सीएम धामी ने साहित्यकारों को साहित्य सेवा सम्मान से किया गौरवान्वित
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार उत्तराखंड भाषा संस्थान के माध्यम से राज्य के बिखरे हुए साहित्य को संरक्षित, संकलित और पुनर्स्थापित करने के लिए ठोस कार्य कर रही है। सरकार स्थानीय भाषाओं और बोलियों के संरक्षण के लिए भी सतत प्रयास कर रही हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ अपनी समृद्ध […]

सीएम धामी ने साहित्यकारों को साहित्य सेवा सम्मान से किया गौरवान्वित
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कम शब्दों में कहें तो, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिंदी दिवस पर उत्तराखंड के साहित्यकारों को साहित्य सेवा सम्मान प्रदान किया और राज्य के साहित्यिक धरोहर के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। सरकार स्थानीय भाषाओं को भी संरक्षित करने के लिए प्रयासरत है।

देहरादून। रविवार को हिंदी दिवस के अवसर पर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आईआरडीटी सभागार में आयोजित ‘उत्तराखंड दीर्घकालीन साहित्य सेवा सम्मान समारोह’ में भाग लिया। इस समारोह में प्रदेश और देश भर से आए साहित्यकारों, कवियों और भाषा प्रेमियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उत्तराखंड भाषा संस्थान के माध्यम से राज्य के बिखरे हुए साहित्य को संरक्षित, संकलित और पुनर्स्थापित करने का उद्देश्य रखती है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि स्थानीय भाषाओं और बोलियों के संरक्षण के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे आने वाली पीढ़ियाँ अपनी समृद्ध भाषायी विरासत से जुड़ी रहें। उन्होंने कहा, "हमारे पूर्वजों द्वारा दी गई साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत केवल अतीत की धरोहर नहीं, बल्कि हमारी पहचान और सभ्यता की नींव है। इसे संरक्षित रखना हम सभी का नैतिक उत्तरदायित्व है।"
इस समारोह में, शैलेश मटियानी, गिरीश तिवारी, शेरदा अनपढ़, और हीरा सिंह राणा को मरणोपरांत ‘उत्तराखंड दीर्घकालीन साहित्य सेवा सम्मान 2025’ से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, सोमवारी लाल उनियाल और अतुल शर्मा को भी सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि उन्हें हिंदी भाषा को समृद्ध बनाने वाले साहित्यकारों को सम्मानित करने का अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने सभी साहित्य साधकों को शुभकामनाएँ दी, जो अपनी रचनात्मकता से सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का कार्य कर रहे हैं।
धामी ने साहित्य को समाज का दर्पण बताते हुए कहा कि साहित्यकार समाज की संवेदनाओं के सच्चे मार्गदर्शक होते हैं। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में कवियों और रचनाकारों की भूमिका को रेखांकित किया और कहा कि हमारे शास्त्रों और परंपराओं का मूल आधार रचनात्मकता है।
मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की समृद्ध साहित्यिक परंपरा का उल्लेख करते हुए प्रसिद्ध साहित्यकारों का स्मरण किया, जिन्होंने उत्तराखंड के जीवन, संघर्ष और संस्कृति को जीवंत किया है। उन्होंने समकालीन रचनाकारों में अतुल शर्मा और प्रसून जोशी जैसे लेखकों की प्रशंसा की, जो इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि वह साहित्य और संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए पूर्ण समर्पण के साथ कार्य कर रही है। धामी ने कहा कि सरकार साहित्यकारों को सम्मानित करने और नए रचनाकारों को प्रोत्साहित रखने के लिए विभिन्न पुरस्कारों और प्रतियोगिताओं का आयोजन कर रही है।
उन्होंने घोषणा की कि “दीर्घकालीन साहित्य सेवा सम्मान” के अंतर्गत साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले साहित्यकारों को ₹5 लाख की पुरस्कार राशि दी जाएगी। इसके अलावा, साहित्यिक ग्राम भी स्थापित किए जा रहे हैं, जहाँ साहित्यकारों को आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे कक्षा 6 से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक के विद्यार्थियों के लिए रचनात्मक लेखन प्रतियोगिताओं का आयोजन कर रहे हैं और पिछले दो वर्षों में 62 साहित्यकारों को पुस्तक प्रकाशन के लिए अनुदान प्रदान किया गया है। साथ ही, इस वर्ष पुस्तक प्रकाशन को प्रोत्साहित करने के लिए 25 लाख रुपये का विशेष बजट रखा गया है।
मुख्यमंत्री ने अंत में कहा कि भारत का साहित्य अपनी वैचारिक संपन्नता के कारण वैश्विक पहचान रखता आया है, जो अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई दिशा और सम्मान प्राप्त कर रहा है। वह सभी साहित्यकारों और संस्कृति प्रेमियों से अपील करते हैं कि वे अपनी रचनात्मकता से हिंदी को विश्व की प्रमुख भाषा के रूप में स्थापित करें।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक खजान दास, सचिव नीरज खैरवाल, और उत्तराखंड संस्कृति प्रेमी उपस्थित थे।
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सादर,
टीम इंडिया ट्वोडे, प्रियंका शर्मा
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