लखनऊ में यूनिसेफ का हुआ स्वागत:रोजा इफ्तार को सांस्कृतिक विरासत की सूची में किया गया शामिल

लखनऊ में परवाज फ़ाउंडेशन के द्वारा विशेष रोजा इफ्तार का आयोजन दी सफाया हाल मेट्रो सिटी निशातगज में किया गया। इफ्तार कार्यक्रम में अब्दुल नसीर नासिर चेयरमैन, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ट्रस्ट समेत बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। अब्दुल नसीर ने बताया कि UNICEF ने दुनिया भर में होने वाले रोजा इफ़्तार को सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया है। इफ्तार में पूर्व एमएलसी सिराज मेहदी , डॉ. कौसर उस्मान केजीएमयू , मुज्तबा खान और तारिक सिद्दीकी समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे । सिराज मेंहदी ने कहा कि यह बेहद हर्ष का अवसर है कि रोजा इफ्तार को एक नई पहचान मिली। यूनिसेफ ने रोजा इफ्तार को सांस्कृतिक विरासत की लिस्ट में जगह दिया है ये अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण है। रमजान की खास महीने में भारत समेत पूरे विश्व में रोजा इफ्तार के विशेष आयोजन किए जाते हैं। इस इफ्तार में अमीर गरीब विभिन्न धर्म और जाति के लोग एक साथ बैठकर इफ्तार करते हैं। अब्दुल नासिर ने कहा कि यूनिसेफ के द्वारा दिए गए इस सम्मान का हम लोग स्वागत करते हैं। रमजान महीना लोगों की मदद और इबादत का होता। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का आर्थिक रूप से संपन्न लोग मदद करते हैं। इस्लाम धर्म में गरीबों की मदद को इबादत का हिस्सा कहा गया है। सभी लोगों से हम अपील करते है कि बीमार लोगों की इलाज में मदद करें गरीब छात्रों की शिक्षा में सहायता करें।

Mar 17, 2025 - 23:59
 52  11248
लखनऊ में यूनिसेफ का हुआ स्वागत:रोजा इफ्तार को सांस्कृतिक विरासत की सूची में किया गया शामिल
लखनऊ में परवाज फ़ाउंडेशन के द्वारा विशेष रोजा इफ्तार का आयोजन दी सफाया हाल मेट्रो सिटी निशातगज म

लखनऊ में यूनिसेफ का हुआ स्वागत: रोजा इफ्तार को सांस्कृतिक विरासत की सूची में किया गया शामिल

News by indiatwoday.com

लखनऊ का सांस्कृतिक महत्व

लखनऊ, भारत की एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगरी है। यह शहर अपनी समृद्ध विरासत, अद्भुत वास्तुकला, और जीवंत परंपराओं के लिए जाना जाता है। हाल ही में, यहां यूनिसेफ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में रोजा इफ्तार को सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया गया, जो कि इस शहर के लिए एक गर्व का क्षण है। इस कदम को संस्कृति और समर्पण का प्रतीक माना जा रहा है।

यूनिसेफ का स्वागत

इस स्वागत समारोह में विभिन्न निर्णयकर्ताओं, सांस्कृतिक व्यक्तित्वों और स्थानीय जनता ने भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य यह बताना था कि किस प्रकार रोजा इफ्तार जैसे पर्व हमारे समाज की विविधता में एकता का संदेश फैलाते हैं। यूनिसेफ के प्रतिनिधियों ने इस अवसर पर लखनऊ की सांस्कृतिक महत्वता, ऐतिहासिक धरोहरों और स्थानीय रिवाजों की सराहना की।

रोजा इफ्तार की विशेषताएँ

रोजा इफ्तार केवल उपवास तोड़ने का एक अवसर नहीं है, बल्कि यह समुदाय के एकजुट होने का भी समय है। इसकी खासियत यह है कि इसमें शहर की विभिन्न जातियों, धर्मों और संस्कृतियों का समागम देखने को मिलता है। इफ्तार के दौरान परोसे जाने वाले विभिन्न खाद्य पदार्थ और पारंपरिक चाय, खासकर लखनऊ की गुलाब जामुन, सेवइयां, और कचौरी की विशेषता है।

संरक्षण और संवर्धन

यह कदम इंसानी जीवन के अनुभवों और परंपराओं की रक्षा करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। यूनिसेफ का यह अभियान सामुदायिक सहयोग के महत्व को रेखांकित करता है। रोजा इफ्तार का सांस्कृतिक धरोहर में शामिल होना, न केवल इसे संरक्षित करने की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह भविष्य पीढ़ियों को भी इस अमूल्य परंपरा से जोड़ता है।

निष्कर्ष

लखनऊ की सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करना और उसे बढ़ावा देना केवल हमारे वर्तमान का नहीं बल्कि हमारे भविष्य का भी ध्यान रखना है। यूनिसेफ के इस समारोह ने एक बार फिर दिखाया कि कैसे विभिन्न संस्कृतियाँ एकत्र हो सकती हैं और मिलकर एक समृद्ध और विविध समाज का निर्माण कर सकती हैं।

अधिक जानकारी के लिए, कृपया indiatwoday.com पर जाएं। किवर्ड्स: लखनऊ इफ्तार सांस्कृतिक विरासत, यूनिसेफ कार्यक्रम लखनऊ, रोजा इफ्तार समारोह, सांस्कृतिक धरोहर लखनऊ, लखनऊ की परंपराएँ, इफ्तार समाजिक एकता, यूनिसेफ भारत, लखनऊ का इतिहास, रोजा इफ्तार खाद्य विशेषताएँ, भारतीय सांस्कृतिक कार्यक्रम

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow