मालदीव ने PAK से अपने हाई कमिश्नर को वापस बुलाया:बिना इजाजत तालिबानी डिप्लोमैट से मुलाकात की थी; विदेश मंत्रालय बोला- उन पर कार्रवाई होगी

मालदीव ने पाकिस्तान में मौजूद अपने हाई कमिश्नर मोहम्मद तोहा को वापस बुलाने बुलाने का फैसला किया है। दरअसल, तोहा ने 1 नवंबर को इस्लामाबाद में तालिबान के डिप्लोमैट सरदार अहमद शाकीब से मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच अफगानिस्तान-मालदीव के रिश्तों पर चर्चा हुई। मालदीव के विदेश मंत्रालय ने बताया कि उन्होंने अपने हाई कमिश्नर को इस बैठक की इजाजत नहीं दी थी। इसी वजह से सरकार ने उन्हें वापस बुलाने का फैसला किया है। न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक इस्लामाबाद में मौजूद मालदीव मिशन की वेबसाइट से भी तोहा का नाम हटा दिया गया है। मालदीव की लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तोहा को इस साल जुलाई में पाकिस्तान में बतौर हाई कमिश्नर भेजा गया था। मालदीव की सरकार ने तोहा के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है। सेंट्रल एशियाई देशों से कूटनीतिक रिश्ते बनाने की कोशिश में तालिबान 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद से अब तक किसी भी देश ने उसकी सरकार को मान्यता नहीं दी है। हालांकि, 3 साल से अफगानी सत्ता पर काबिज तालिबान कई देशों से कूटनीतिक रिश्ते बनाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान, चीन, रूस और ईरान जैसे कई सेंट्रल एशियाई देशों ने अफगानिस्तान के डिप्लोमैटिक रिश्तों की शुरुआत की है। हालांकि, काबुल में अब भी सभी पश्चिमी देशों के दूतावासों पर ताला जड़ा हुआ। साउथ एशिया के सबसे छोटे इस्लामिक देश मालदीव ने भी अब तक तालिबान की सत्ता को मान्यता नहीं दी है। तालिबानी मंत्री ने कहा था- भारत से रिश्ते मजबूत करना चाहते हैं मार्च में तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने भारत के एक डेलिगेशन से मुलाकात की थी। तब मुत्ताकी ने कहा था कि हम भारत के साथ राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर रिश्तों को मजबूत करना चाहते हैं। इस दौरान विदेश मंत्री ने भारत से अफगान व्यापारियों, छात्रों और मरीजों के लिए वीजा लेने की प्रक्रिया आसान करने की अपील की थी। फरवरी में भारत के डिप्टी NSA विक्रम मिस्री ने किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में अफगानिस्तान को लेकर हुई बैठक को संबोधित किया था। मिस्री ने कहा था- भारत के हित अफगानिस्तान से जुड़े हुए हैं। अफगानिस्तान का इस्तेमाल लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों को पनाह और ट्रेनिंग देने के लिए नहीं होना चाहिए। कूटनीतिक मान्यता की मांग कर रहा तालिबान तालिबान ने 15 अगस्त 2021 को काबुल के साथ ही पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से वो लगातार दुनिया से उसे मान्यता देने की मांग करता रहा है। तालिबान के कार्यकारी रक्षा मंत्री मुल्लाह मोहम्मद याकूब मुजाहिद ने अल-अरेबिया न्यूज चैनल को एक इंटरव्यू दिया था। इस दौरान उन्होंने कहा था- सरकार ने मान्यता हासिल करने के लिए सारी जरूरतों को पूरा किया है। इसके बावजूद अमेरिका के दबाव में आकर दूसरे देश हमें मान्यता नहीं दे रहे हैं। हम उन देशों से मान्यता की अपील करते हैं जो अमेरिका के दबाव में नहीं हैं। हम चाहते हैं कि दुनिया के ताकतवर इस्लामिक देश हमें सरकार के तौर पर पहचानें।

Nov 5, 2024 - 11:00
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मालदीव ने PAK से अपने हाई कमिश्नर को वापस बुलाया:बिना इजाजत तालिबानी डिप्लोमैट से मुलाकात की थी; विदेश मंत्रालय बोला- उन पर कार्रवाई होगी
मालदीव ने पाकिस्तान में मौजूद अपने हाई कमिश्नर मोहम्मद तोहा को वापस बुलाने बुलाने का फैसला किया है। दरअसल, तोहा ने 1 नवंबर को इस्लामाबाद में तालिबान के डिप्लोमैट सरदार अहमद शाकीब से मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच अफगानिस्तान-मालदीव के रिश्तों पर चर्चा हुई। मालदीव के विदेश मंत्रालय ने बताया कि उन्होंने अपने हाई कमिश्नर को इस बैठक की इजाजत नहीं दी थी। इसी वजह से सरकार ने उन्हें वापस बुलाने का फैसला किया है। न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक इस्लामाबाद में मौजूद मालदीव मिशन की वेबसाइट से भी तोहा का नाम हटा दिया गया है। मालदीव की लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तोहा को इस साल जुलाई में पाकिस्तान में बतौर हाई कमिश्नर भेजा गया था। मालदीव की सरकार ने तोहा के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है। सेंट्रल एशियाई देशों से कूटनीतिक रिश्ते बनाने की कोशिश में तालिबान 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद से अब तक किसी भी देश ने उसकी सरकार को मान्यता नहीं दी है। हालांकि, 3 साल से अफगानी सत्ता पर काबिज तालिबान कई देशों से कूटनीतिक रिश्ते बनाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान, चीन, रूस और ईरान जैसे कई सेंट्रल एशियाई देशों ने अफगानिस्तान के डिप्लोमैटिक रिश्तों की शुरुआत की है। हालांकि, काबुल में अब भी सभी पश्चिमी देशों के दूतावासों पर ताला जड़ा हुआ। साउथ एशिया के सबसे छोटे इस्लामिक देश मालदीव ने भी अब तक तालिबान की सत्ता को मान्यता नहीं दी है। तालिबानी मंत्री ने कहा था- भारत से रिश्ते मजबूत करना चाहते हैं मार्च में तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने भारत के एक डेलिगेशन से मुलाकात की थी। तब मुत्ताकी ने कहा था कि हम भारत के साथ राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर रिश्तों को मजबूत करना चाहते हैं। इस दौरान विदेश मंत्री ने भारत से अफगान व्यापारियों, छात्रों और मरीजों के लिए वीजा लेने की प्रक्रिया आसान करने की अपील की थी। फरवरी में भारत के डिप्टी NSA विक्रम मिस्री ने किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में अफगानिस्तान को लेकर हुई बैठक को संबोधित किया था। मिस्री ने कहा था- भारत के हित अफगानिस्तान से जुड़े हुए हैं। अफगानिस्तान का इस्तेमाल लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों को पनाह और ट्रेनिंग देने के लिए नहीं होना चाहिए। कूटनीतिक मान्यता की मांग कर रहा तालिबान तालिबान ने 15 अगस्त 2021 को काबुल के साथ ही पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से वो लगातार दुनिया से उसे मान्यता देने की मांग करता रहा है। तालिबान के कार्यकारी रक्षा मंत्री मुल्लाह मोहम्मद याकूब मुजाहिद ने अल-अरेबिया न्यूज चैनल को एक इंटरव्यू दिया था। इस दौरान उन्होंने कहा था- सरकार ने मान्यता हासिल करने के लिए सारी जरूरतों को पूरा किया है। इसके बावजूद अमेरिका के दबाव में आकर दूसरे देश हमें मान्यता नहीं दे रहे हैं। हम उन देशों से मान्यता की अपील करते हैं जो अमेरिका के दबाव में नहीं हैं। हम चाहते हैं कि दुनिया के ताकतवर इस्लामिक देश हमें सरकार के तौर पर पहचानें।

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