकीमती इत्रों से मालिश की जा रही है। इसके अलावा वर्ष भर चलने वाले गुलाब से बनने वाले इत्र से भी मालिश होती है। इसके पीछे भाव है कि बांके बिहारी जी बाल स्वरूप में हैं वह भक्तों को दर्शन देते देते थक जाते हैं इसके चलते उनकी थकान दूर करने के लिए इत्र से मालिश की जाती है। रमण बिहारी लाल ने धारण की गर्म पोशाक बांके बिहारी जी की तरह गोकुल के रमणरेती में स्थित भगवान रमण बिहारी लाल की पोशाक भी बदल गई है। अब भगवान रमण बिहारी लाल को गर्म पोशाक,टोपा आदि धारण कराए गए हैं। गर्म पोशाक धारण कराने से पहले प्रसिद्ध संत और रमणरेती आश्रम के महंत कर्षिणी गुरु शरणानंद महाराज ने भगवान का पूजन अर्चन किया।

Nov 21, 2024 - 07:25
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भगवान को हुआ सर्दी का एहसास:बांके बिहारी जी का बदला भोग,रमण बिहारी लाल ने धारण की गर्म पोशाक
मौसम में जैसे जैसे ठंडक बढ़ती जा रही है वैसे वैसे भक्त अपने आराध्य को भी सर्दी से बचाने के इंतजाम करने लगे हैं। विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में भगवान को अर्पित किए जाने वाले भोग में गर्म पदार्थों का मिश्रण किया जा रहा है वहीं उनको फूलों की माला भी नहीं पहनाई जा रही। इसके साथ ही गोकुल के रमणरेती में स्थित भगवान रमण बिहारी जी को गर्म पोशाक धारण कराना शुरू कर दिया गया है। भाव सेवा की है बांके बिहारी में प्रधानता अपनी विलक्षण रसीली इष्ट सेवा के चलते सनातन संसार की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध वृंदावन में विराजमान जन जन के आराध्य ठाकुर श्री बाँके बिहारी जी महाराज के मंदिर में पूरे साल सम्पन्न होने वाली सेवा व पर्व श्रृंखला में भाव सेवा का सर्वोत्कृष्ट स्वरूप परिलक्षित होता है। श्री हरिदास पीठाधीश्वर इतिहासकार आचार्य प्रह्लाद बल्लभ गोस्वामी के अनुसार विश्व विख्यात ठाकुर श्री बाँके बिहारी मंदिर में समूची साल मौसम के अनुरूप सम्पादित की जाने वाली सेवा विधि में आराध्य की 16 वर्षीय किशोर अवस्था का विशेष ध्यान रखा जाता है। श्री स्वामी हरिदास महाराज द्वारा प्रतिपादित इच्छा भावी निकुंजोपासना सेवा पद्धति के इसी अनूठेपन के कारण श्री बांके बिहारी जी की सेवाओं में भाव पक्ष की प्रधानता है। भोग में किया जा रहा मेवा और केशर का प्रयोग इसी भाव सेवा का अनुसरण करते हुये शीत का प्रभाव धीरे-धीरे बढ़ने पर आराध्य के भोग राग में भी तबदीली की जाने लगी है। अब आराध्य बांके बिहारी जी को दैनिक भोग सामग्री में गर्म पदार्थ निवेदित किए जाने लगे हैं। सर्दी के प्रभाव से उन्हें बचाने के लिए भोग सामग्री में केसर, अखरोट, बादाम, काजू, पिस्ता आदि की मात्रा बड़ा दी गई है। ठाकुर जी को लगाए जाने वाले चंदन में केसर मिलाया जा रहा। दूध भात, सभी भोग, माखन-मिश्री तथा रात्रि दूध में भी प्रचुर मात्रा में केसर मिलायी जा रही है। कराई जा रही गर्म पोशाक धारण श्री हरिदास पीठाधीश्वर प्रह्लाद बल्लभ गोस्वामी के मुताबिक सर्दी से बचाव के लिए भगवान को अब सनील, बेलवेट और मोटी अश्तरदार पोशाक पहनाई जा रही हैं। रात्रि में ठाकुर श्री बांके बिहारी जी के शयन कक्ष में ठाकुर जी के सोने के बाद चार लड्डू, चार पान के जोड़े और रजत पात्र में जल रखा जाता है। इसकी वजह है कि रात में यदि बिहारी जी की आंख खुल जाए और उन्हें भूख या प्यास लगे, तो वह इधर-उधर परेशान न हों। ये विशेष पदार्थ भी परोसे जा रहे बांके बिहारी मंदिर के सेवायत ज्ञानेंद्र गोस्वामी के अनुसार दैनिक भोग राग सामग्री के साथ साथ ठाकुर बांके बिहारी जी को बादाम का हलुआ, केसर व पंच मेवा युक्त दूध भात, मूंग दाल हलुआ, केसरिया अडोटा, कुटेमा मेवाओं के लड्डू, सभी तरह की मेवाओं की कतली, मेवा मिश्रित केसरिया गर्म दूध आदि के विशेष पदार्थ भोग में धराये जा रहे हैं। आराध्य को नित्यानी बाल भोग, राजभोग, उत्थापन भोग, शयन भोग के अतिरिक्त छप्पन भोग, भंडारों आदि में भी भरपूर मात्रा में गर्म सामग्री एवं केसर व मेवा का उपयोग हो रहा है। चार बार इत्रों से होती है मालिश सर्दियों में भगवान बांके बिहारी जी को पूरे दिन में चार बार केशर, कस्तूरी, हिना, ऊद, मस्क, अंबर आदि गर्म तासीर वाले बेशकीमती इत्रों से मालिश की जा रही है। इसके अलावा वर्ष भर चलने वाले गुलाब से बनने वाले इत्र से भी मालिश होती है। इसके पीछे भाव है कि बांके बिहारी जी बाल स्वरूप में हैं वह भक्तों को दर्शन देते देते थक जाते हैं इसके चलते उनकी थकान दूर करने के लिए इत्र से मालिश की जाती है। रमण बिहारी लाल ने धारण की गर्म पोशाक बांके बिहारी जी की तरह गोकुल के रमणरेती में स्थित भगवान रमण बिहारी लाल की पोशाक भी बदल गई है। अब भगवान रमण बिहारी लाल को गर्म पोशाक,टोपा आदि धारण कराए गए हैं। गर्म पोशाक धारण कराने से पहले प्रसिद्ध संत और रमणरेती आश्रम के महंत कर्षिणी गुरु शरणानंद महाराज ने भगवान का पूजन अर्चन किया।

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