लखनऊ में श्रीमद्भागवत कथा का समापन:कथा व्यास ने सुदामा और श्रीकृष्ण जैसी मित्रता का दिया संदेश, कहा- मजबूत संबंध बनाएं

लखनऊ के गोमती नगर स्थित स्मृति भवन में पिछले सात दिनों से चल रही श्रीमद् भागवत कथा का रविवार को समापन हुआ। अंतिम दिन देवरहा बाबा आश्रम के कथा व्यास डॉ. सौमित्र प्रपन्नचार्य ने प्रभु श्रीकृष्ण की अद्भुत लीलाओं से सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष की कथा सुनाई। कथा कार्यक्रम का आयोजन स्वर्गीय अखिलेश सक्सेना की स्मृति में किया गया। सुदामा और श्रीकृष्ण जैसी मित्रता का दिया संदेश कथा व्यास ने बताया कि सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता प्रेम और आदर्श का प्रतीक है। भारतीय साहित्य में उनकी मित्रता को अनुकरणीय माना जाता है। इस प्रसंग ने श्रद्धालुओं को मित्रता के महत्व और मजबूत संबंध बनाने की प्रेरणा दी। परीक्षित मोक्ष का प्रसंग सुन श्रोता हुए मंत्रमुग्ध कथा व्यास ने परीक्षित मोक्ष प्रसंग पर कहा- अर्जुन के पौत्र परीक्षित को ऋषि के अपमान के कारण मृत्यु का श्राप मिला था। लेकिन सात दिनों तक श्रीमद् भागवत कथा सुनकर उन्होंने आत्मज्ञान और मोक्ष प्राप्त किया। इस प्रसंग के माध्यम से यह सीख दी गई कि कर्म का फल अवश्य मिलता है, परंतु भक्ति और ज्ञान से मोक्ष संभव है। समापन अवसर पर व्यास पूजन भी हुआ, जिसमें महर्षि वेदव्यास के प्रति सम्मान प्रकट किया गया। कथाव्यास ने इस अवसर पर संदेश दिया कि प्रभु की लीलाओं और कथा श्रवण धार्मिक, नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों को सिखाता है। अंत में हवन एवं प्रसाद वितरण किया गया। कार्यक्रम में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।

Nov 11, 2024 - 10:05
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लखनऊ में श्रीमद्भागवत कथा का समापन:कथा व्यास ने सुदामा और श्रीकृष्ण जैसी मित्रता का दिया संदेश, कहा- मजबूत संबंध बनाएं
लखनऊ के गोमती नगर स्थित स्मृति भवन में पिछले सात दिनों से चल रही श्रीमद् भागवत कथा का रविवार को समापन हुआ। अंतिम दिन देवरहा बाबा आश्रम के कथा व्यास डॉ. सौमित्र प्रपन्नचार्य ने प्रभु श्रीकृष्ण की अद्भुत लीलाओं से सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष की कथा सुनाई। कथा कार्यक्रम का आयोजन स्वर्गीय अखिलेश सक्सेना की स्मृति में किया गया। सुदामा और श्रीकृष्ण जैसी मित्रता का दिया संदेश कथा व्यास ने बताया कि सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता प्रेम और आदर्श का प्रतीक है। भारतीय साहित्य में उनकी मित्रता को अनुकरणीय माना जाता है। इस प्रसंग ने श्रद्धालुओं को मित्रता के महत्व और मजबूत संबंध बनाने की प्रेरणा दी। परीक्षित मोक्ष का प्रसंग सुन श्रोता हुए मंत्रमुग्ध कथा व्यास ने परीक्षित मोक्ष प्रसंग पर कहा- अर्जुन के पौत्र परीक्षित को ऋषि के अपमान के कारण मृत्यु का श्राप मिला था। लेकिन सात दिनों तक श्रीमद् भागवत कथा सुनकर उन्होंने आत्मज्ञान और मोक्ष प्राप्त किया। इस प्रसंग के माध्यम से यह सीख दी गई कि कर्म का फल अवश्य मिलता है, परंतु भक्ति और ज्ञान से मोक्ष संभव है। समापन अवसर पर व्यास पूजन भी हुआ, जिसमें महर्षि वेदव्यास के प्रति सम्मान प्रकट किया गया। कथाव्यास ने इस अवसर पर संदेश दिया कि प्रभु की लीलाओं और कथा श्रवण धार्मिक, नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों को सिखाता है। अंत में हवन एवं प्रसाद वितरण किया गया। कार्यक्रम में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।

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