संतकबीर नगर में 10 फोटो में देखें छठ महापर्व:उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न हुआ पर्व, 36 घंटे के बाद खोला गया व्रत

छठ पूजा महापर्व के चौथे दिन व्रतियों ने उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य दिया। सुबह 4:00 बजे व्रतियां घाटों पर पहुंची और सूर्य की लालिमा बिखरने का इंतजार करने लगी। सूर्य की किरण धरती पर उतरते ही व्रतियों ने गाय के दूध से कमर तक पानी में खड़े होकर अर्घ्य दिया। इस दौरान सदर विधायक अंकुर राज तिवारी एवं खलीलाबाद नगर पालिका अध्यक्ष जगत जायसवाल ने छठ घाट पर श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरण किया। वही मेंहदावल विधायक ने छठ घाटों पर पहुंचकर पूजा अर्चन की। सुख समृद्धि के लिए व्रत रखा 15 डिग्री न्यूनतम तापमान के बीच काफी देर तक जल में खड़े होकर घूम घूम कर उपासना कर रही थी। देवताओं के सबसे बड़े देवता कहे जाने वाले सूर्य की उपासना करके संतान प्राप्ति, पति की दीर्घायु और सुख समृद्धि के लिए उपासना की है। रामगंगा बिहार स्थित छठ पूजा के घाट पर मेला लगा। छठ मैया के गीत गाए, भांगड़े और ढोलक की थाप पर महिलाओं ने नृत्य किया। दीपक व झालर की रोशनी से जगमगा उठे। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जल व्रत पूरा हुआ। घर जाकर गुड़ की चाय पी। घरों में उल्लास छाया रहा। चार दिनों तक चला ये पर्व छठ का यह पर्व 5 नवंबर नहाय खाय से शुरू हुआ था और आज 8 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की विधि के साथ पूर्ण रूप से संपन्न हुआ। चार दिनों के चलने वाले इस पर्व में व्रती महिलाओं ने खरना के बाद से व्रत का संकल्प लिया था। यह व्रत कुल 36 घंटे का होता है। बता दें कि, यह व्रत निर्जला रखा जाता है। आज इस व्रत का पारण कर महिलाओं ने छठ के प्रसाद के साथ अन्न-जल को ग्रहण किया। व्रत रखने के पीछे की मान्यता छठ पूजा का व्रत घर की महिलाएं रखती हैं। यह व्रत छठी मैया और सूर्य भगवान को समर्पित होता है। मान्यता है कि छठी मैया निसंतान दांपतियों को संतान का वर्दान देती हैं और घर की सुख-समृद्धी का भी आशीर्वाद देती है। इस वजह से महिलाएं छठ पर्व का व्रत रखती है। जिससे उनकी संतान को दीर्घायु की प्राप्ति हो और जिनकी संतान नहीं हैं, उन विवाहित दंपतियों को संतान का सुख मिले। इस व्रत को पूरे नियम के साथ रखना चाहिए तभी इसका फल प्राप्त होता है। 10 तस्वीरों में देखे जिले में छठ पूजा...

Nov 8, 2024 - 09:05
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संतकबीर नगर में 10 फोटो में देखें छठ महापर्व:उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न हुआ पर्व, 36 घंटे के बाद खोला गया व्रत
छठ पूजा महापर्व के चौथे दिन व्रतियों ने उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य दिया। सुबह 4:00 बजे व्रतियां घाटों पर पहुंची और सूर्य की लालिमा बिखरने का इंतजार करने लगी। सूर्य की किरण धरती पर उतरते ही व्रतियों ने गाय के दूध से कमर तक पानी में खड़े होकर अर्घ्य दिया। इस दौरान सदर विधायक अंकुर राज तिवारी एवं खलीलाबाद नगर पालिका अध्यक्ष जगत जायसवाल ने छठ घाट पर श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरण किया। वही मेंहदावल विधायक ने छठ घाटों पर पहुंचकर पूजा अर्चन की। सुख समृद्धि के लिए व्रत रखा 15 डिग्री न्यूनतम तापमान के बीच काफी देर तक जल में खड़े होकर घूम घूम कर उपासना कर रही थी। देवताओं के सबसे बड़े देवता कहे जाने वाले सूर्य की उपासना करके संतान प्राप्ति, पति की दीर्घायु और सुख समृद्धि के लिए उपासना की है। रामगंगा बिहार स्थित छठ पूजा के घाट पर मेला लगा। छठ मैया के गीत गाए, भांगड़े और ढोलक की थाप पर महिलाओं ने नृत्य किया। दीपक व झालर की रोशनी से जगमगा उठे। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जल व्रत पूरा हुआ। घर जाकर गुड़ की चाय पी। घरों में उल्लास छाया रहा। चार दिनों तक चला ये पर्व छठ का यह पर्व 5 नवंबर नहाय खाय से शुरू हुआ था और आज 8 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की विधि के साथ पूर्ण रूप से संपन्न हुआ। चार दिनों के चलने वाले इस पर्व में व्रती महिलाओं ने खरना के बाद से व्रत का संकल्प लिया था। यह व्रत कुल 36 घंटे का होता है। बता दें कि, यह व्रत निर्जला रखा जाता है। आज इस व्रत का पारण कर महिलाओं ने छठ के प्रसाद के साथ अन्न-जल को ग्रहण किया। व्रत रखने के पीछे की मान्यता छठ पूजा का व्रत घर की महिलाएं रखती हैं। यह व्रत छठी मैया और सूर्य भगवान को समर्पित होता है। मान्यता है कि छठी मैया निसंतान दांपतियों को संतान का वर्दान देती हैं और घर की सुख-समृद्धी का भी आशीर्वाद देती है। इस वजह से महिलाएं छठ पर्व का व्रत रखती है। जिससे उनकी संतान को दीर्घायु की प्राप्ति हो और जिनकी संतान नहीं हैं, उन विवाहित दंपतियों को संतान का सुख मिले। इस व्रत को पूरे नियम के साथ रखना चाहिए तभी इसका फल प्राप्त होता है। 10 तस्वीरों में देखे जिले में छठ पूजा...

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