स्टील ब्रिज का काम 10 दिसंबर तक होगा पूरा:महाकुंभ को देखते हुए गंगा नदी पर तैयार किया जा रहा है स्टील ब्रिज

प्रयागराज में लगने जा रहे महाकुंभ 2025 में आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर कनेक्टीविटी मिल सके, इसको लेकर भी प्रशासन की तरफ से लगतार प्रयास किए जा रहे हैं। इसको देखते हुए ही गंगा नदी पर सिक्सलेन पुल का निर्माण कराया जा रहा है। पुल का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है, फिर भी महाकुंभ के पहले उसके पूरा होने में संशय है। इसको देखते हुए शासन की तरफ से गंगा नदी पर दो स्टील पुल तैयार कराने का निर्देश दिया गया है।इस स्टील पुल को 10 दिसंबर तक किसी भी हालत में पूरा करने का निर्देश दिया गया है। रीवर फ्रंट का कार्य भी 30 नवंबर तक करें पूरा शासन की तरफ महाकुंभ को लेकर गंगा नदी पर तैयार कराए जा रहे रीवर फ्रंट टाइप रोड का कार्य भी 30 नवंबर तक पूरा करने का आदेश दिया गया है। महाकुंभ 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा से के पहले स्नान से शुरू होगा। इसके अगले ही दिन मकर संक्रांति का पहला मुख्य स्नान पर्व है। उसके पहले एक जनवरी से ही संत, महात्माओं, अखाड़ों के नागा साधु, संयासी भी आने लगेगें। इसी को देखते हुए शासन की तरफ से दिसंबर में ही सभी जरूरी कार्य को पूरा कराने पर जोर दिया जा रहा है। जिससे मेले के आयोजन में किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो सके।

Nov 10, 2024 - 06:40
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स्टील ब्रिज का काम 10 दिसंबर तक होगा पूरा:महाकुंभ को देखते हुए गंगा नदी पर तैयार किया जा रहा है स्टील ब्रिज
प्रयागराज में लगने जा रहे महाकुंभ 2025 में आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर कनेक्टीविटी मिल सके, इसको लेकर भी प्रशासन की तरफ से लगतार प्रयास किए जा रहे हैं। इसको देखते हुए ही गंगा नदी पर सिक्सलेन पुल का निर्माण कराया जा रहा है। पुल का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है, फिर भी महाकुंभ के पहले उसके पूरा होने में संशय है। इसको देखते हुए शासन की तरफ से गंगा नदी पर दो स्टील पुल तैयार कराने का निर्देश दिया गया है।इस स्टील पुल को 10 दिसंबर तक किसी भी हालत में पूरा करने का निर्देश दिया गया है। रीवर फ्रंट का कार्य भी 30 नवंबर तक करें पूरा शासन की तरफ महाकुंभ को लेकर गंगा नदी पर तैयार कराए जा रहे रीवर फ्रंट टाइप रोड का कार्य भी 30 नवंबर तक पूरा करने का आदेश दिया गया है। महाकुंभ 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा से के पहले स्नान से शुरू होगा। इसके अगले ही दिन मकर संक्रांति का पहला मुख्य स्नान पर्व है। उसके पहले एक जनवरी से ही संत, महात्माओं, अखाड़ों के नागा साधु, संयासी भी आने लगेगें। इसी को देखते हुए शासन की तरफ से दिसंबर में ही सभी जरूरी कार्य को पूरा कराने पर जोर दिया जा रहा है। जिससे मेले के आयोजन में किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो सके।

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