सीएफओ की लापरवाही से मौत की आहट:अग्निशमन विभाग को हादसे का इंतजार, 28 अस्पतालों में नहीं मिले फायर सेफ्टी के इंतजाम
झांसी मेडिकल कॉलेज में आग से 11 मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत के बाद बरेली का अग्निशमन विभाग और प्रशासन कुंभकर्णी नींद से जागा है। मुख्य अग्निशमन अधिकारी (सीएफओ) चंद्र मोहन शर्मा की निष्क्रियता ने बरेली के लोगों की जान खतरे में डाल रखी है। बरेली में जिला महिला अस्पताल समेत 28 अस्पताल बिना फायर एनओसी के चल रहे हैं, जो किसी बड़े हादसे को न्योता दे रहे हैं। बरेली के अस्पतालों में सुरक्षा इंतजाम रामभरोसे, सीएफओ की आंखें बंद, प्रशासन मूकदर्शक पिछले साल जिला महिला अस्पताल में एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट) में लगी आग से एक मासूम की जान चली गई थी, लेकिन प्रशासन और अस्पताल के अधिकारियों ने इससे कोई सबक नहीं लिया। अब, जब झांसी की घटना के बाद निरीक्षण हुआ तो खुलासा हुआ कि बरेली के अधिकांश अस्पतालों में फायर सेफ्टी के इंतजाम पूरी तरह से नदारद हैं। सीएफओ चंद्र मोहन शर्मा की यह लापरवाही किसी दिन एक बड़े हादसे में बदल सकती है। सीएमएस डॉ. त्रिभुवन प्रसाद और सीएमओ डॉ. विश्राम सिंह की घोर लापरवाही, अस्पताल में मौत की दस्तक बरेली के जिला महिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. त्रिभुवन प्रसाद और सीएमओ डॉ. विश्राम सिंह भी अपनी जिम्मेदारियों से मुँह मोड़े बैठे हैं। दोनों के ऑफिस उसी अस्पताल परिसर में हैं, लेकिन उन्होंने अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था की सुध लेने की कभी जहमत नहीं उठाई। क्या इन अधिकारियों को मासूम बच्चों और मरीजों की जिंदगियों की कोई परवाह नहीं? बिना फायर एनओसी के चल रहे हैं अस्पताल, क्या मौत का इंतजार कर रहा है अग्निशमन विभाग? बरेली में फायर एनओसी के बिना दर्जनों अस्पतालों का संचालन जारी है। झांसी की घटना के बाद बरेली प्रशासन और सीएफओ की टीम ने अस्पतालों का निरीक्षण किया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। यह दिखाता है कि अग्निशमन विभाग केवल बड़े हादसों के बाद जागता है, जबकि उन्हें नियमित जांच और कार्रवाई करने की जिम्मेदारी दी गई है। कागजी कार्यवाही और दिखावे की जांचों तक सीमित सीएफओ का विभाग सीएफओ चंद्र मोहन शर्मा की अगुवाई में हो रही जांचें केवल कागजी औपचारिकता बनकर रह गई हैं। असलियत यह है कि ज्यादातर अस्पताल सुरक्षा मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं, और अग्निशमन विभाग इसे अनदेखा कर रहा है। क्या अधिकारियों को किसी बड़ी घटना का इंतजार है, जिससे फिर से मासूम जानें जाएं? प्रशासन की नींद टूटेगी या फिर होगी एक और झांसी जैसी त्रासदी? झांसी की घटना एक चेतावनी है, लेकिन बरेली के अस्पतालों में हालात जस के तस हैं। जिम्मेदार अधिकारी कब अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे? क्या उन्हें शासन स्तर से निर्देशों का इंतजार है या फिर किसी और मासूम की जान जाने के बाद ही यह कार्रवाई करेंगे? तत्काल कड़ी कार्रवाई की जरूरत, वरना मौत के मुंह में जा सकती हैं मासूम जिंदगियां बरेली के सीएफओ और अस्पताल प्रशासन को अपनी लापरवाही का जवाब देना होगा। शहर में बिना फायर एनओसी के चल रहे अस्पतालों पर तत्काल कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। अगर प्रशासन अभी नहीं जागा तो आने वाले समय में एक और झांसी जैसी घटना बरेली में भी घट सकती है। कुछ ठोस कदम जो उठाए जाने चाहिए तत्काल निरीक्षण और कड़ी कार्रवाई: सीएफओ और प्रशासन को बिना देरी के सभी अस्पतालों की जांच करनी चाहिए और बिना फायर एनओसी वाले अस्पतालों को तुरंत बंद करना चाहिए। अस्पतालों में फायर सेफ्टी के कड़े नियम लागू हों: हर अस्पताल में फायर अलार्म, फायर एग्जिट, और अग्निशमन यंत्रों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। प्रशिक्षण और जागरूकता: अस्पतालों के कर्मचारियों को फायर सेफ्टी के प्रति प्रशिक्षित किया जाए और नियमित अभ्यास कराया जाए। जनता की सुरक्षा प्राथमिकता हो: प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि बरेली के सभी अस्पतालों में फायर सेफ्टी के उच्चतम मानकों का पालन हो। लापरवाही की सजा मासूमों की मौत नहीं होनी चाहिए बरेली के अस्पतालों की मौजूदा स्थिति से यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रशासन और अग्निशमन विभाग की लापरवाही किसी बड़ी त्रासदी को निमंत्रण दे रही है। जिम्मेदार अधिकारियों को तुरंत अपनी नींद से जागना होगा और शहर को सुरक्षित बनाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो यह लापरवाही एक और दर्दनाक हादसे में तब्दील हो सकती है। फायर सेफ्टी के लिए किसी भी भवन, विशेषकर अस्पतालों, स्कूलों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, और ऊंची इमारतों में निम्नलिखित प्रमुख व्यवस्थाएं और उपकरण आवश्यक होते हैं। फायर अलार्म सिस्टम (Fire Alarm System)फायर डिटेक्टर: धुआं, गर्मी या आग की स्थिति का पता लगाने के लिए। अलार्म साउंडर: आग लगने की स्थिति में अलार्म बजाने के लिए।मैनुअल कॉल पॉइंट्स: दीवारों पर ऐसे बटन होते हैं जिन्हें आपातकाल में दबाकर अलार्म बजाया जा सकता है। अग्निशमन यंत्र (Fire Extinguishers)ड्राई केमिकल पाउडर (ABC टाइप): सभी प्रकार की आग (सॉलिड, लिक्विड, गैस) बुझाने के लिए। कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂): इलेक्ट्रिकल उपकरणों में लगी आग बुझाने के लिए।फोम एक्सटिंगुइशर: लिक्विड फ्यूल और ऑयल से लगी आग के लिए। वॉटर बेस्ड: ठोस पदार्थों जैसे लकड़ी, कागज की आग बुझाने के लिए।फायर हाइड्रेंट सिस्टम (Fire Hydrant System) हाइड्रेंट वॉल्व: पानी की सप्लाई के लिए।फायर होज़: आग बुझाने के लिए पानी की पाइपलाइन।नोजल: पानी को नियंत्रित करने और फायर फाइटिंग के लिए उपयोग में लाया जाता है।स्प्रिंकलर सिस्टम (Sprinkler System)आग का पता चलते ही पानी के स्प्रिंकलर अपने आप चालू हो जाते हैं और आग पर काबू पाते हैं। फायर एग्जिट (Fire Exits)आपातकालीन निकास द्वार: आग लगने की स्थिति में सुरक्षित बाहर निकलने के लिए। फायर एग्जिट साइन: रोशनी वाले संकेतक जो निकास मार्ग दिखाते हैं।पैनिक बार डोर: दरवाजे जो आपात स्थिति में आसानी से खोले जा सकते हैं। इमरजेंसी लाइटिंग सिस्टम - आपातकालीन स्थिति में मार्ग दिखाने के लिए बैटरी बैकअप के साथ लाइटें।स्टेयरकेस और कॉरिडोर में इमरजेंसी लाइट्स: जब बिजली चली जात
झांसी मेडिकल कॉलेज में आग से 11 मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत के बाद बरेली का अग्निशमन विभाग और प्रशासन कुंभकर्णी नींद से जागा है। मुख्य अग्निशमन अधिकारी (सीएफओ) चंद्र मोहन शर्मा की निष्क्रियता ने बरेली के लोगों की जान खतरे में डाल रखी है। बरेली में जिला महिला अस्पताल समेत 28 अस्पताल बिना फायर एनओसी के चल रहे हैं, जो किसी बड़े हादसे को न्योता दे रहे हैं। बरेली के अस्पतालों में सुरक्षा इंतजाम रामभरोसे, सीएफओ की आंखें बंद, प्रशासन मूकदर्शक पिछले साल जिला महिला अस्पताल में एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट) में लगी आग से एक मासूम की जान चली गई थी, लेकिन प्रशासन और अस्पताल के अधिकारियों ने इससे कोई सबक नहीं लिया। अब, जब झांसी की घटना के बाद निरीक्षण हुआ तो खुलासा हुआ कि बरेली के अधिकांश अस्पतालों में फायर सेफ्टी के इंतजाम पूरी तरह से नदारद हैं। सीएफओ चंद्र मोहन शर्मा की यह लापरवाही किसी दिन एक बड़े हादसे में बदल सकती है। सीएमएस डॉ. त्रिभुवन प्रसाद और सीएमओ डॉ. विश्राम सिंह की घोर लापरवाही, अस्पताल में मौत की दस्तक बरेली के जिला महिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. त्रिभुवन प्रसाद और सीएमओ डॉ. विश्राम सिंह भी अपनी जिम्मेदारियों से मुँह मोड़े बैठे हैं। दोनों के ऑफिस उसी अस्पताल परिसर में हैं, लेकिन उन्होंने अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था की सुध लेने की कभी जहमत नहीं उठाई। क्या इन अधिकारियों को मासूम बच्चों और मरीजों की जिंदगियों की कोई परवाह नहीं? बिना फायर एनओसी के चल रहे हैं अस्पताल, क्या मौत का इंतजार कर रहा है अग्निशमन विभाग? बरेली में फायर एनओसी के बिना दर्जनों अस्पतालों का संचालन जारी है। झांसी की घटना के बाद बरेली प्रशासन और सीएफओ की टीम ने अस्पतालों का निरीक्षण किया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। यह दिखाता है कि अग्निशमन विभाग केवल बड़े हादसों के बाद जागता है, जबकि उन्हें नियमित जांच और कार्रवाई करने की जिम्मेदारी दी गई है। कागजी कार्यवाही और दिखावे की जांचों तक सीमित सीएफओ का विभाग सीएफओ चंद्र मोहन शर्मा की अगुवाई में हो रही जांचें केवल कागजी औपचारिकता बनकर रह गई हैं। असलियत यह है कि ज्यादातर अस्पताल सुरक्षा मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं, और अग्निशमन विभाग इसे अनदेखा कर रहा है। क्या अधिकारियों को किसी बड़ी घटना का इंतजार है, जिससे फिर से मासूम जानें जाएं? प्रशासन की नींद टूटेगी या फिर होगी एक और झांसी जैसी त्रासदी? झांसी की घटना एक चेतावनी है, लेकिन बरेली के अस्पतालों में हालात जस के तस हैं। जिम्मेदार अधिकारी कब अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे? क्या उन्हें शासन स्तर से निर्देशों का इंतजार है या फिर किसी और मासूम की जान जाने के बाद ही यह कार्रवाई करेंगे? तत्काल कड़ी कार्रवाई की जरूरत, वरना मौत के मुंह में जा सकती हैं मासूम जिंदगियां बरेली के सीएफओ और अस्पताल प्रशासन को अपनी लापरवाही का जवाब देना होगा। शहर में बिना फायर एनओसी के चल रहे अस्पतालों पर तत्काल कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। अगर प्रशासन अभी नहीं जागा तो आने वाले समय में एक और झांसी जैसी घटना बरेली में भी घट सकती है। कुछ ठोस कदम जो उठाए जाने चाहिए तत्काल निरीक्षण और कड़ी कार्रवाई: सीएफओ और प्रशासन को बिना देरी के सभी अस्पतालों की जांच करनी चाहिए और बिना फायर एनओसी वाले अस्पतालों को तुरंत बंद करना चाहिए। अस्पतालों में फायर सेफ्टी के कड़े नियम लागू हों: हर अस्पताल में फायर अलार्म, फायर एग्जिट, और अग्निशमन यंत्रों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। प्रशिक्षण और जागरूकता: अस्पतालों के कर्मचारियों को फायर सेफ्टी के प्रति प्रशिक्षित किया जाए और नियमित अभ्यास कराया जाए। जनता की सुरक्षा प्राथमिकता हो: प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि बरेली के सभी अस्पतालों में फायर सेफ्टी के उच्चतम मानकों का पालन हो। लापरवाही की सजा मासूमों की मौत नहीं होनी चाहिए बरेली के अस्पतालों की मौजूदा स्थिति से यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रशासन और अग्निशमन विभाग की लापरवाही किसी बड़ी त्रासदी को निमंत्रण दे रही है। जिम्मेदार अधिकारियों को तुरंत अपनी नींद से जागना होगा और शहर को सुरक्षित बनाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो यह लापरवाही एक और दर्दनाक हादसे में तब्दील हो सकती है। फायर सेफ्टी के लिए किसी भी भवन, विशेषकर अस्पतालों, स्कूलों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, और ऊंची इमारतों में निम्नलिखित प्रमुख व्यवस्थाएं और उपकरण आवश्यक होते हैं। फायर अलार्म सिस्टम (Fire Alarm System)फायर डिटेक्टर: धुआं, गर्मी या आग की स्थिति का पता लगाने के लिए। अलार्म साउंडर: आग लगने की स्थिति में अलार्म बजाने के लिए।मैनुअल कॉल पॉइंट्स: दीवारों पर ऐसे बटन होते हैं जिन्हें आपातकाल में दबाकर अलार्म बजाया जा सकता है। अग्निशमन यंत्र (Fire Extinguishers)ड्राई केमिकल पाउडर (ABC टाइप): सभी प्रकार की आग (सॉलिड, लिक्विड, गैस) बुझाने के लिए। कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂): इलेक्ट्रिकल उपकरणों में लगी आग बुझाने के लिए।फोम एक्सटिंगुइशर: लिक्विड फ्यूल और ऑयल से लगी आग के लिए। वॉटर बेस्ड: ठोस पदार्थों जैसे लकड़ी, कागज की आग बुझाने के लिए।फायर हाइड्रेंट सिस्टम (Fire Hydrant System) हाइड्रेंट वॉल्व: पानी की सप्लाई के लिए।फायर होज़: आग बुझाने के लिए पानी की पाइपलाइन।नोजल: पानी को नियंत्रित करने और फायर फाइटिंग के लिए उपयोग में लाया जाता है।स्प्रिंकलर सिस्टम (Sprinkler System)आग का पता चलते ही पानी के स्प्रिंकलर अपने आप चालू हो जाते हैं और आग पर काबू पाते हैं। फायर एग्जिट (Fire Exits)आपातकालीन निकास द्वार: आग लगने की स्थिति में सुरक्षित बाहर निकलने के लिए। फायर एग्जिट साइन: रोशनी वाले संकेतक जो निकास मार्ग दिखाते हैं।पैनिक बार डोर: दरवाजे जो आपात स्थिति में आसानी से खोले जा सकते हैं। इमरजेंसी लाइटिंग सिस्टम - आपातकालीन स्थिति में मार्ग दिखाने के लिए बैटरी बैकअप के साथ लाइटें।स्टेयरकेस और कॉरिडोर में इमरजेंसी लाइट्स: जब बिजली चली जाती है, तब भी सुरक्षित रास्ता दिखाने के लिए। स्मोक एग्जॉस्ट सिस्टम - आग लगने पर धुएं को निकालने के लिए वेंटिलेशन फैन और डक्ट्स। फायर कंट्रोल रूम- भवन की सुरक्षा की निगरानी के लिए एक समर्पित कंट्रोल रूम जिसमें सभी फायर अलार्म और सुरक्षा उपकरणों का नियंत्रण होता है। फायर सेफ्टी ड्रिल और ट्रेनिंग- कर्मचारियों और स्टाफ को आग से बचाव के तरीके और उपकरणों के उपयोग का प्रशिक्षण। नियमित अंतराल पर फायर ड्रिल का आयोजन। फायर रेटेड डोर्स और पैनल्स- फायर रेटेड दरवाजे, आग को फैलने से रोकने के लिए।