सिद्धारमैया बोले-गारंटियों से राज्य के खजाने पर असर पड़ रहा:मोदी ने कहा था कि हम दिवालिया हो जाएंगे, लेकिन हम मैनेज कर रहे

फ्रीबीज योजनाओं के मुद्दे को लेकर अब कर्नाटक के CM सिद्धारमैया का भी बयान आ गया है। उन्होंने स्वीकार किया है कि कर्नाटक में 5 गारंटियों से उनके राज्य के खजाने पर बोझ पड़ रहा है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि 5 गारंटियां बंद नहीं होगी। ये 5 साल तक चलेगी। एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में सिद्धारमैया ने कहा- मोदी ने खुद राजस्थान में बयान दिया था कि अगर ये गारंटी लागू की गईं, तो कर्नाटक सरकार दिवालिया हो जाएगी और विकास कार्यों के लिए पैसा नहीं होगा। हम मई 2023 में सत्ता में आए और हमने सभी गारंटी योजनाओं को लागू किया है। इससे राज्य के खजाने पर बोझ पड़ रहा है, लेकिन हम विकास कार्यों को रोके बिना मैनेज रहे हैं और हम सभी खर्चों को पूरा कर रहे हैं। दरअसल, खड़गे ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच 31 अक्टूबर को कहा था कि पार्टियों को चुनाव से पहले वही वादे करने चाहिए जो पूरे हो सके। इस बयान को लेकर PM मोदी ने कहा था कि कर्नाटक समेत कांग्रेस की सभी राज्य सरकारें अपने वादे पूरे नहीं कर रही। सिद्धारमैया बोले- खड़गे के बयान का गलत मतलब निकाला गया सिद्धारमैया ने इंटरव्यू में कहा कि खड़गे के 31 अक्टूबर को दिए बयान का भाजपा ने गलत मतलब निकाला। भाजपा ने हम पर आरोप लगाया था कि कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना की सरकारें इन गारंटियों वाली विकास योजनाओं के कारण सरकारी अधिकारियों को वेतन देने में असमर्थ हैं। यह आरोप बेबुनियाद है। सभी राज्यों में सरकारी अधिकारियों को वेतन दिया जा रहा है। सुखविंदर सुक्खू, रेवंत रेड्डी और डीके शिवकुमार ने भी यह बात 9 नवंबर को मुंबई में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताई थी। चुनावी वादे पर 10 से कांग्रेस-भाजपा आमने-सामने 31 अक्टूबर: खड़गे ने कहा- वो वादे करने चाहिए, जो पूरे किए जा सके बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में खड़गे ने कहा- हमें वो वादे करने चाहिए, जो पूरे किए जा सके। नहीं तो आने वाली पीढ़ी के पास बदनामी के अलावा कुछ नहीं बचेगा। मैंने महाराष्ट्र कांग्रेस से कहा है कि हमें 5,6, 10 गारंटी की घोषणा नहीं करना चाहिए। हमें इसे बजट के आधार पर करना चाहिए। 1 नवंबर: कांग्रेस को समझ आया, झूठे वादे आसान नहीं खड़गे के बयान पर प्रधानमंत्री मोदी ने X पर कहा- कांग्रेस को यह बात अब समझ में आ रही है कि झूठे वादे करना तो आसान है, लेकिन उन्हें लागू करना मुश्किल या नामुमकिन है। कांग्रेस ऐसे वादे करती है, जिन्हें वे कभी पूरा नहीं कर सकती। कांग्रेस शासित राज्यों की वित्तीय स्थिति बदतर होती जा रही है। उनकी गारंटियां अधूरी पड़ी हैं, जो लोगों के साथ धोखा है। पूरी खबर पढ़ें... 1 नवंबर: खड़गे का पलटवार, कहा- BJP में J का मतलब जुमला है PM में बयान का खड़गे ने जवाब दिया। उन्होंने PM को कहा - झूठ, छल, कपट, लूट और प्रचार ऐसे नाम हैं, जो आपकी सरकार के बारे में बताते हैं। BJP में 'B' का अर्थ विश्वासघात है, जबकि 'J' का अर्थ जुमला है। 100 दिन से जुड़ा आपका ढोल बजाने वाली योजना सिर्फ दिखावा थी। मोदी जी, उंगली उठाने से पहले कृपया ध्यान दें, मोदी की गारंटी 140 करोड़ भारतीयों के साथ एक भद्दा मजाक है। 9 नवंबर: तेलंगाना-हिमाचल के CM और कर्नाटक के डिप्टी CM ने मोदी के आरोपों का खंडन किया​​​​​​​ महाराष्ट्र चुनाव प्रचार के बीच कांग्रेस शासित तेलंगाना-हिमाचल के मुख्यमंत्री और कर्नाटक के डिप्टी CM ने BJP के आरोपों का जवाब देने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान डीके शिवकुमार ने कहा कि BJP नेताओं का आभार कि उन्होंने हमे देश के लोगों के सामने भारतीय जनता पार्टी का झूठ सामने लाने का मौका दिया। पूरी खबर पढ़ें... जानिए क्या है फ्रीबीज मुद्दा, SC भी नोटिस भेज चुका राजनीतिक दलों के द्वारा चुनाव से पहले मुफ्त की योजनाओं के वादों पर 14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। CJI डीवाई चंद्रचुड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था। कर्नाटक के शशांक जे श्रीधर ने याचिका में चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा किए गए मुफ्त योजनाओं के वादे को रिश्वत घोषित करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट से यह भी मांग की गई है कि चुनाव आयोग ऐसी योजनाओं पर फौरन रोक लगाए। कोर्ट ने पुरानी याचिकाओं के साथ आज की याचिका को सुनवाई के लिए मर्ज कर लिया। याचिकाकर्ता ने कहा कि, 'राजनीतिक दल ऐसी योजनाओं को कैसे पूरा करेंगे, यह नहीं बताते। इससे सरकारी खजाने पर बेहिसाब बोझ पड़ता है। यह वोटर्स और संविधान के साथ धोखाधड़ी है। इसलिए इस पर रोक के लिए तत्काल और प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए।' सुप्रीम कोर्ट में 2 मुख्य याचिकाएं... अक्टूबर 2024 : याचिकाकर्ता शशांक जे श्रीधर बोले- फ्रीबीज को रिश्वत माना जाए याचिकाकर्ता शशांक जे श्रीधर के वकील बालाजी श्रीनिवासन ने सोमवार (14 अक्टूबर) को CJI डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने इस मामले को उठाया था। उन्होंने कहा कि विधानसभा या आम चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों का फ्री योजनाओं का वादा करना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत रिश्वत या वोट के लिए प्रलोभन माना जाए। जनवरी 2022 : BJP नेता अश्विनी उपाध्याय ने एक जनहित याचिका दाखिल की BJP नेता अश्विनी उपाध्याय फ्रीबीज के खिलाफ एक जनहित याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। अपनी याचिका में उपाध्याय ने चुनावों के दौरान राजनीतिक पार्टियों के वोटर्स से फ्रीबीज या मुफ्त उपहार के वादों पर रोक लगाने की अपील की। इसमें मांग की गई है कि चुनाव आयोग को ऐसी पार्टियां की मान्यता रद्द करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में अब तक क्या-क्या हुआ? फ्रीबीज मामले की सुनवाई पूर्व चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुआई में तीन सदस्यीय बेंच ने अगस्त 2022 में शुरू की थी। इस बेंच में जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली भी थे। बाद में तत्कालीन चीफ जस्टिस यूयू ललित ने सुनवाई की और अब CJI डीवाई चंद्रचूड़ मामले की सुनवाई कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने कहा था- फ्री स्कीम्स की परिभा

Nov 12, 2024 - 05:45
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सिद्धारमैया बोले-गारंटियों से राज्य के खजाने पर असर पड़ रहा:मोदी ने कहा था कि हम दिवालिया हो जाएंगे, लेकिन हम मैनेज कर रहे
फ्रीबीज योजनाओं के मुद्दे को लेकर अब कर्नाटक के CM सिद्धारमैया का भी बयान आ गया है। उन्होंने स्वीकार किया है कि कर्नाटक में 5 गारंटियों से उनके राज्य के खजाने पर बोझ पड़ रहा है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि 5 गारंटियां बंद नहीं होगी। ये 5 साल तक चलेगी। एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में सिद्धारमैया ने कहा- मोदी ने खुद राजस्थान में बयान दिया था कि अगर ये गारंटी लागू की गईं, तो कर्नाटक सरकार दिवालिया हो जाएगी और विकास कार्यों के लिए पैसा नहीं होगा। हम मई 2023 में सत्ता में आए और हमने सभी गारंटी योजनाओं को लागू किया है। इससे राज्य के खजाने पर बोझ पड़ रहा है, लेकिन हम विकास कार्यों को रोके बिना मैनेज रहे हैं और हम सभी खर्चों को पूरा कर रहे हैं। दरअसल, खड़गे ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच 31 अक्टूबर को कहा था कि पार्टियों को चुनाव से पहले वही वादे करने चाहिए जो पूरे हो सके। इस बयान को लेकर PM मोदी ने कहा था कि कर्नाटक समेत कांग्रेस की सभी राज्य सरकारें अपने वादे पूरे नहीं कर रही। सिद्धारमैया बोले- खड़गे के बयान का गलत मतलब निकाला गया सिद्धारमैया ने इंटरव्यू में कहा कि खड़गे के 31 अक्टूबर को दिए बयान का भाजपा ने गलत मतलब निकाला। भाजपा ने हम पर आरोप लगाया था कि कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना की सरकारें इन गारंटियों वाली विकास योजनाओं के कारण सरकारी अधिकारियों को वेतन देने में असमर्थ हैं। यह आरोप बेबुनियाद है। सभी राज्यों में सरकारी अधिकारियों को वेतन दिया जा रहा है। सुखविंदर सुक्खू, रेवंत रेड्डी और डीके शिवकुमार ने भी यह बात 9 नवंबर को मुंबई में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताई थी। चुनावी वादे पर 10 से कांग्रेस-भाजपा आमने-सामने 31 अक्टूबर: खड़गे ने कहा- वो वादे करने चाहिए, जो पूरे किए जा सके बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में खड़गे ने कहा- हमें वो वादे करने चाहिए, जो पूरे किए जा सके। नहीं तो आने वाली पीढ़ी के पास बदनामी के अलावा कुछ नहीं बचेगा। मैंने महाराष्ट्र कांग्रेस से कहा है कि हमें 5,6, 10 गारंटी की घोषणा नहीं करना चाहिए। हमें इसे बजट के आधार पर करना चाहिए। 1 नवंबर: कांग्रेस को समझ आया, झूठे वादे आसान नहीं खड़गे के बयान पर प्रधानमंत्री मोदी ने X पर कहा- कांग्रेस को यह बात अब समझ में आ रही है कि झूठे वादे करना तो आसान है, लेकिन उन्हें लागू करना मुश्किल या नामुमकिन है। कांग्रेस ऐसे वादे करती है, जिन्हें वे कभी पूरा नहीं कर सकती। कांग्रेस शासित राज्यों की वित्तीय स्थिति बदतर होती जा रही है। उनकी गारंटियां अधूरी पड़ी हैं, जो लोगों के साथ धोखा है। पूरी खबर पढ़ें... 1 नवंबर: खड़गे का पलटवार, कहा- BJP में J का मतलब जुमला है PM में बयान का खड़गे ने जवाब दिया। उन्होंने PM को कहा - झूठ, छल, कपट, लूट और प्रचार ऐसे नाम हैं, जो आपकी सरकार के बारे में बताते हैं। BJP में 'B' का अर्थ विश्वासघात है, जबकि 'J' का अर्थ जुमला है। 100 दिन से जुड़ा आपका ढोल बजाने वाली योजना सिर्फ दिखावा थी। मोदी जी, उंगली उठाने से पहले कृपया ध्यान दें, मोदी की गारंटी 140 करोड़ भारतीयों के साथ एक भद्दा मजाक है। 9 नवंबर: तेलंगाना-हिमाचल के CM और कर्नाटक के डिप्टी CM ने मोदी के आरोपों का खंडन किया​​​​​​​ महाराष्ट्र चुनाव प्रचार के बीच कांग्रेस शासित तेलंगाना-हिमाचल के मुख्यमंत्री और कर्नाटक के डिप्टी CM ने BJP के आरोपों का जवाब देने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान डीके शिवकुमार ने कहा कि BJP नेताओं का आभार कि उन्होंने हमे देश के लोगों के सामने भारतीय जनता पार्टी का झूठ सामने लाने का मौका दिया। पूरी खबर पढ़ें... जानिए क्या है फ्रीबीज मुद्दा, SC भी नोटिस भेज चुका राजनीतिक दलों के द्वारा चुनाव से पहले मुफ्त की योजनाओं के वादों पर 14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। CJI डीवाई चंद्रचुड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था। कर्नाटक के शशांक जे श्रीधर ने याचिका में चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा किए गए मुफ्त योजनाओं के वादे को रिश्वत घोषित करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट से यह भी मांग की गई है कि चुनाव आयोग ऐसी योजनाओं पर फौरन रोक लगाए। कोर्ट ने पुरानी याचिकाओं के साथ आज की याचिका को सुनवाई के लिए मर्ज कर लिया। याचिकाकर्ता ने कहा कि, 'राजनीतिक दल ऐसी योजनाओं को कैसे पूरा करेंगे, यह नहीं बताते। इससे सरकारी खजाने पर बेहिसाब बोझ पड़ता है। यह वोटर्स और संविधान के साथ धोखाधड़ी है। इसलिए इस पर रोक के लिए तत्काल और प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए।' सुप्रीम कोर्ट में 2 मुख्य याचिकाएं... अक्टूबर 2024 : याचिकाकर्ता शशांक जे श्रीधर बोले- फ्रीबीज को रिश्वत माना जाए याचिकाकर्ता शशांक जे श्रीधर के वकील बालाजी श्रीनिवासन ने सोमवार (14 अक्टूबर) को CJI डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने इस मामले को उठाया था। उन्होंने कहा कि विधानसभा या आम चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों का फ्री योजनाओं का वादा करना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत रिश्वत या वोट के लिए प्रलोभन माना जाए। जनवरी 2022 : BJP नेता अश्विनी उपाध्याय ने एक जनहित याचिका दाखिल की BJP नेता अश्विनी उपाध्याय फ्रीबीज के खिलाफ एक जनहित याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। अपनी याचिका में उपाध्याय ने चुनावों के दौरान राजनीतिक पार्टियों के वोटर्स से फ्रीबीज या मुफ्त उपहार के वादों पर रोक लगाने की अपील की। इसमें मांग की गई है कि चुनाव आयोग को ऐसी पार्टियां की मान्यता रद्द करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में अब तक क्या-क्या हुआ? फ्रीबीज मामले की सुनवाई पूर्व चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुआई में तीन सदस्यीय बेंच ने अगस्त 2022 में शुरू की थी। इस बेंच में जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली भी थे। बाद में तत्कालीन चीफ जस्टिस यूयू ललित ने सुनवाई की और अब CJI डीवाई चंद्रचूड़ मामले की सुनवाई कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने कहा था- फ्री स्कीम्स की परिभाषा आप ही तय करें सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान 11 अगस्त को चुनाव आयोग ने कहा था कि फ्रीबीज पर पार्टियां क्या पॉलिसी अपनाती हैं, उसे रेगुलेट करना चुनाव आयोग के अधिकार में नहीं है। चुनावों से पहले फ्रीबीज का वादा करना या चुनाव के बाद उसे देना राजनीतिक पार्टियों का नीतिगत फैसला होता है। इस बारे में नियम बनाए बिना कोई कार्रवाई करना चुनाव आयोग की शक्तियों का दुरुपयोग करना होगा। कोर्ट ही तय करे कि फ्री स्कीम्स क्या हैं और क्या नहीं। इसके बाद हम इसे लागू करेंगे। फ्रीबीज से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... पूर्व RBI गवर्नर बोले- फ्रीबीज पर श्वेत पत्र लाए सरकार:इसके फायदे और नुकसान लोगों को बताए पॉलिटिकल पार्टिज की ओर से ऑफर की जाने वाली फ्रीबीज यानी मुफ्त के उपहारों पर सरकार को श्वेत पत्र लाने की जरूरत है। यह बात रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने करीब छह महीने पहले कही थी। पीटीआई-भाषा के साथ एक इंटरव्यू में पूर्व गवर्नर ने कहा था, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लीडरशिप में सरकार की जिम्मेदारी है कि वह लोगों को इन मुफ्त उपहारों के फायदे और नुकसान के बारे में जागरूक करे। पढ़ें पूरी खबर...

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