यति नरसिंघानंद के बयान पर सुनवाई 27 को:हाईकोर्ट में मोहम्मद जुबैर के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने की मांग
एएलटी न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने पिछले महीने गाजियाबाद पुलिस द्वारा दर्ज एक एफआईआर को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस याचिका में उन पर महंत यति नरसिंहानंद के एक सहयोगी की शिकायत के बाद धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। अब इस मामले में सुनवाई के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट लिस्टिंग हो गई है। मोहम्मद जुबैर के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग में दाखिल याचिका पर 27 नवंबर को सुनवाई होगी। यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में दावा किया गया है कि जुबैर ने नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम की वीडियो क्लिप 3 अक्टूबर को मुसलमानों द्वारा हिंसा भड़काने के इरादे से पोस्ट की थी। याचिका पर जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ के समक्ष शीघ्र सुनवाई की संभावना है। संपादित क्लिप पोस्ट करने का आरोप शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि जुबैर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर यति नरसिंहानंद की संपादित क्लिप पोस्ट की, जिसमें महंत के के खिलाफ कट्टरपंथी भावनाएं भड़काने के लिए पैगंबर मुहम्मद पर नरसिंहानंद की कथित भड़काऊ टिप्पणी थी। अपने एक्स पोस्ट में उन्होंने नरसिंहानंद के कथित भाषण को 'अपमानजनक' बताया था। जुबैर पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196 (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), धारा 228 (झूठे साक्ष्य गढ़ना), धारा 299 (धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य), धारा 356 (3) (मानहानि) और 351 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में जुबैर ने याचिका दाखिल कर प्राथमिकी को रद्द करने और दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण की मांग की है। अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि उनके एक्स पोस्ट में यति के खिलाफ हिंसा का आह्वान नहीं किया गया है। उन्होंने केवल पुलिस अधिकारियों को नरसिंहानंद के कार्यों के बारे में सतर्क किया था और कानून के अनुसार कार्रवाई की मांग की थी, और यह दो वर्गों के लोगों के बीच वैमनस्य या दुर्भावना को बढ़ावा देने जैसा नहीं हो सकता है। उन्होंने बीएनएस के तहत मानहानि के प्रावधान को इस आधार पर चुनौती दी है कि नरसिंहानंद के खिलाफ अपने वीडियो साझा करके कार्रवाई की मांग करना, जो पहले से ही सार्वजनिक क्षेत्र में हैं, मानहानि नहीं हो सकती। याचिका में यह भी कहा गया है कि पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के समय, नरसिंहानंद एक अन्य हेट स्पीच मामले में जमानत पर थे, जहां उनकी जमानत की शर्त में कहा गया था कि वह ऐसा कोई बयान नहीं देंगे जो सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देता हो। उल्लेखनीय है कि यति नरसिंहानंद को पैगंबर मोहम्मद और पवित्र ग्रंथ कुरान के खिलाफ सवाल उठाने से रोकने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहले से एक जनहित याचिका लंबित है।
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