माता अन्नपूर्णा के 17 दिवसीय व्रत की हुई शुरुआत:महंत के हाथों भक्तों लिया 17 गांठ वाला धागा, पूर्वांचल के किसान पहुंचे मंदिर

माता अन्नपूर्णा के 17 दिवसीय व्रत की शुरुआत आज की गई। व्रत करने वाले मंदिर पहुंचे। वहीं, महंत अन्नपूर्णा मंदिर से खास धागा लेकर व्रत की शुरुआत की। मान्यता है कि माता अन्नपूर्णा के 17 दिवसीय इस खास व्रत को करने से सभी दुख दर्द दूर हो जाते हैं और घर में हमेशा अन्य धन प्रचुर मात्रा में भरा रहता है। ये व्रत 17 वर्ष, 17 महीने, 17 दिन का महाव्रत माना जाता है। महंत ने भक्तों को दिया 17 गांठ वाले धागे भक्त अपने व्रत के संकल्प के साथ महंत शंकर पूरी के हाथों 17 गांठ वाले धागे प्राप्त कर अपने हाथ में धारण करते है। इस महाव्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है, केवल एक वक्त फलहार करते है। महंत शंकपुरी ने बताया कि इस महाव्रत से सारे दुख दूर हो जाते है। साथ ही सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। उन्होंने बताय कि उद्यापन के दिन धान के बालियों से पूरा परिसर सजाया जाता है। जिसे प्रसाद के रूप में भक्तों को वितरित कर दिया जाता है। 7 दिसंबर को सजेगा दरबार महंत शंकर पूरी ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि पहली फसल की धान की बालियां किसानों द्वारा माता को अर्पित की जाती है। पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों से किसान धान की बालियां लेकर माता के दरबार में पहुंचते हैं और उसी से पूरा दरबार सजाया जाता है‌। मां अन्नपूर्णा के 17 दिवसीय महाव्रत की शुरुआत 20 नवंबर यानी आज से होगी और पूर्णाहुति सात दिसंबर को होगी।

Nov 20, 2024 - 13:40
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माता अन्नपूर्णा के 17 दिवसीय व्रत की हुई शुरुआत:महंत के हाथों भक्तों लिया 17 गांठ वाला धागा, पूर्वांचल के किसान पहुंचे मंदिर
माता अन्नपूर्णा के 17 दिवसीय व्रत की शुरुआत आज की गई। व्रत करने वाले मंदिर पहुंचे। वहीं, महंत अन्नपूर्णा मंदिर से खास धागा लेकर व्रत की शुरुआत की। मान्यता है कि माता अन्नपूर्णा के 17 दिवसीय इस खास व्रत को करने से सभी दुख दर्द दूर हो जाते हैं और घर में हमेशा अन्य धन प्रचुर मात्रा में भरा रहता है। ये व्रत 17 वर्ष, 17 महीने, 17 दिन का महाव्रत माना जाता है। महंत ने भक्तों को दिया 17 गांठ वाले धागे भक्त अपने व्रत के संकल्प के साथ महंत शंकर पूरी के हाथों 17 गांठ वाले धागे प्राप्त कर अपने हाथ में धारण करते है। इस महाव्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है, केवल एक वक्त फलहार करते है। महंत शंकपुरी ने बताया कि इस महाव्रत से सारे दुख दूर हो जाते है। साथ ही सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। उन्होंने बताय कि उद्यापन के दिन धान के बालियों से पूरा परिसर सजाया जाता है। जिसे प्रसाद के रूप में भक्तों को वितरित कर दिया जाता है। 7 दिसंबर को सजेगा दरबार महंत शंकर पूरी ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि पहली फसल की धान की बालियां किसानों द्वारा माता को अर्पित की जाती है। पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों से किसान धान की बालियां लेकर माता के दरबार में पहुंचते हैं और उसी से पूरा दरबार सजाया जाता है‌। मां अन्नपूर्णा के 17 दिवसीय महाव्रत की शुरुआत 20 नवंबर यानी आज से होगी और पूर्णाहुति सात दिसंबर को होगी।

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