मनाली में मकर संक्रांति से देव प्रवास शुरू:देवालय बंद, कृषि कार्य और वाद्य यंत्रों पर रोक; 42 दिन बाद फागली उत्सव पर लौटेंगे
मकर संक्रांति से मनाली घाटी में सदियों पुरानी धार्मिक परंपरा का आगाज हो गया है। घाटी के अधिकतर देवालयों के कपाट बंद कर दिए गए हैं, क्योंकि स्थानीय देवता अब स्वर्ग प्रवास पर चले गए हैं। इस दौरान 42 दिनों तक सभी देव कार्यों के साथ-साथ कृषि गतिविधियों पर भी प्रतिबंध रहेगा। मनाली से सोलंगनाला की ओर स्थित नौ गांवों में कंचन नाग, व्यास ऋषि और गौतम ऋषि के मंदिर विधिवत पूजा के बाद बंद कर दिए गए हैं। इस अवधि में गांवों में किसी भी प्रकार का शोर-शराबा नहीं होगा। वाद्य यंत्रों के साथ टीवी और रेडियो भी न्यूनतम आवाज में ही चलाए जा सकेंगे। गौशालाओं से गोबर निकालने तक पर रोक रहेगी। फागली उत्सव पर वापस आएंगे देवता विशेष परंपरा के तहत मकर संक्रांति पर गौतम ऋषि की मूर्ति पर कपड़े से छानी गई मिट्टी का लेप लगाया गया है, जिसे 42 दिन बाद हटाया जाएगा। देवता के कारदार हरि सिंह के अनुसार, 42 दिनों के बाद फागली उत्सव के दौरान देवताओं की वापसी होगी, जिस दिन वे साल भर की भविष्यवाणी भी करेंगे। सदियों से चली आ रही परंपरा - पुजारी कार्तिक स्वामी के पुजारी मकरध्वज शर्मा ने बताया कि सिमसा स्थित मंदिर के कपाट 12 फरवरी को फाल्गुन संक्रांति पर खुलेंगे। तब तक सिमसा, कन्याल, छियाल, मढ़ी और रांगडी में सभी धार्मिक और कृषि कार्य प्रतिबंधित रहेंगे। यह परंपरा स्थानीय लोगों की गहरी आस्था का प्रतीक है, जिसका पालन वे सदियों से करते आ रहे हैं।

मनाली में मकर संक्रांति से देव प्रवास शुरू
मकर संक्रांति का त्योहार मनाली में एक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर विशेष सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियाँ होती हैं। इस साल, मकर संक्रांति के साथ ही देव प्रवास की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिससे देवालय बंद कर दिए गए हैं और कृषि कार्यों पर भी रोक लगा दी गई है। यह प्रतिबंध धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं का पालन करते हुए लागू किया गया है।
देवालय बंद: धार्मिक मान्यताएँ
देवालयों के बंद होने का मुख्य उद्देश्य धार्मिक उत्सवों के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। मकर संक्रांति से लेकर फागली उत्सव तक का समय देवताओं की विशेष श्रद्धा के लिए समर्पित होता है। इसलिए, इस दौरान लोग अपने घरों में रहकर पूजा-अर्चना करते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करते हैं।
कृषि कार्यों और वाद्य यंत्रों पर रोक
इस अवधि में कृषि कार्यों पर रोक लगाना भी एक प्रथा है। स्थानीय लोग मानते हैं कि मकर संक्रांति के दौरान कृषि कार्य करना अनुचित है। इसके अलावा, वाद्य यंत्रों का बजाना भी इस समय पर प्रतिबंधित होता है, ताकि सभी का ध्यान देवताओं की भक्तियों पर केंद्रित हो सके।
फागली उत्सव की वापसी
42 दिन बाद, देव प्रवास का अंत होगा और फागली उत्सव का आयोजन किया जाएगा। फागली उत्सव, जो कि मनाली की संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है, इस दौरान लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकलते हैं और एक साथ मिलकर इस उत्सव का आनंद लेते हैं। यह उत्सव क्षेत्रीय लोक गीतों, नृत्यों, और सांस्कृतिक प्रदर्शनों से भरा होता है।
फागली उत्सव सर्दी के मौसम में मनाए जाने वाले समारोहों में से एक है, जिसमें स्थानीय लोग न केवल अपनी धार्मिक भावनाओं का प्रदर्शन करते हैं, बल्कि साथ ही अपनी सांस्कृतिक धरोहर का भी सम्मान करते हैं।
संक्षेप में, मकर संक्रांति से देव प्रवास की शुरुआत, कृषि कार्यों का रोकना, और फागली उत्सव का आयोजन, सभी मिलकर मनाली की समृद्ध संस्कृति को संरक्षित रखते हैं। इस तरह के आयोजन हमें अपने परंपराओं और धार्मिक विश्वासों से जोड़ते हैं।
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