भुत्सी जिला पंचायत चुनाव: सुप्रीम कोर्ट से मिली जीत, BJP प्रत्याशी को किया पराजित
टिहरी: टिहरी जिले के धनौल्टी विधानसभा क्षेत्र की भुत्सी जिला पंचायत सीट (वार्ड नंबर 10) इस पंचायत चुनाव में एक असाधारण कानूनी और चुनावी लड़ाई का गवाह बनी, जिसने सबका ध्यान आकर्षित किया। यह गाथा आज सीता देवी मनवाल की जीत के साथ समाप्त हुई, जिन्होंने अपनी उम्मीदवारी को लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक पहुँची महत्वपूर्ण …

भुत्सी जिला पंचायत चुनाव: सुप्रीम कोर्ट से मिली जीत, BJP प्रत्याशी को किया पराजित
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टिहरी: धनौल्टी विधानसभा क्षेत्र की भुत्सी जिला पंचायत सीट (वार्ड नंबर 10) ने इस पंचायत चुनाव में एक अद्वितीय कानूनी लड़ाई का प्रदर्शन किया। इस चुनाव में सीता देवी मनवाल की जीत ने साबित कर दिया कि संघर्ष और दृढ़ संकल्प की जीत हमेशा संभव है। चुनावी प्रक्रिया में कई बाधाएं आने के बावजूद, उन्होंने न्यायपालिका के समक्ष अपने अधिकारों की रक्षा करते हुए चुनावी मैदान में विजय प्राप्त की।
कानूनी चुनौतियों का सामना
सीता देवी मनवाल का चुनावी सफर दिखाता है कि वे न्यायिक और जन-समर्थन दोनों में कितनी सक्षम हैं। मनवाल ने इस चुनाव में 4,596 मत प्राप्त किए, जबकि भाजपा समर्थित अपने प्रतिद्वंदी सरिता नकोटी को 4,351 मत मिले। इस प्रकार, उन्होंने 245 मतों के अंतर से विजय प्राप्त की, जो उन्हें उत्तराखंड के पंचायत चुनावों में एक महत्वपूर्ण जीत बनाती है।
नामांकन रद्द से लेकर बहाली तक
यह विवाद तब शुरू हुआ जब रिटर्निंग अधिकारी ने धनौल्टी क्षेत्र में मनवाल का नामांकन रद्द कर दिया, व्यावसायिक रूप से सरिता नकोटी को निर्विरोध विजेता घोषित किया गया। लेकिन मनवाल ने हार नहीं मानी। उन्होंने नैनीताल उच्च न्यायालय में इस निर्णय के खिलाफ चुनौती दी, जहाँ न्यायालय ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया। परिणामस्वरूप, निर्वाचन आयोग ने नकोटी की निर्विरोध जीत को पलटा और मनवाल को चुनाव चिन्ह दिया।
हालांकि, भाजपा समर्थित सरिता नकोटी ने सर्वोच्च न्यायालय में स विशेष अवकाश याचिका (एसएलपी) दायर कर इस निर्णय को चुनौती देने की कोशिश की। सुनवाई के बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के निर्णय को बरकरार रखा, जिससे मनवाल की चुनाव लडने की अनुमति सुनिश्चित हुई।
चुनावी संग्राम का अंतिम चरण
कानूनी घमासान के बाद, चुनाव के असली युद्ध की शुरुआत हुई। भाजपा की सरिता नकोटी और कांग्रेस समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी सीता मनवाल दोनों ने एक कट्टर मुकाबला किया। इस युद्ध में संसाधनों और प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया, लेकिन अंततः मनवाल की मेहनत और जनता का समर्थन भारी पड़ा। उन्होंने चुनावी जीत को "संविधान, न्यायपालिका और जनता की संयुक्त जीत" बताया।
नतीजे और उनके व्यापक प्रभाव
सीता देवी मनवाल की जीत अब राज्यभर में प्रेरणा का स्रोत बन गई है। उनकी कहानी यह दर्शाती है कि लोकतंत्र की भावना और अटूट संकल्प एक शक्तिशाली मिश्रण है। उत्तराखंड पंचायत चुनावों के परिणाम केवल एक व्यक्ति की जीत नहीं बल्कि महिलाओं और जन प्रतिनिधियों के लिए एक प्रेरक संदेश है जो संघर्षशील हैं कि मेहनत का फल मीठा होता है।
इन चुनावों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि संसद में जन प्रतिनिधियों की आवाज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और यह अनिवार्य है कि पंचायत चुनावों में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाए।
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सादर,
टीम इंडिया टुडे - साक्षी रानी
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