डायबिटीज से बचना है तो मोबाइल, टीवी से रहें दूर:डोपामिन फास्टिंग से होगा बचाव; एक्सपर्ट बोले- यूपी की अगली जनरेशन डायबिटीक जनरेशन होगी

कुछ ही सालों में उत्तर प्रदेश में डायबिटीज यानी शुगर के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा होगा। यानी यूपी की अगली जनरेशन डायबिटीक जनरेशन होगी। ये अलार्मिंग सिचुएशन है। इससे बचाव के लिए ठोस उपाय करना होगा। अब समय आ गया है जब 'डिजिटल डिटॉक्स' के लिए भी कदम बढ़ाना होगा। इसके तहत रात में सोने के आधे घंटे पहले और सुबह जगने के आधे घंटे बाद तक सभी तरह के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से खुद को दूर करना होगा। मोबाइल हैंडसेट, टीवी, कंप्यूटर समेत अन्य स्क्रीन फोकस एक्टिविटी छोड़कर हंसना, खेलना, मुस्कुराना या फिर एक्सरसाइज करना बेहतर होगा। दूसरे शब्दों में कहें तो ये डोपामिन फास्टिंग है। एक तरह का व्रत, जो खुद के शरीर और स्वास्थ्य के लिए हर किसी को रखना होगा। ये कहना है देश के दिग्गज डाईबेटोलोजिस्ट डॉ.शशांक जोशी का। उन्होंने बताया कि लाइफ स्टाइल में बदलाव लाना होगा। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 36वें एपिसोड में पद्मश्री से सम्मानित डाईबेटोलोजिस्ट यानी मधुमेह विशेषज्ञ और मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल के प्रोफेसर (डॉ) शशांक आर.जोशी से खास बातचीत.. डॉ. शशांक जोशी कहते है कि ऐसे प्रमाण हैं कि डिजिटल इनटॉक्सिकेशन के कारण बड़ी संख्या में लोग शुगर के चपेट में आ रहे। इसके पीछे सीधा सा लॉजिक है, जब फोन या किसी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट पर ज्यादा समय बीतेगा तो फिजिकल एक्टिविटी कम होगी। इसके चलते डायबिटीज, अलावा शरीर में चर्बी बढ़ेगी। बीपी और किडनी के रोग भी बढ़ेंगे।

Nov 6, 2024 - 07:20
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डायबिटीज से बचना है तो मोबाइल, टीवी से रहें दूर:डोपामिन फास्टिंग से होगा बचाव; एक्सपर्ट बोले- यूपी की अगली जनरेशन डायबिटीक जनरेशन होगी
कुछ ही सालों में उत्तर प्रदेश में डायबिटीज यानी शुगर के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा होगा। यानी यूपी की अगली जनरेशन डायबिटीक जनरेशन होगी। ये अलार्मिंग सिचुएशन है। इससे बचाव के लिए ठोस उपाय करना होगा। अब समय आ गया है जब 'डिजिटल डिटॉक्स' के लिए भी कदम बढ़ाना होगा। इसके तहत रात में सोने के आधे घंटे पहले और सुबह जगने के आधे घंटे बाद तक सभी तरह के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से खुद को दूर करना होगा। मोबाइल हैंडसेट, टीवी, कंप्यूटर समेत अन्य स्क्रीन फोकस एक्टिविटी छोड़कर हंसना, खेलना, मुस्कुराना या फिर एक्सरसाइज करना बेहतर होगा। दूसरे शब्दों में कहें तो ये डोपामिन फास्टिंग है। एक तरह का व्रत, जो खुद के शरीर और स्वास्थ्य के लिए हर किसी को रखना होगा। ये कहना है देश के दिग्गज डाईबेटोलोजिस्ट डॉ.शशांक जोशी का। उन्होंने बताया कि लाइफ स्टाइल में बदलाव लाना होगा। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 36वें एपिसोड में पद्मश्री से सम्मानित डाईबेटोलोजिस्ट यानी मधुमेह विशेषज्ञ और मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल के प्रोफेसर (डॉ) शशांक आर.जोशी से खास बातचीत.. डॉ. शशांक जोशी कहते है कि ऐसे प्रमाण हैं कि डिजिटल इनटॉक्सिकेशन के कारण बड़ी संख्या में लोग शुगर के चपेट में आ रहे। इसके पीछे सीधा सा लॉजिक है, जब फोन या किसी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट पर ज्यादा समय बीतेगा तो फिजिकल एक्टिविटी कम होगी। इसके चलते डायबिटीज, अलावा शरीर में चर्बी बढ़ेगी। बीपी और किडनी के रोग भी बढ़ेंगे।

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