लखनऊ में सड़क को लेकर प्रदर्शन:सीएम के जनता दरबार में गुहार लगाने के बाद भी नहीं हुआ काम तो फैजुल्लागंज के लोगों ने जताया विरोध

सड़क को लेकर फैजुल्लागंज प्रथम के श्रीनगर के लोगों ने रविवार को प्रदर्शन किया। लोगों का कहना था कि सीएम के यहां गुहार लगाने के बाद भी काम नहीं हुआ तो उनको यह प्रदर्शन करना पड़ा। स्थानीय निवासी ममता त्रिपाठी ने बताया कि गड्ढा युक्त सड़कों पर चलना लोगों की नियति बन गई है। अक्सर बुजुर्ग गिर कर घायल हो जाते हैं। बच्चों चोट लग जाती है। बार स्थानीय विधायक व पार्षद के चक्कर लगाने के बाद कोई काम नहीं हुआ। इसके बाद लोगों ने 20 अक्टूबर को सीएम के जनता दरबार में भी स्थानीय लोग पहुंचे थे। करीब एक महीने होने वाले हैं उसके बाद भी कोई काम नहीं हो पाया है। 20 साल से लगा रहे गुहार बाल महिला सेवा संगठन के वरिष्ठ समाजसेवी राकेश पांडेय के नेतृत्व में इकट्ठा लोगों ने नगर निगम के खिलाफ नाराजगी जाहिर की। यहां रहने वाले निवासी बृजेश श्रीवास्तव ने बताया कि बीस साल से यहां लोग कालोनी के अंदर की सड़कों के निर्माण की मांग कर रहे हैं। पार्षद विधायक और नगर निगम के अधिकारी नहीं सुनते हैं तो मुख्यमंत्री के दरबार में भी गए फिर भी निराशा ही हाथ लगी है।

Nov 17, 2024 - 21:25
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लखनऊ में सड़क को लेकर प्रदर्शन:सीएम के जनता दरबार में गुहार लगाने के बाद भी नहीं हुआ काम तो फैजुल्लागंज के लोगों ने जताया विरोध
सड़क को लेकर फैजुल्लागंज प्रथम के श्रीनगर के लोगों ने रविवार को प्रदर्शन किया। लोगों का कहना था कि सीएम के यहां गुहार लगाने के बाद भी काम नहीं हुआ तो उनको यह प्रदर्शन करना पड़ा। स्थानीय निवासी ममता त्रिपाठी ने बताया कि गड्ढा युक्त सड़कों पर चलना लोगों की नियति बन गई है। अक्सर बुजुर्ग गिर कर घायल हो जाते हैं। बच्चों चोट लग जाती है। बार स्थानीय विधायक व पार्षद के चक्कर लगाने के बाद कोई काम नहीं हुआ। इसके बाद लोगों ने 20 अक्टूबर को सीएम के जनता दरबार में भी स्थानीय लोग पहुंचे थे। करीब एक महीने होने वाले हैं उसके बाद भी कोई काम नहीं हो पाया है। 20 साल से लगा रहे गुहार बाल महिला सेवा संगठन के वरिष्ठ समाजसेवी राकेश पांडेय के नेतृत्व में इकट्ठा लोगों ने नगर निगम के खिलाफ नाराजगी जाहिर की। यहां रहने वाले निवासी बृजेश श्रीवास्तव ने बताया कि बीस साल से यहां लोग कालोनी के अंदर की सड़कों के निर्माण की मांग कर रहे हैं। पार्षद विधायक और नगर निगम के अधिकारी नहीं सुनते हैं तो मुख्यमंत्री के दरबार में भी गए फिर भी निराशा ही हाथ लगी है।

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