हरदोई में धू-धू कर जला रावण का पुतला:मेला ग्राउंड पर रावण दहन को देखने उमड़ा जनसैलाब, ऐतिहासिक रामलीला महोत्सव का हुआ समापन

हरदोई के पाली नगर में चल रहे ऐतिहासिक श्री रामलीला महोत्सव का समापन रावण दहन के साथ धूमधाम से हुआ। मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश दिया। इस भव्य आयोजन को देखने के लिए नगर और आसपास के हजारों श्रद्धालु रामलीला मैदान में उमड़े। पाली के ऐतिहासिक रामलीला महोत्सव का रावण वध की लीला के साथ ही औपचारिक रूप से समापन हो गया। मेला कमेटी के कोषाध्यक्ष रामू अग्निहोत्री ने बताया कि रावण वध की लीला के उपरांत राम राज्याभिषेक का कार्यक्रम हुआ। ऐतिहासिक मेला ग्राउंड पर स्थानीय कलाकारों के द्वारा राम-रावण युद्ध का सजीव प्रस्तुतीकरण किया गया। जिसे देखने के लिए पाली नगर के अलावा आसपास के तमाम गांव के ग्रामीण भी मौजूद रहे। रावण के पुतले की जली हुई लकड़ियों यानी अस्थियों को लेने के लिए ग्रामीणों में होड़ लग गई । मान्यता है कि रावण के पुतले की लकड़ियों को घर में रखने से भूत प्रेत जैसी बाधाएं नहीं आती। रावण दहन कार्यक्रम को लेकर पुलिस ने भी सुरक्षा के व्यापक स्तर पर बंदोबस्त किए थे। पाली थाने के अलावा कई स्थानों का पुलिस फोर्स भी मेला ग्राउंड और उसके आसपास लगाया गया था। इसके अलावा पीएसी बल भी मेला मैदान में चप्पे-चप्पे पर नजर रखे हुए था। सदियों पुरानी परंपरा में उमड़ा जनसैलाब पाली का यह रामलीला महोत्सव हर साल बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस साल भी हजारों लोगों ने इस आयोजन में हिस्सा लेकर अपनी आस्था प्रकट की। रावण दहन न केवल धार्मिक परंपरा का निर्वाह है, बल्कि समाज को यह संदेश भी देता है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अंत में सत्य और धर्म की ही जीत होती है।

Oct 26, 2024 - 07:35
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हरदोई में धू-धू कर जला रावण का पुतला:मेला ग्राउंड पर रावण दहन को देखने उमड़ा जनसैलाब, ऐतिहासिक रामलीला महोत्सव का हुआ समापन
हरदोई के पाली नगर में चल रहे ऐतिहासिक श्री रामलीला महोत्सव का समापन रावण दहन के साथ धूमधाम से हुआ। मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश दिया। इस भव्य आयोजन को देखने के लिए नगर और आसपास के हजारों श्रद्धालु रामलीला मैदान में उमड़े। पाली के ऐतिहासिक रामलीला महोत्सव का रावण वध की लीला के साथ ही औपचारिक रूप से समापन हो गया। मेला कमेटी के कोषाध्यक्ष रामू अग्निहोत्री ने बताया कि रावण वध की लीला के उपरांत राम राज्याभिषेक का कार्यक्रम हुआ। ऐतिहासिक मेला ग्राउंड पर स्थानीय कलाकारों के द्वारा राम-रावण युद्ध का सजीव प्रस्तुतीकरण किया गया। जिसे देखने के लिए पाली नगर के अलावा आसपास के तमाम गांव के ग्रामीण भी मौजूद रहे। रावण के पुतले की जली हुई लकड़ियों यानी अस्थियों को लेने के लिए ग्रामीणों में होड़ लग गई । मान्यता है कि रावण के पुतले की लकड़ियों को घर में रखने से भूत प्रेत जैसी बाधाएं नहीं आती। रावण दहन कार्यक्रम को लेकर पुलिस ने भी सुरक्षा के व्यापक स्तर पर बंदोबस्त किए थे। पाली थाने के अलावा कई स्थानों का पुलिस फोर्स भी मेला ग्राउंड और उसके आसपास लगाया गया था। इसके अलावा पीएसी बल भी मेला मैदान में चप्पे-चप्पे पर नजर रखे हुए था। सदियों पुरानी परंपरा में उमड़ा जनसैलाब पाली का यह रामलीला महोत्सव हर साल बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस साल भी हजारों लोगों ने इस आयोजन में हिस्सा लेकर अपनी आस्था प्रकट की। रावण दहन न केवल धार्मिक परंपरा का निर्वाह है, बल्कि समाज को यह संदेश भी देता है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अंत में सत्य और धर्म की ही जीत होती है।

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