मूर्ति विसर्जन हिंसा के बाद ध्वस्तीकरण पर विवाद:बहराइच के महाराजगंज मामले पर आज होगी हाई कोर्ट में होगी सुनवाई; बुलडोजर चलेगा या नहीं

बहराइच में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई हिंसा के बाद प्रशासन द्वारा जारी किए गए ध्वस्तीकरण नोटिसों के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में आज सुनवाई होगी। यह सुनवाई न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ के समक्ष होगी। एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) संस्था ने इस मामले में जनहित याचिका दाखिल की है।याचिकाकर्ताओं का कहना है कि प्रशासन ने हिंसा के बाद अवैध निर्माण के नाम पर कार्रवाई करते हुए लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन किया है। क्या है पूरा मामला मूर्ति विसर्जन के दौरान हिंसा यह घटना 13 अक्टूबर की है, जब बहराइच जिले के महसी तहसील के महराजगंज बाजार में मूर्ति विसर्जन के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी। हिंसा के दौरान राम गोपाल मिश्रा नामक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद इलाके में तनाव फैल गया और कई दुकानों, मकानों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। घटना के बाद प्रशासन ने मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद समेत 23 अन्य व्यक्तियों पर कार्रवाई की। इन पर सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण का आरोप लगाते हुए ध्वस्तीकरण के नोटिस जारी किए गए। याचिकाकर्ताओं का पक्ष APCR संस्था ने इस मामले में याचिका दायर करते हुए प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि प्रशासन ने बिना किसी ठोस जांच और कानूनी प्रक्रिया का पालन किए संपत्तियों पर कार्रवाई की। मौलिक अधिकारों का हनन: ध्वस्तीकरण के नाम पर प्रभावित लोगों को न्याय पाने का अवसर भी नहीं दिया गया। सांप्रदायिक भेदभाव: कार्रवाई को "सांप्रदायिक भेदभाव" पर आधारित बताते हुए याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह हिंसा के बाद एकतरफा कदम है। प्रशासन का पक्ष प्रशासन का कहना है कि जिन संपत्तियों पर कार्रवाई की गई, वे सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाई गई थीं। अधिकारियों ने दावा किया कि हिंसा में शामिल व्यक्तियों को चिन्हित कर यह कदम उठाया गया।प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई कानून के तहत की गई है और इसका उद्देश्य अवैध निर्माणों को हटाना है। हाईकोर्ट में क्या होगा? याचिकाकर्ता यह मांग कर रहे हैं कि ध्वस्तीकरण नोटिस रद्द किए जाएं और प्रभावित लोगों को मुआवजा दिया जाए। हाईकोर्ट यह तय करेगा कि प्रशासन की कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया के अनुसार थी या नहीं। महत्वपूर्ण सवाल जो हाई कोर्ट में उठाए गए क्या ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया के तहत की गई? क्या हिंसा के बाद की गई कार्रवाई में सांप्रदायिक भेदभाव का पहलू शामिल है? प्रभावित लोगों को पर्याप्त न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे?

Nov 27, 2024 - 08:45
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मूर्ति विसर्जन हिंसा के बाद ध्वस्तीकरण पर विवाद:बहराइच के महाराजगंज मामले पर आज होगी हाई कोर्ट में होगी सुनवाई; बुलडोजर चलेगा या नहीं
बहराइच में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई हिंसा के बाद प्रशासन द्वारा जारी किए गए ध्वस्तीकरण नोटिसों के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में आज सुनवाई होगी। यह सुनवाई न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ के समक्ष होगी। एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) संस्था ने इस मामले में जनहित याचिका दाखिल की है।याचिकाकर्ताओं का कहना है कि प्रशासन ने हिंसा के बाद अवैध निर्माण के नाम पर कार्रवाई करते हुए लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन किया है। क्या है पूरा मामला मूर्ति विसर्जन के दौरान हिंसा यह घटना 13 अक्टूबर की है, जब बहराइच जिले के महसी तहसील के महराजगंज बाजार में मूर्ति विसर्जन के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी। हिंसा के दौरान राम गोपाल मिश्रा नामक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद इलाके में तनाव फैल गया और कई दुकानों, मकानों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। घटना के बाद प्रशासन ने मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद समेत 23 अन्य व्यक्तियों पर कार्रवाई की। इन पर सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण का आरोप लगाते हुए ध्वस्तीकरण के नोटिस जारी किए गए। याचिकाकर्ताओं का पक्ष APCR संस्था ने इस मामले में याचिका दायर करते हुए प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि प्रशासन ने बिना किसी ठोस जांच और कानूनी प्रक्रिया का पालन किए संपत्तियों पर कार्रवाई की। मौलिक अधिकारों का हनन: ध्वस्तीकरण के नाम पर प्रभावित लोगों को न्याय पाने का अवसर भी नहीं दिया गया। सांप्रदायिक भेदभाव: कार्रवाई को "सांप्रदायिक भेदभाव" पर आधारित बताते हुए याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह हिंसा के बाद एकतरफा कदम है। प्रशासन का पक्ष प्रशासन का कहना है कि जिन संपत्तियों पर कार्रवाई की गई, वे सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाई गई थीं। अधिकारियों ने दावा किया कि हिंसा में शामिल व्यक्तियों को चिन्हित कर यह कदम उठाया गया।प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई कानून के तहत की गई है और इसका उद्देश्य अवैध निर्माणों को हटाना है। हाईकोर्ट में क्या होगा? याचिकाकर्ता यह मांग कर रहे हैं कि ध्वस्तीकरण नोटिस रद्द किए जाएं और प्रभावित लोगों को मुआवजा दिया जाए। हाईकोर्ट यह तय करेगा कि प्रशासन की कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया के अनुसार थी या नहीं। महत्वपूर्ण सवाल जो हाई कोर्ट में उठाए गए क्या ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया के तहत की गई? क्या हिंसा के बाद की गई कार्रवाई में सांप्रदायिक भेदभाव का पहलू शामिल है? प्रभावित लोगों को पर्याप्त न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे?

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