'विकास की दौड़ और हाशिये का समाज' पर हुई संगोष्ठी:लखनऊ में विक्रम सिंह बोले- दलित वर्ग में क्रीमी लेयर नहीं , समाज को गुमराह किया जा रहा है
लखनऊ में शनिवार को प्रेस क्लब में 'विकास की दौड़ और हाशिये का समाज' पर संगोष्ठी हुई । संगोष्ठी में दलित समुदाय , महिलाएं , अल्पसंख्यक , ट्रांसजेंडर और शरणार्थियों की स्थिति को लेकर चर्चा की गई। भारतीय खेत मजदूर सभा के संयुक्त सचिव विक्रम सिंह और जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष आइषी घोष ने अपने विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए विक्रम सिंह ने कहा कि समाज में विभिन्न जाती और धर्म को लोग हाशिये पर हैं। यहाँ हर उस व्यक्ति की बात कर रहे हैं जो असमानता का शिकार है। जाति व्यवस्था हमेशा से हमारे समाज में नहीं थी यह समाज के ऊपर थोपी गई है। आज अगर दलितों की समस्याओं की हम बात करें तो इसका समाधान सिर्फ आरक्षण नहीं है। आरक्षण के साथ दलित वर्गों को उत्पादन के संसाधनों में भी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। क्रीमी लेयर को लेकर लगातार चर्चा हो रही है मगर आपको बता दें कि दलितों के बीच में क्रीमी लेयर जैसा कोई वर्ग नहीं है। नौकरियों में , सरकारी संसाधनों में सबको बराबर का हिस्सा मिलना चाहिए। आइषी घोष ने कहा कि यह हम सब की जिम्मेदारी है कि समाज के हर उस तबके की चिंता करें जो हाशिये पर है। सामाजिक भेदभाव का शिकार सिर्फ दलित वर्ग के लोग भी नहीं है बल्कि इसमें महिलाएं , ट्रांसजेंडर , अल्पसंख्यक छात्र और तमाम लोग शामिल हैं। अन्याय किसी के भी साथ हो सबको मिलकर आवाज उठाना है। आज जो वर्ग हाशिये पर है उसका एक मुख्य कारण राजनीति में कमजोर पकड़ भी है। समय की आवश्यकता है कि बहुसंख्यक समाज एक जुटता के साथ अन्याय करने वालों के खिलाफ आवाज उठाए। भारत का विकास तभी संभव हो पाएगा जब समाज में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को उसका अधिकार मिलेगा।
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