सहारनपुर में किसान का रात में नहीं हुआ अंतिम संस्कार:आरोपियों पर मुकदमा दर्ज करने की मांग, भाई बोला-मैं तो मंदिर जाता था सुबह-शाम, भगवान ऐसा क्यों किया
सहारनपुर में SDM के सामने खुद को पेट्रोल छिड़ककर आग लगाने वाले किसान सरदार वेद प्रकाश की मौत हो गई। बुधवार सुबह 5 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। 5 दिन से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। वह वेंटिलेटर पर थे। 90% से ज्यादा झुलस गए थे। किसान की मौत के बाद प्रशासन और पुलिस अलर्ट है। सुल्तानपुर गांव में देर शाम शव लाया गया। जिसे देखने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा। 60 साल के वेद प्रकाश ने 8 मार्च को उस वक्त पेट्रोल छिड़ककर खुद को आग लगा ली थी। जब एडीएम के साथ प्रशासन की टीम जमीन की पैमाइश करने पहुंची थी। वेद प्रकाश का जैन समुदाय के कुछ लोगों से 550 वर्गमीटर जमीन को लेकर विवाद था। कोर्ट ने जैन समुदाय के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसके बाद प्रशासन की टीम पैमाइश करने पहुंची थी। वहीं, DM ने SDM सदर अंकुर वर्मा को भी हटा दिया था। उन्हें किसी तहसील का चार्ज नहीं दिया गया। मृतक किसान का भाई लाजपत रोते बिलखते हुए बोला-'मेरे भाई को मार दिया। मैं तो सुबह-शाम मंदिर जाऊं था। मांगता था कि हे भगवान, हमें रोटी रुखी-सूखी दे दियो। किसी का धन और जमीन नहीं चाहिए। लाश के पास बैठकर रोती हुई पत्नी ममता किसान की पत्नी ममता ने जैसे ही लाश देखी। वो जमीन पर गिर गई। कफन पकड़कर रोने लगी। कहती है-मुझे यकीन नहीं हो रहा है, आप मेरे बीच नहीं है। ये क्या कर दिया आपने। किसान के लाश आने की खबर सुनकर गांव वाले की भीड़ लग गई। लोग पत्नी ममता ढांढस बंधवा रहे थे। नहीं किया अंतिम संस्कार देर रात को जब किसान वेद प्रकाश का शव घर पहुंचा। पुलिस अलर्ट मोड पर आ गई। 10 थानों की फोर्स बुलाई गई। इसके अलावा आरआरएफ और पीएसी बल ने भी गांव में डेरा डाला हुआ था। थाना चिलकाना, सरसावा, बेहट, फतेहपुर, गागलहेड़ी, कुतुबशेर, मंडी, सिटी कोतवाली, देहात कोतवाली और मिर्जापुर पुलिस मौजूद रही। लेकिन किसान परिवार ने रात को अंतिम संस्कार होने नहीं दिया। वहीं पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की जा रही है। पीड़ित परिवार आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर करने की मांग कर रहा है। अंतिम संस्कार 12 बजे करीब होने की संभावना है। वहीं अधिकारियों और गुरु सिंह सभा और भाकियू के नेताओं ने रात से बात चली रही है। वहीं प्रशासन मानवीयता के आधार पर उचित मुआवजा दिलाने की बात कर रहा है। पहले पढ़िए पूरा मामला... पुलिस के मुताबिक, 8 मार्च को दोपहर 2 बजे वेदप्रकाश के खेत पर SDM अंकुर वर्मा की टीम पैमाइश करने पहुंची थी। SDM नक्शे के हिसाब से पैमाइश करवा रहे थे। तभी घर के पीछे की तरफ से किसान वेदप्रकाश वहां पहुंचे। वह अपने ऊपर डीजल उड़ेलकर आए थे। उन्होंने तुरंत खुद को आग लगा ली। पुलिसकर्मियों ने कंबल और बोरी से आग बुझाने की कोशिश की, मगर आग बुझ नहीं सकी। किसान करीब 5 मिनट तक जलता रहा। जैसे-तैसे आग बुझाकर पुलिस वेद प्रकाश को राजकीय मेडिकल कॉलेज लेकर गई। वहां गंभीर हालत देखकर उनको दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल भेज दिया गया था। 5 दिन वेंटिलेटर पर रहे, सुधार नहीं हुआ दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने बताया था कि वह 90% जल चुके थे। उनकी हालत नाजुक बनी थी। सोमवार को उनके चेहरे पर सूजन आ गई थी। बुधवार सुबह 5 बजे उनकी मौत हो गई। भाई लाजपत ने बताया कि शव शाम तक गांव पहुंचेगा। प्रशासन की टीम पहुंचने के बाद किसान वेद प्रकाश पेट्रोल छिड़ककर ही वहां आए थे। SDM कोर्ट की कार्रवाई कोर्ट ने अक्टूबर, 2024 को मंदिर के पक्ष में फैसला दिया SDM सदर अंकुर वर्मा के मुताबिक, खेत से सटी गांव के जैन मंदिर की 14 बीघा जमीन है। इस जमीन में 550 वर्गमीटर के जमीन के एक टुकड़े के लिए वेद प्रकाश और जैन मंदिर प्रबंध समिति के बीच SDM कोर्ट में मुकदमा चल रहा है। अक्टूबर, 2024 में कोर्ट ने जैन मंदिर प्रबंध समिति के पक्ष में फैसला सुनाया। 2 जनवरी को राजस्व टीम फोर्स के साथ कब्जा दिलाने पहुंची थी, तब वेद प्रकाश अपने घर की तीसरी मंजिल पर चढ़कर जान देने की धमकी देने लगे। पुलिस ने उन्हें समझाकर नीचे उतारा था, इसके बाद राजस्व टीम लौट गई थी। 31 जनवरी को राजस्व टीम दोबारा पैमाइश करने पहुंची। उस समय घर के पुरुष बाहर थे। महिलाओं ने पैमाइश का विरोध किया। पुलिस और प्रशासन की टीम को लौटना पड़ा था। 8 मार्च को सरदार वेदप्रकाश ने खुद को आग लगा ली। लेकिन पीड़ित परिवार का आरोप है कि उन्होंने खुद आग नहीं लगाई है, उनको षड़यंत्र के तहत जलाया गया है। यह वीडियो वेद प्रकाश का है। 10 मार्च को हॉस्पिटल की तरफ से जारी हुआ था। SDM ने कहा- कमेटी पदाधिकारी ने 3 साल पहले कब्जा हटवाने के लिए कहा SDM सदर अंकुर वर्मा का कहना है- जैन समाज मंदिर कमेटी के पदाधिकारी राकेश जैन ने 14 नवंबर, 2022 को तहसीलदार को जमीन को कब्जामुक्त कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। 21 नवंबर, 2022 को पैमाइश कर जांच आख्या मांगी थी। राजस्व निरीक्षक ने 6 जनवरी, 2023 को एक रिपोर्ट दी थी। इसके बाद पैमाइश होनी थी, जोकि सिख परिवार होने नहीं दे रहा था। टीम पूरी सुरक्षा के साथ गई थी। मगर फिर भी हादसा हो गया। यही वजह जमीन का टुकड़ा है, जिसको लेकर विवाद चला आ रहा है। अब पढ़िए परिवार के लोगों ने क्या कहा... पत्नी ने कहा था- घर की महिलाओं, बच्चों को कमरे में बंद किया किसान वेद प्रकाश की पत्नी ममता ने प्रशासन और जैन समाज के लोग पर गंभीर आरोप लगाए थे। घटना के बाद भास्कर से बातचीत में उन्होंने कहा था- 8 मार्च को अचानक प्रशासन और जैन समाज के लोग घर पर आ गए। पहले से कोई नोटिस नहीं दिया था। मैं बच्चों को स्कूल से लेने गई थी, तभी मुझे रास्ते में ही महिला पुलिस ने पकड़ लिया। थाने नहीं ले जाया गया, बल्कि गांव के एक व्यक्ति के घर में ही बैठा दिया गया। उन्होंने कहा- सिर्फ हम महिलाओं को ही नहीं, हमारे पति और देवर को भी अपने कब्जे में कर लिया था। परिवार के बच्चों को भी कमरे में बंद कर दिया। ममता का आरोप लगाया था कि मेरे पति ने खुद को आग नहीं लगाई। मिट्टी का तेल छिड़ककर पति को जिंदा जलाया गया है, जो हुआ अच्छा नह

सहारनपुर में किसान का रात में नहीं हुआ अंतिम संस्कार
सहारनपुर में एक किसान का अंतिम संस्कार रात में नहीं होने को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। इस मामले में किसान के भाई ने आरोप लगाया है कि उसके भाई के साथ अन्याय हुआ है। उसने कहा कि वह सुबह-शाम मंदिर जाता था और ईश्वर की भक्ति करता था। ऐसे में उसके साथ ऐसा क्यों हुआ, इस पर सभी को विचार करना चाहिए।
किसान के अंतिम संस्कार में देरी
किसान का नाम अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन उसकी मौत के बाद स्थानीय समुदाय में शोक की लहर व्याप्त है। किसान के परिवार का आरोप है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने उनकी आर्थिक स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश की थी। इस मामले में आरोपियों पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई है।
भाई का बयान
किसान के भाई ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "हमारे परिवार ने हमेशा भगवान की भक्ति की है और सही रास्ता चुना है। इसके बावजूद मेरे भाई के साथ ऐसा क्यों हुआ?" यह पूछने पर उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सरकार और पुलिस इस मामले में सख्त कार्रवाई करेगी।
कानूनी कार्रवाई की मांग
किसान के परिवार ने मांग की है कि जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए और उन्हें सजा दी जाए। स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस मामले में अपनी आवाज उठाई है और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की अपील की है।
किसानों के मुद्दे
यह मामला केवल एक किसान की मौत का नहीं है, बल्कि पूरे किसानों के मुद्दों को उजागर करता है। किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है, और साथ ही कई बार उन्हें अन्याय का सामना भी करना पड़ता है। ऐसे मामलों में समाज को जागरूक होना आवश्यक है।
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